राजनीति

राजनीति (6634)

बेंगलुरु। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन द्वारा जनसंख्या आधारित डिलिमिटेशन की प्रक्रिया के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का समर्थन किया। उन्होंने इस मुद्दे पर ऐक्शन की जरुरत पर जोर दिया। वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पार्टी आलाकमान की सलाह पर सावधानीपूर्वक कदम उठाने की बात कही है। बेंगलुरु में सिद्धारमैया से एक प्रतिनिधिमंडल मिला और जनसंख्या आधारित डिलिमिटेशन के खिलाफ एकजुट होने पर चर्चा की। इस दौरान स्टालिन ने फोन पर सिद्धरामैया से बात की और कर्नाटक से एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता को नामांकित करने की अपील की। कर्नाटक सरकार ने बयान जारी कर कहा कि कर्नाटक तमिलनाडु के साथ है और यह प्रक्रिया गैर-लोकतांत्रिक है क्योंकि इसे सभी राज्यों की सहमति के बिना किया जा रहा है।
सीएमओ के बयान के मुताबिक सिद्धारमैया ने कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा कि वे केंद्र सरकार के ऐसे सभी कदमों की निंदा करते हैं जो कर्नाटक के हितों के खिलाफ हों, लोकतंत्र को कमजोर करे और संविधान के संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हो। सीएम स्टालिन के मुताबिक प्रस्तावित संयुक्त कार्रवाई समिति में केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं। इस समिति की पहली बैठक 22 मार्च को चेन्नई में होनी वाली है।
लोकसभा में बुधवार को डीएमके सदस्य डी एम काथीर आनंद ने कहा कि प्रस्तावित डिलिमिटेशन प्रक्रिया उन प्रगतिशील राज्यों जैसे तमिलनाडु को नुकसान पहुंचाएगी, जिन्होंने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह केवल जनसंख्या के बजाय राज्यों की आर्थिक प्रदर्शन, प्रति व्यक्ति आय, बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे महत्वपूर्ण मानकों को ध्यान में रखते हुए यह प्रक्रिया करे।
वहीं, बीजेपी के सदस्य निशिकांत दुबे ने भी इस मुद्दे को उठाया और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने वाले बांगलादेशी नागरिकों के संदर्भ में चिंता जताई। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार जब डिलिमिटेशन करे तो इन घुसपैठियों को बाहर रखा जाए।

महाराष्ट्र लोकसभा: महाराष्ट्र की राजनीति में औरंगजेब को लेकर हंगामा जारी है। औरंगजेब की तारीफ करने पर सपा नेता और विधायक अबू आजमी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अब औरंगजेब विवाद की गूंज लोकसभा में भी सुनाई देने लगी है। शिवसेना पार्टी के सांसद नरेश म्हास्के ने बुधवार को लोकसभा में मांग की कि महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के खुल्दाबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।

25 फीसदी स्मारक और कब्र मुगल-अंग्रेजों की- सांसद

लोकसभा के शून्यकाल के दौरान शिवसेना के नरेश म्हास्के ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित 3,691 स्मारकों और कब्रों में से 25 फीसदी मुगल और ब्रिटिश अधिकारियों की हैं। इन सभी ने भारत की संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ काम किया। शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी की हत्या की और हिंदू मंदिरों को लूटा और नष्ट किया।

औरंगजेब की कब्र को संरक्षित करने की क्या जरूरत है? - सांसद

शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने लोकसभा में कहा कि औरंगजेब, जिसने नौवें और दसवें सिख गुरुओं की भी हत्या की थी, की महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में एक कब्र है जिसे एएसआई द्वारा संरक्षित किया गया है। सांसद ने कहा- "औरंगजेब जैसे क्रूर व्यक्ति की कब्र को संरक्षित करने की क्या जरूरत है? औरंगजेब और भारत के खिलाफ काम करने वाले सभी लोगों के स्मारकों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।"

सीएम फडणवीस ने क्या कहा?

