अमेरिका हर साल पाकिस्तान को अरबों डॉलर्स देता रहा है, लेकिन पाकिस्तानी सरकार नें हर बार अमेरिका की आँखों में सिर्फ धुल झौकनें का काम किया है. डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद दो साल पहले जब से अमेरिका नें पाकिस्तान को फण्ड देनें से मना किया. उसके बाद से ही पाकिस्तान के बर्बादी के दिन शुरू हो गये. आपको बता दें कि पाकिस्तान के पास अमेरिका जानें के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. डोनाल्ड ट्रम्प नें साफ कह दिया है कि वे इस बार पाकिस्तान के किसी भी झांसे में नहीं आयेंगे.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और डोनाल्ड ट्रम्प के मुलाक़ात की सबसे खास बात जो उभर कर आई है वो ये है कि अफगानिस्तान में रह रहे अमेरिकी सैनिकों को वापिस कैसे लाया जाये. इस वक्त अफगानिस्तान में करीब 14 हज़ार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. अमेरिकी सैनिक तालिबान के खिलाफ अफगानी सेना की मदद कर रहे हैं. और बता दें कि अमेरिकी सेना वहां अफगानिस्तानी फ़ौज को ट्रेनिंग भी दे रही है. वहीँ अमेरिका करीब 7 हज़ार अमेरिकी सैनिको की तत्काल वापिसी चाहता है. लेकिन अमेरिकी सैनिकों के 18 साल की ट्रेनिंग के बाद भी ऐसा नहीं लगता की अफगानी सैनिक बिना अमेरिका के मदद के तालिबानी आतंकियों का सामना कर सकें.
ऐसे में अमेरिकी सैनिकों का अफगानिस्तान से लौटना बहुत सी चुनौतिया कड़ी कर सकता है. अमेरिका के सैनिक अगर वापिस आते हैं तो तालिबानी आतंकियों का हौसला और बढेगा और हो सकता है कि अफगानिस्तान में तालिबानी लोगों को सरकार में साझेदारी बढ़ जाये. अभी तो इसं सब का सिर्फ कयास ही लगाया जा सकता है. वहीँ अफ़ग़ानिस्तान ईराक और सीरिया के आई.एस.आई.एस. आतंकियों का भी नया अड्डा बन सकता है. अमेरिकी सरकार इन साड़ी बैटन को समझती है कि अधिकतर तालिबानी आतंकी पाकिस्तान के समर्थक हैं. इमरान खान नें कुछ समय पहले ही तालिबानियों से पाकिस्तान के रिश्तों को भी कबूला था. और एक बार तो इमरान खान नें खुद काबुल किया था कि तालिबानी आतंकी पाकिस्तानी ही हैं.
यहाँ क्लिक कर, हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें
नीचे दिए स्टार्स पर हमारी खबर को रेटिंग दें, और कमेंट बॉक्स में कमेंट करना न भूलें.
खबरों के साथ बनें रहे और ये भी पढ़े :