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भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सूरत, अहमदाबाद में शुरू हुए जल संचय-जन-भागीदारी अभियान की आज मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी शुरूआत हो रही है। खजुराहो, सागर, रीवा के बाद उज्जैन से भी इस अभियान का शुभारंभ हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी युवा शक्ति जब इस कार्य से जुड़ेगी तो हम धरती माँ को उपहार देंगे, इस प्रक्रिया से जल के भंडार मे वृद्धि होगी। जल संचय हमारी समस्याओं को हल करने का सबसे बेहतर साधन है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि देश में चलाये जा रहे अभियान में समाज-सेवियों की सहभागिता से आमजन में भी जागरूकता आ रही है।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश में निवेश आकर्षित करने जाएंगे जापान
निवेश प्रोत्साहन के लिए 11 विभागों की 21 नीतियों पर कार्य जारी
फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से पहले लागू होंगी नीतियां
ग्वालियर मेला और विक्रमोत्सव उज्जैन में मोटरयान करों में छूट के आदेश जारी
लोकमाता देवी अहिल्या को समर्पित केबिनेट 24 जनवरी को महेश्वर में होगी
युवा शक्ति मिशन के बाद प्रदेश में क्रियान्वित होगा गरीब कल्याण मिशन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रि-परिषद की बैठक के पहले मंत्रीगण को किया संबोधित


हमारी सरकार का ध्येय है विकास, विकास और विकास
हर एक खेत को मिलेगा सिंचाई के लिए पानी
वृहद राजधानी परियोजना के लिए बनाया जाएगा मास्टर प्लान
विदिशा नगर पालिका बनेगी नगर निगम, मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल होंगे एक
मुख्यमंत्री ने विदिशा में 177 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों का किया भूमि पूजन एवं लोकार्पण
प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को कराया गृह प्रवेश
लखपति दीदियों को किए प्रमाण पत्र वितरित


"सर्वे भवंतु सुखिनः" की सनातन संस्कृति को चरितार्थ करते हैं, उद्योगपति
शहडोल कॉन्क्लेव में 32,520 करोड़ के निवेश प्रस्ताव हुए प्राप्त
30 हजार से अधिक का होगा रोजगार सृजन
सरलता, सुगमता के साथ व्यापार व्यवसाय हमारी औद्योगिक नीति
प्रदेश में एक-एक युवा को उसकी योग्यता, दक्षता के अनुरूप मिलेगा रोजगार
विकास का अर्थ केवल भौतिक अधोसंरचनात्मक विकास नहीं बल्कि सभी वर्गों का है कल्याण भी
उद्योगपति और निवेशकों के साथ हुआ नीति-संवाद
51 हेक्टेयर में विकसित होने वाले औद्योगिक पार्क गोहपारू का हुआ भूमि-पूजन
18 हजार करोड़ लागत और 1600 मेगावॉट क्षमता के थर्मल प्लांट के लिये हुआ अनुबंध
102 इकाइयों को 401 एकड़ भूमि के आवंटन आदेश किये वितरित
शहडोल आरआईसी में उद्योगपति और निवेशकों ने दिखाई विशेष रूचि


केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। साल की शुरुआत होते ही केंद्र सरकार की तरफ से खुशखबरी मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 तक होगा। लेकिन, उसके बाद 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाएगा। केंद्रीय कर्मचारियों की यह मांग ऐसे समय पूरी हुई है, जब बार-बार यह आशंका जताई जा रही थी कि 8वां वेतन आयोग नहीं आएगा। पहले से ही माना जा रहा था कि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद ही 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिलेगी। नया वेतन आयोग बनेगा और वेतन संशोधन भी होगा। हालांकि, इसे कब लागू किया जाएगा, इसकी कोई डेडलाइन नहीं है।

लेबर यूनियन की तरफ से लगातार बढ़ रहे दबाव के चलते सरकार ने उन्हें खुश कर दिया है। अगले वेतन आयोग के गठन पर फैसला हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मंजूरी दे दी है। अभी तक 8वें वेतन आयोग को लेकर संशय बना हुआ था। अब 7वें वेतन आयोग के बाद अगले वेतन आयोग की तैयारी की जा रही है। सरकार ने भी इसकी पुष्टि कर दी है।

केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में आएगा भारी उछाल

सूत्रों की मानें तो सैलरी में सबसे बड़ा इजाफा होगा। इतना जरूर कहा जा सकता है कि मामला आगे बढ़ रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि नए वेतन आयोग में क्या आएगा और क्या नहीं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। क्योंकि, इसकी पूरी जिम्मेदारी वेतन आयोग के चेयरमैन की होगी। नए वेतन आयोग के चेयरमैन की घोषणा भी साल 2026 में की जा सकती है। उनकी देखरेख में कमेटी बनेगी और उसके बाद सैलरी बढ़ाने के लिए कौन सा फॉर्मूला अपनाया जाए, इसकी तस्वीर साफ हो सकती है।

8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिल गई है। अब इसका गठन साल 2026 से पहले हो जाएगा। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसकी सिफारिशों को लागू किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक, अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में भारी उछाल आने की संभावना है। 7वें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कई बदलाव संभव हैं। फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। आपको बता दें, अब तक सरकार 10 साल में एक बार वेतन आयोग का गठन करती है।

कितनी बढ़ेगी सैलरी?