इससे पहले महाराष्ट्र की सतारा सीट से भाजपा सांसद और मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की थी। इस बारे में बात करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "हम सभी ऐसा चाहते हैं, लेकिन आपको इसे कानून के दायरे में करना होगा, क्योंकि यह एक संरक्षित स्थल है। इस स्थल को कुछ साल पहले कांग्रेस के शासन के दौरान एएसआई के संरक्षण में दिया गया था।"

नई दिल्ली । देश में भाषा को लेकर चल रही बहस में तमिलनाडु ने आग में घी डालने का काम कर दिया है। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने अपने राज्य बजट के लोगो के रूप में आधिकारिक भारतीय रुपये के प्रतीक रुपया को तमिल अक्षर ரூ से बदल दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब देश में किसी राज्य ने रुपये के चिह्न को बदल दिया हो। यह बात सीएम स्टालिन द्वारा राज्य का बजट पेश करने से पहले सामने आई है।
खास बात है कि स्टालिन के कदम को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। यह उस समय में हुआ है जब आधिकारिक संचार और दस्तावेजीकरण में क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग विवाद का विषय रहा है। अब सवाल है कि क्या राज्य के पास इस तरह रुपये के चिह्न में बदलाव करने का अधिकार है।
रुपये के चिह्न में बदलाव का यह देश में अपनी तरह का पहला मामला है। इससे पहले किसी भी राज्य की ओर से इस तरह का कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, केंद्र की तरफ से रुपये के चिह्न में बदलाव को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। इसके बाद साफतौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि तमिलनाडु सरकार की तरफ से यह कदम कानून का उल्लंघन है।
यदि रुपये को राष्ट्रीय चिह्न के रूप में मान्यता मिली होती, तब इसमें किसी तरह का बदलाव करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास रहता। राष्ट्रीय चिह्न की सूची में रुपये का चिह्न नहीं है। राष्ट्रीय चिह्न में बदलाव के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरुपयोग की रोकथाम) एक्ट 2005 बना हुआ है। बाद में इस कानून को 2007 में अपडेट किया जा चुका है। एक्ट के सेक्शन 6(2)(एफ) में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सरकार राष्ट्रीय प्रतीकों की डिजाइन में बदलाव कर सकती है।
कानून के जानकारों के अनुसार जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार के पास राष्ट्रीय चिह्न में हर वहां बदलाव करने की शक्ति है जिसे वे आवश्यक समझती है। एक्ट के तहत सिर्फ राष्ट्रीय चिह्न के सिर्फ डिजाइन में बदलाव किया जा सकता है पूरा डिजाइन नहीं बदला जा सकता है। हालांकि, कई जानकार का मानना है कि केंद्र सरकार के पास सिर्फ राष्ट्रीय प्रतीक के डिजाइन में बदलाव करने की ताकत नहीं है बल्कि वहां पूरा राष्ट्रीय प्रतीक भी बदल सकती है। इसके पीछे कारण है कि भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरुपयोग की रोकथाम) एक्ट 2005 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो सरकार को इसतरह बदलाव करने से रोकता है।

नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा नगर निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ये परिणाम सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के विकास कार्यों में लोगों के अटूट विश्वास की अभिव्यक्ति है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के छह महीने से भी कम समय में सत्तारूढ़ बीजेपी ने बुधवार को राज्य में हुए नगर निगम चुनावों में भारी जीत दर्ज करते हुए महापौर की दस में से नौ सीटों पर कब्जा कर लिया है।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि हरियाणा निकाय चुनाव में बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत के लिए हरियाणा के मेरे परिवारजनों का बहुत-बहुत आभार। उन्होंने कहा कि यह जीत नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चल रही सरकार के विकास कार्यों के प्रति जनता-जनार्दन के अटूट विश्वास की अभिव्यक्ति है। मैं प्रदेश के लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि हम उनकी उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मोदी ने कहा कि इस विजय में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के कठिन परिश्रम की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की तारीफ भी की।

फिल्म छावा के रिलीज होने के बाद पूरे देश में औरंगजेब का नाम मिटाने की जंग छिड़ गई है। कोई लुटियन जोन में औरंगजेब रोड का नाम मिटा रहा है तो कोई उसकी कब्र को गिराने की मांग कर रहा है। अब इस बीच औरंगजेब को लेकर सियासत भी पीछे नहीं है। शिवसेना विधायक महेंद्र थोरवे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद सुनील तटकरे को मुगल बादशाह औरंगजेब बताते हुए महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में दोनों दलों के बीच रायगढ़ के प्रभारी मंत्री पद को लेकर बढ़ती दरार की ओर इशारा किया। रायगढ़ के विधायक थोरवे ने बुधवार को अलीबाग में एक कार्यक्रम में कहा कि तीसरे अंपायर (मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर इशारा करते हुए) ने रायगढ़ के प्रभारी मंत्री पद के फैसले पर रोक लगा दी, क्योंकि यह गलत था। रायगढ़ के प्रभारी मंत्री पद की दौड़ में एनसीपी और शिवसेना दोनों ही शामिल हैं। फडणवीस ने महिला एवं बाल विकास मंत्री और एनसीपी नेता अदिति तटकरे को जिले का प्रभारी मंत्री नियुक्त किया था। हालांकि, रायगढ़ के महाड का प्रतिनिधित्व करने वाले रोजगार गारंटी मंत्री भरत गोगावले भी जिले के प्रभारी मंत्री बनने की ख्वाहिश रखते थे। शिवसेना की नाराजगी के बाद फडणवीस ने फैसला टाल दिया।

