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बिहार से निकला था 50-50 का फॉर्मूला, अब महाराष्ट्र की सियासत में दिख रहा असर Featured

By November 01, 2019 234

नई दिल्ली/पटना: महाराष्ट्र (Maharashtra) में जिस 50-50 फॉर्मूले को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच तकरार चल रहा है, वह बिहार से निकला है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी (BJP) ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच सीटों के बंटवारे में इस फॉर्मूले को आजमाया था. इसी को हथियार बनाते हुए शिवसेना अब तीसरी बार बीजेपी पर दबाव बना रही है.
एक केंद्रीय मंत्री ने कहा, "50-50 फॉमूर्ला सबसे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में सामने आया था. इसी फॉर्मूले के आधार पर बिहार में एनडीए की घटक बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था. इसके बाद से शिवसेना प्रमुख उद्धव लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक इसी फॉर्मूले के दम पर सीटों के लिए दबाव बनाते रहे. लेकिन अब मुख्यमंत्री के पद के लिए दावा ठोकना 50-50 फॉर्मूले की गलत व्याख्या है."
दरअसल, इस साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में घमासान मचा था. जनता दल युनाइटेड (JDU) ने बीजेपी से उसके बराबर सीटें मांगी थी. जबकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पास 22 लोकसभा सीटें थीं और जेडीयू के पास सिर्फ दो.
बावजूद इसके, बराबर सीटें न मिलने की स्थिति में जेडीयू की ओर से गठबंधन से अलग होने के संकेत दिए जाने के बाद बीजेपी ने 50-50 फॉर्मूले के तहत 17-17-6 के हिसाब से सीटें बांटी थीं. बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 यानी बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला किया और तीसरी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को छह सीटें दी गई थीं.
बिहार में 16 फरवरी को 50-50 फॉर्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था. इसके तुरंत बाद बीजेपी जब महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सीटों का बंटवारा करने बैठी तो उद्धव ठाकरे ने कहा कि बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी 50-50 फॉर्मूला लागू होना चाहिए. दबाव कायम करने के बाद आखिरकार 18 फरवरी को बीजेपी को अपने से सिर्फ दो कम, यानी 23 सीटें शिवसेना को देनी पड़ीं.
इसके बाद विधानसभा सीटों के बंटवारे के दौरान भी शिवसेना बराबर सीटों की मांग पर अड़ गई थी. तब बीजेपी ने 124 सीटें देकर मामला सुलझाया था. इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजे जब 24 अक्टूबर को आए तो बाद उद्धव ठाकरे ने प्रेसवार्ता कर 50-50 फॉर्मूले की नई व्याख्या करते हुए संकेत दिए कि शिवसेना ढाई साल सरकार चलाना चाहती है. इसके बाद पेच इस कदर फंसा कि नतीजे आने के हफ्ते भर बाद भी बीजेपी-शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी है.

दोनों दल अपने-अपने विधायक दल का नेता चुन चुके हैं और संभावित सरकार में पदों के बंटवारे को लेकर समझौते की कोशिशें जारी हैं. इस तरह शिवसेना अब तक तीन बार 50-50 फॉर्मूले के आधार पर बीजेपी को घेर चुकी है.

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