नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 10 नवंबर को बुलाई गई है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक के एजेंडे को तय किया जा रहा है। बैठक में मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर घेरने के साथ ही अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले, असम में लागू किए गए एनआरसी और समान नागरिक संहिता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी नेता राय रखेंगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अभी से विवादित मुद्दों पर नेताओं से रायशुमारी कर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहती है ताकि बाद में अलग-अलग सुर न सुनाई दें। एनआरसी को लेकर पार्टी ने एक कमेटी का भी गठन किया है जो पूर्वोत्तर राज्यों में लोगों का पक्ष जानकर अपनी रिपोर्ट देगी। पार्टी भाजपा के किसी एजेंडे में न उलझकर अपना पक्ष रखना चाहती है। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस किस तरह प्रतिक्रिया जताए, पार्टी सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस पर भी विचार-विमर्श करना चाहती है। साथ ही बैठक में पार्टी संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर भी रणनीति तय करेगी। कांग्रेस संसद के अंदर और बाहर सरकार को घेरने के लिए विभिन्न मुद्दों को किस तरह उठाया जाए और विपक्षी पार्टियों को भी उसमें कैसे शामिल किया जाए, इसे भी तय करेगी।
राम जन्मभूमि विवाद पर अपना स्टैंड साफ करेगी कांग्रेस
अयोध्या पर फैसले से पहले रविवार को कांग्रेस कार्यकारी समिति, पार्टी की बैठक कर राम जन्मभूमि विवाद पर अपना स्टैंड साफ करेगी। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अपनी रणनीति को मजबूत करेगी और दशकों पुराने विवाद पर अपने रुख को स्पष्ट करेगी ताकि फैसले के बाद उसके नेता एक स्वर में बोलें। विश्व हिंदू परिषद के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि अयोध्या विवाद के मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के संभावित फैसले के मद्देनजर लोगों से हर स्थिति में संयम बरतने की अपील की जा रही है। उन्होंने हालांकि उम्मीद जतायी कि इस मामले में बरसों से चल रही मुकदमेबाजी का अंतिम परिणाम बहुसंख्यक समुदाय के पक्ष में आयेगा। गौरतलब है कि हिंदू समुदाय का एक बड़ा हिस्सा ये मानता है कि मुगल बादशाह बाबर ने 16वीं सदी में राम का मंदिर तुड़वाकर बाबरी मस्जिद बनवाया था। ऐसे में 1992 में कुछ कारसेवकों ने मिलकर बाबरी मस्जिद को तोड़कर तबाह कर दिया। इसके बाद से आजतक ये मामला अदालत में है कि दरअसल ये भूमि किस समुदाय की है।
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