'सुतारवाड़ी में रहता है औरंगजेब'

महेंद्र थोरवे ने कहा कि सुनील तटकरे को केंद्र में जगह मिल सकती है क्योंकि आपके साथियों ने आपको कप्तान बनाया था। यह जानना जरूरी है कि फिल्म छावा में औरंगजेब का स्थान अकलुज दिखाया गया है। जबकि आज का औरंगजेब सुतारवाड़ी में रहता है। थोरवे ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि तटकरे सुतारवाड़ी की रहने वाली हैं। थोरवे ने आगे कहा कि अगर तटकरे शिवसेना के साथ गलत राजनीति करती हैं तो शिवसेना अगली बार रायगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। उन्होंने कहा कि हम यह भी दिखा सकते हैं कि आप हमारे विधायकों के समर्थन के कारण ही रायगढ़ के सांसद बने हैं, अन्यथा आप ग्राम पंचायत सदस्य भी नहीं बन सकते थे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को राज्य का बजट पेश किया। इस बजट में राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कई बड़े ऐलान किए गए हैं। हालांकि, बीजेपी ने इस बजट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी ने इसे आधुनिक मुस्लिम लीग का बजट बताया है। आइए जानते हैं बजट में अल्पसंख्यकों के लिए क्या बड़ी बातें हैं।

अल्पसंख्यक कल्याण

वक्फ भूमि और कब्रिस्तान के संरक्षण और रखरखाव के लिए 150 करोड़ रुपये का आवंटन। सीएम अल्पसंख्यक कॉलोनी विकास कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 25-26 में 1000 करोड़ रुपये की कार्ययोजना लागू की जाएगी। आर्थिक रूप से कमजोर अल्पसंख्यकों की शादी के लिए हर जोड़े को पचास हजार रुपये की सहायता। हज भवन परिसर में एक और भवन बनाया जाएगा।

सरकार की अन्य बड़ी घोषणाएं

कर्नाटक पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर 250 मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्री-प्राइमरी से लेकर पीयू तक की कक्षाएं चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएंगी। इस उद्देश्य के लिए कुल 500 करोड़ रुपये की लागत का कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए चालू वर्ष में 100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और कार्यक्रम को स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से लागू किया जाएगा। मदरसों में औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए, छात्रों को एनआईओएस के माध्यम से एसएसएलसी परीक्षा लिखने के लिए तैयार करने के लिए कंप्यूटर, स्मार्ट बोर्ड और अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान किया जाएगा। कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के माध्यम से अल्पसंख्यक युवाओं को नए स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कॉलोनी विकास कार्यक्रम के तहत 1,000 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है।

चेन्नई: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने दक्षिण भारत के राज्यों समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। स्टालिन ने केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और परिसीमन के मुद्दे पर समर्थन मांगा है। स्टालिन ने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और परिसीमन पर समर्थन मांगा है। स्टालिन ने मुख्यमंत्रियों से 22 मार्च को चेन्नई में होने वाली परिसीमन समिति की बैठक में शामिल होने की अपील की है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा कि मैं आपसे दो खास अनुरोधों के साथ लिख रहा हूं।

संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) में शामिल होने के लिए आपकी औपचारिक सहमति जिसमें दक्षिण में तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल और ओडिशा, उत्तर में पंजाब शामिल हैं।
आपकी पार्टी से एक वरिष्ठ प्रतिनिधि का नामांकन जो जेएसी में काम कर सके और हमारी एकीकृत रणनीति के समन्वय में मदद कर सके।
एकीकृत कार्रवाई की दिशा में एक प्रारंभिक कदम के रूप में, मैं अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए 22 मार्च, 2025 को चेन्नई में एक बैठक का प्रस्ताव करता हूँ।
यह क्षण नेतृत्व और सहयोग की मांग करता है, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर और हमारे सामूहिक हित के लिए खड़े होने की।
जो दांव पर लगा है वह कोई अमूर्त सिद्धांत नहीं है - यह हमारे राज्यों की विकास के लिए उचित संसाधन सुरक्षित करने, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पर महत्वपूर्ण नीतियों को प्रभावित करने और यह सुनिश्चित करने की क्षमता है कि हमारी आर्थिक प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय एजेंडे में उचित ध्यान मिले।
आइए हम अलग-अलग राजनीतिक संस्थाओं के रूप में नहीं बल्कि अपने लोगों के भविष्य के रक्षक के रूप में एक साथ खड़े हों।
मैं आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा हूँ और 22 मार्च, 2025 को चेन्नई में आपकी उपस्थिति की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
स्टालिन ने परिसीमन प्रक्रिया पर चिंता जताई

