ओडिशा के पुरी स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के एक पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपनी जीवनलीला समाप्त करने की अनुमति मांगी है।
उन्होंने यह पत्र सुप्रीम कोर्ट द्वारा चार महीने पहले दिए गए उस सुझाव के परिप्रेक्ष्य में लिखा है, जिसमें कोर्ट ने सेवकों के वंशानुगत अधिकारों को खत्म करने का सुझाव दिया था और आदेश दिया था कि किसी भी भक्त को चढ़ावे के लिए पुजारियों द्वारा मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
मंदिर के पुजारी नरसिंह पुजापांडा का कहना है कि उनकी आय का एकमात्र स्रोत भक्तों के उपहार और मंदिर में किया गया दान था। उन्होंने बुधवार को अपनी याचिका में लिखा है, 'हम उनसे (मुख्य न्यायाधीश) विनती करते हैं कि इसे न रोकें, क्योंकि एक हजार साल से अधिक समय से ऐसा ही होता आ रहा है। अदालत और सरकार हमारी आय का एकमात्र स्रोत रोकने की कोशिश कर रही है। हम आय के बिना कैसे जीवित रहेंगे?'
उनका कहना है, 'अब सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर के सेवकों को भक्तों से दान न लेने को कहा है, यह तो जिंदा रहने के लिए लगभग असंभव है। मैंने ओडिशा सरकार से भी इच्छामृत्यु की मांग की थी, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। अब भूख से मौत की प्रतीक्षा करने से बेहतर है कि एक बार में मर जाएं।'