पाकिस्तान इस समय बाढ़ में किस कदर डूबा हुआ है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उसका 80 प्रतिशत से ज्यादा भाग पानी-पानी हो चुका है। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, लगभग चार करोड़ लोग बेघर हो गये हैं, खाने-पीने का सामान नहीं बचा है, तंबू हैं नहीं कि कहीं बाहर ही उसे लगाकर बारिश से बचा जाये, पुल-पुलिया टूट चुके हैं, महंगाई आसमान पर है, हेलिकाप्टर में तेल डलवाने के लिए पैसे नहीं हैं जिससे कि राहत कार्यों को अंजाम दिया जा सके। नाव पर घूम-घूमकर कुछ इलाकों में रोटियों के टुकड़े फेंके जा रहे हैं जिससे लोग अपनी कुछ भूख मिटा सकें। पाकिस्तान किस कदर आर्थिक तंगी से जूझ रहा है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि मदद की गुहार सिर्फ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ही नहीं लगा रहे बल्कि पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष बाजवा भी लोगों से मदद की भावुक अपील कर रहे हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि देश में आपातकाल लगाना पड़ा है।
कर्ज में डूबे पाकिस्तान की इस मुश्किल समय में मदद के लिए उसका दोस्त चीन भी सामने नहीं आ रहा है। मुस्लिम देश भी बार-बार पाकिस्तान की मदद करके थक चुके हैं ऐसे में पाकिस्तान अब अपने पड़ोसी देश भारत से उम्मीद लगा रहा है। पाकिस्तान जानता है कि भारत की वह कितनी भी बुराई करे लेकिन पूरी दुनिया में यही एकमात्र देश है जो दुनिया में कहीं भी संकट के समय निस्वार्थ भाव से मदद करता है। पड़ोसियों को तो भारत अक्सर मदद देता ही रहता है। मॉलदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश इस समय भारत से मिल रही हर तरह की मदद के भरोसे ही दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की मदद करेगा?
जहां तक आपदा से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करने की बात है तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वह पाकिस्तान में बाढ़ से हुई तबाही को देखकर दुखी हैं। उन्होंने पड़ोसी देश में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद जताई है। उधर पाकिस्तान के लोग भी अब मोदी से ही मदद की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मोदी है तो सबकुछ मुमकिन है। जब पाकिस्तान के एक स्थानीय चैनल ने इस मुद्दे पर पाकिस्तानी जनता की राय जानी तो सभी ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी के नेतृत्व में भारत आकाश की बुलंदियों को छू रहा है। लोगों ने अपने यहां भी मोदी जैसा नेता होने की इच्छा जाहिर की। पाकिस्तानी जनता का कहना है कि भारत में जिस तरह आगामी चुनौतियों से निपटने की पहले ही तैयारी कर ली जाती है वैसा तंत्र अपने यहां भी बनना चाहिए। पाकिस्तानी जनता ने कहा कि अधिकतर समय फौजी शासन रहने की वजह से दुनिया के लोकतांत्रिक देश पाकिस्तान को सही नजर से नहीं देखते जबकि भारत के लोकतंत्र की हर जगह तारीफ होती है।
यहाँ हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि पाकिस्तानी जनता ही मोदी की तारीफ नहीं कर रही है बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तो हर मंच से भारत की वर्तमान सरकार की तारीफों के पुल बांधते हैं। मोदी की विदेश नीति के तो वह कायल हैं। इसके अलावा हाल ही में अपनी पार्टी की एक रैली को संबोधित करते हुए इमरान खान ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से भारत को खुले में शौच से मुक्त कराने को लेकर भी खूब सराहा। इमरान खान ने कहा कि मोदी ने एक अभियान चलाकर हर घर में टॉयलेट बनवा दिया लेकिन पाकिस्तान में घर में टॉयलेट सिर्फ अमीरों या पैसे वालों को ही नसीब होते हैं।
उधर, पाकिस्तान की कम होती हेकड़ी की बात करें तो खबर है कि भीषण बाढ़ के कारण खड़ी फसलों के पूरी तरह नष्ट होने के बीच भारत से सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थों का आयात कर सकता है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा है कि सरकार भारत से सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थ आयात करने पर विचार कर सकती है। हम आपको बता दें कि पड़ोसी देश में बाढ़ के कारण विभिन्न सब्जियों और फलों की कीमतों में भारी उछाल आ गया है। आपदा की वजह से बलूचिस्तान, सिंध और दक्षिण पंजाब से सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने अगस्त, 2019 में भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को कम कर दिया था।
बहरहाल, हाल ही में जिस तरह पाकिस्तान सरकार की ओर से नरम रुख के संकेत दिये जा रहे हैं उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि पाकिस्तान पलटी मारने में उस्ताद है। शहबाज शरीफ और बाजवा ने भारत से अच्छे संबंधों की बात तो कही है लेकिन यह पहल उन्हें ही करनी चाहिए। पाकिस्तान चाहे तो भारत में आतंक फैलाने के दोषियों को सजा देकर संबंध सुधारने की कवायद शुरू कर सकता है। लेकिन वह ऐसा करेगा नहीं। जहां तक पाकिस्तान के आर्थिक हालात की बात है तो फिलहाल उसके लिए कुछ राहत की खबर है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने पाकिस्तान के विस्तारित कोष सुविधा कार्यक्रम को फिर से बहाल करने को मंजूरी दे दी है। इससे नकदी संकट से जूझ रहे देश को 7वीं और 8वीं किस्त के रूप में 1.17 अरब डॉलर मिलेंगे। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कोई देश कब तक उधार मांग मांग कर अपना खर्च चला सकता है?
-नीरज कुमार दुबे