स्टालिन ने केंद्र सरकार की प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी दी कि यह प्रक्रिया देश के भविष्य को आकार देने में तमिलनाडु जैसे राज्यों के प्रभाव को कमजोर कर सकती है, जिन्होंने अपनी जनसंख्या को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया है। पत्र में स्टालिन ने बताया कि पिछली परिसीमन प्रक्रियाएं 1952, 1963 और 1973 में आयोजित की गई थीं, लेकिन 1976 में 42वें संशोधन द्वारा 2000 के बाद पहली जनगणना तक रोक दी गई थी। 2002 में, इस स्थगन को 2026 के बाद अगली जनगणना तक बढ़ा दिया गया था। हालांकि, 2021 की जनगणना में देरी के कारण, परिसीमन प्रक्रिया अपेक्षा से पहले हो सकती है, जिसका संभावित रूप से उन राज्यों पर असर पड़ सकता है जिन्होंने अपनी जनसंख्या को नियंत्रित किया है और बेहतर शासन हासिल किया है।

नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली में कई सड़कें हैं, जिनके नाम बदलने की मांग की गई है. इनमें से औरंगजेब रोड समेत कई सड़कों के नाम मुस्लिम शासकों के नाम पर हैं. सड़कों के नाम बदलने की मांग के बीच भारतीय जनता पार्टी ने अपने घरों की नेमप्लेट बदल दी है और उस पर नया नाम लिख दिया है. दरअसल, बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने अपने सरकारी आवास के पते पर 'तुगलक लेन' की जगह 'स्वामी विवेकानंद मार्ग' लिख दिया है. केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के सरकारी आवास के बाहर अब 'विवेकानंद मार्ग' लिखा हुआ है. नाम बदलने को लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं: आपको बता दें कि दोनों आवासों की नेमप्लेट में जहां 'स्वामी विवेकानंद मार्ग' लिखा हुआ है, वहीं ब्रैकेट में 'तुगलक लेन' भी लिखा हुआ है. अभी तक 'तुगलक लेन' के नाम में बदलाव को लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन बीजेपी सांसदों ने पहले ही आवास का पता बदलकर सड़क का नाम 'विवेकानंद मार्ग' रख दिया है. यूपी के राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा का आवास '6, तुगलक लेन' है, लेकिन गृहप्रवेश समारोह के बाद उन्होंने पता बदलकर '6, विवेकानंद मार्ग' कर लिया है। इसी तरह सांसद कृष्णपाल गुर्जर ने भी अपने आवास का पता '8, तुगलक लेन' से बदलकर '8, स्वामी विवेकानंद मार्ग' कर लिया है।

कई अन्य अधिकारियों और नेताओं ने लिखवाए नए पते

बता दें कि राजधानी दिल्ली में मुगलकालीन नामों वाली सड़कों के नाम बदलने की मांग लंबे समय से चल रही है। नामों में बदलाव हुए हैं और अब धीरे-धीरे ये नाम सरकारी आवासों की नेम प्लेट पर भी दिखने लगे हैं। तुगलक लेन पर भाजपा सांसदों के अलावा कई ऐसे नेता और अधिकारी हैं जिन्होंने अपने घर के पते में स्वामी विवेकानंद मार्ग लिखवा रखा है। राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा और वाइस एडमिरल किरण देशमुख का भी तुगलक लेन में आवास है और उन्होंने भी अपने घरों पर 'स्वामी विवेकानंद मार्ग' लिखवा रखा है। खास बात यह है कि भले ही इस बारे में कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन गूगल मैप्स में सर्च करने पर 'स्वामी विवेकानंद मार्ग' दिख रहा है।

 

समाजवादी पार्टी के नेता और महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी के औरंगजेब वाले बयान पर आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, "मैं निराश हूं कि इतिहास के पन्नों से मुद्दे आज उठाए जा रहे हैं क्योंकि हम सभी में आज की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता नहीं है. ऐसे संघर्षों में हम वैदिक काल में कितना पीछे जाएंगे? गरीबी, भुखमरी, आय असमानता पर कोई चर्चा नहीं होती।" परिसीमन के मुद्दे पर वे कहते हैं, "परिसीमन आज एक संवेदनशील मुद्दा है। दक्षिणी राज्यों की दुविधा भी जायज है। क्योंकि उन्होंने देश के निर्माण में बहुत योगदान दिया है और अगर लोकसभा सीटों के परिसीमन का मानदंड जनसंख्या वृद्धि होगी, तो यह उन राज्यों के साथ अन्याय होगा।"

