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सरगुजा छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में बुधवार सुबह घना कोहरा छाया रहा. बता दें कि मैनपाट अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए और बौद्ध संस्कृति के संवर्धन के लिए सारे देश में प्रचलित है. मैं पट को छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. धुंध और कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाने के कारण वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

बाइक चालकों को तो पैदल बाइक ले जाते देखा गया. मैनपाट में बारिश के सीजन में धुंध और कोहरा अक्सर छाया रहता है. बारिश के बाद इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए शहर सहित जिले के अधिकांश क्षेत्रों से लोग पहुंचते हैं. इस सीजन में भी मैनपाट पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ गई है.

मैनपाट में इन दिनों बाहर से आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ने से चहल पहल भी बढ़ गई है. अभी मौसम ऐसा हो गया है मानो बादल जमीन पर उतर आए हो.

आइये मैनपाट के बारे में जानते हैं और भी विशेषता

अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर है इसे छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है. मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है, जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है. इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है. अम्बिकापुर से मैंनपाट जाने के लिए दो रास्ते हैं. पहला रास्ता अम्बिकापुर-सीतापुर रोड से होकर जाता और दुसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैंनपाट तक जाता है. प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर यह एक सुन्दर स्थान है. यहां सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं. मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम हुआ है. मैनपाट में मेहता प्वांइट भी एक दर्शनीय स्थल है.

इसे छत्तीसगढ का तिब्बत भी कहा जाता हैं. यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौध मंदिर आकर्षण का केन्द्र है. यहां पर एक सैनिक स्कूल भी प्रस्तावित है. यह कालीन और पामेरियन कुत्तो के लिये प्रसिद्ध है.

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