औरंगजेब की तारीफ करने पर शिकायत दर्ज

इस बीच, औरंगजेब की तारीफ करना अबू आजमी को महंगा पड़ गया है. शिवसेना ने अबू आजमी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। बता दें कि इससे पहले शिवसेना प्रमुख और राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने भी अबू आजमी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की थी। आइए जानते हैं अबू आजमी ने क्या कहा और पुलिस ने उनके खिलाफ किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। औरंगजेब की तारीफ करने पर महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष अबू आजमी की मुसीबत बढ़ गई है। शिवसेना (शिंदे) ने अबू आजमी के खिलाफ मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है।

शिवसेना प्रवक्ता ने दर्ज कराया मामला

शिवसेना प्रवक्ता और पूर्व विधायक किरण पावस्कर कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। अबू आजमी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की गई है। इसके अलावा शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के की शिकायत के आधार पर ठाणे के वागले एस्टेट पुलिस स्टेशन में अबू आजमी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। माना जा रहा है कि सपा विधायक अबू आजमी की मुसीबत बढ़ने वाली है। पुलिस ने आजमी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 299, 302 और 356 के तहत मामला दर्ज किया है।

नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती इस वक्त फुल एक्शन में हैं। वह अचानक लिए फैसलों से सबको हैरान कर रही हैं। इस बार तो उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को ही पार्टी से निकाल दिया है। पहले आकाश आनंद को मायावती ने नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से हटाया और फिर सोमवार को उन्हें बसपा से ही बाहर निकाल दिया। उनके इस फैसले को पार्टी के अंदर पैदा हुए संकट से जोड़कर देखा जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट में पार्टी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि आकाश आनंद को मायावती ने उत्तराधिकारी घोषित किया था तो दिल्ली, राजस्थान समेत कई राज्यों का प्रभारी भी बनाया था। वह चुनाव की कमान संभाल रहे थे। उम्मीदवार उनके स्तर पर तय हो रहे थे तो वहीं प्रचार का भी वही नेतृत्व कर रहे थे। 2017 में आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार को मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके बाद 2019 में आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया। 2023 में उन्हें अपना राजनीतिक वारिस घोषित कर दिया। कुछ महीने सब ठीक चला, लेकिन लोकसभा चुनाव में आकाश के आक्रामक तेवरों और सीधे पीएम मोदी पर हमले को मायावती ने सही नहीं माना। उन पर एफआईआर हुई तो पद से ही हटा दिया। फिर से वापसी कराई गई तो आकाश को फिर सभी जिम्मेदारी मिल गई, लेकिन अब बाजी फिर पलट गई। बुआ मायावती ने आकाश से सारे पद छीने लिए हैं और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि आकाश का अपना एक गुट तैयार हो गया था। यह गुट मायावती के करीबी नेताओं की उपेक्षा कर रहा था। इससे बचने के लिए उन्होंने भतीजे को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनकी जगह पर अपने भाई आनंद कुमार को जिम्मेदारी सौंपी है और यह भी साफ कर दिया है कि कोई उनका राजनीतिक वारिस नहीं होगा। इस तरह उन्होंने सत्ता का कोई दूसरा केंद्र उभरने की संभावना ही खत्म कर दी है। रामजी गौतम को भी राष्ट्रीय संयोजक बनाया है, जो उनके बेहद करीबी हैं।
बसपा के कुछ नेताओं का कहना है कि आकाश आनंद को कमान मिली तो रामजी गौतम साइडलाइन हो गए थे। इसके अलावा भी मायावती के कई करीबी किनारे लगे थे। ऐसे में मायावती ने भतीजे को ही हटाना सही समझा ताकि कोई दूसरा गुट न उभऱ सके। पहले से कमजोर बसपा में गुटबाजी होना उनके लिए चिंता की बात है। आकाश पर एक आरोप फंड में गड़बड़ी का भी लगा है। मायावती ने उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को बाहर किया था और उनसे करीबी बनाए रखने की सजा भी उन्होंने भतीजे को दी है। इस तरह मायावती ने यह संदेश भी दिया है कि उनके लिए सब एक समान हैं। यदि कोई परिवार का है तो उसे वह कोई छूट नहीं देंगी।

 

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