7वें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की लॉटरी लगने वाली है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो कर्मचारियों की सैलरी में सबसे बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर बढ़कर 3.68 गुना हो जाएगा। साथ ही फॉर्मूला जो भी हो, कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 44.44% का इजाफा हो सकता है।


केन्द्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने वाला है। केन्द्रीय बजट से पहले मोदी सरकार ने आज आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देकर अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है।

मोदी सरकार के इस कदम से लाखों-करोड़ों सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने की पूरी संभावना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोदी सरकार के इस फैसले की आज जानकारी दी है। अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी गई है।

इस दौरान उन्होंने बताया कि 1947 से अब तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस दौरान बताया कि 2016 में सातवां वेतन आयोग शुरू हुआ था, जो2026 तक चलना था, लेकिन उससे एक साल पहले ही केन्द्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूर कर दिया गया है। सातवें वेतन आयोग सिफारिशों को मोदी सरकार द्वारा लागू किया था। नए साल में केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए ये किसी सौगात से कम नहीं है।

 

 

देशवासियों के हित में केन्द्र सरकार की ओर से कई योजनाओं का संचालन किया रहा है। उन्हीं में से एक अटल पेंशन योजना भी है, जिसके माध्यम से लोग 1 से लेकर 5 हजार रुपए प्रतिमाह तक की पेंशन हासिल कर सकते हैं।

केन्द्र सरकार की ओर से संचालित अटल पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए पहले आपको निवेश करना होता है। इसके बाद लाभार्थी को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने पेंशन मिलेगी। आप नजदीकी किसी बैंक की ब्रांच में जाकर योजना में अपना खाता खुलासा सकते हैं।

आपको यहां पर प्रीमियम के साथ ही प्लान का चयन करना होगा। इसके बाद आपको हर महीने कुछ राशि का निवेश करना होगा। फिर आप साठ साल के बाद 1 से लेकर 5 हजार रुपए प्रतिमाह तक की पेंशन हासिल करने के पात्र बन जाएंगे। इस पेंशन के शुरू होने के बाद आपको बुढ़ापे में किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

 


नई दिल्ली । डबलिन मुख्यालय वाले एआई-सुरक्षा स्टार्टअप इंस्पेक एआई ने बेंगलुरू में अपना पहला कार्यालय खोल ‎लिया है। कंपनी के बयान के अनुसार कार्यालय में 25 कर्मचारी हैं। अगले कुछ महीनों में इंजीनियरिंग संचालन व ग्राहक-सामना करने वाली भूमिकाओं में अतिरिक्त 50 कर्मचारियों की नियुक्ति करने की योजना है। यह कंपनी का तीसरा वैश्विक कार्यालय है। कंपनी के डबलिन और लंदन में भी कार्यालय हैं। इंस्पेक एआई डेवलपर को अपने एंटरप्राइज एआई अनुप्रयोगों में एआई को सुरक्षित तथा जिम्मेदारी से एकीकृत करने में मदद करने के लिए ‘एलएलएम ऑप्स’ मंच प्रदान करती है। साथ ही साथ इन अनुप्रयोगों में सुधार भी करती है।

रायपुर : राजनांदगांव जिले के ग्राम जंगलेशर में खेतों की हरियाली और पीली सरसों के फूलों की मनोहारी छटा केवल प्रकृति की खूबसूरती नहीं, बल्कि किसानों के जीवन में आए सकारात्मक बदलाव की कहानी बयां कर रही है। फसल चक्र परिवर्तन और शासन की योजनाओं के लाभ से प्रेरित होकर, यहां के किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर मक्का, सरसों और गेहूं जैसी लाभदायक फसलों की ओर कदम बढ़ाए हैं।

धान की परंपरागत खेती से हटकर इस बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं प्रगतिशील किसान अशोक रामचंद्र गुप्ता, अमित गुप्ता और प्रसन्न कुमार जैन, जिन्होंने अपने कुल 50 एकड़ खेत में मक्का, 15 एकड़ में सरसों और 30 एकड़ में गेहूं की फसल लगाई है। इन किसानों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर यह साबित किया है कि कम पानी और कम लागत में भी बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है।

सरसों की खेती में प्रति एकड़ मात्र 5 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि उत्पादन 6-7 क्विंटल तक पहुंचता है, जिससे किसानों को लगभग 40-42 हजार रुपये का शुद्ध लाभ होता है। इसी तरह, मक्का की खेती से 60 हजार रुपये और गेहूं से 30 हजार रुपये प्रति एकड़ की आय हो रही है।

शासन द्वारा किसानों को मक्का और सरसों का उच्च गुणवत्ता वाला बीज निःशुल्क प्रदान किया गया है। साथ ही, कीट प्रबंधन और फसल देखभाल की तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसका नतीजा यह है कि किसान अब धान की पानीखपत वाली खेती से हटकर मक्का, गेहूं और सरसों जैसी फसलों को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं।

जिला प्रशासन और कृषि विभाग द्वारा फसल चक्र परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए जल संवर्धन, स्वच्छता और संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य किसानों को कम पानी की जरूरत वाली फसलों की ओर आकर्षित करना है। इस बदलाव से न केवल पानी की बचत हो रही है, बल्कि जमीन की उर्वरता भी बनी हुई है। किसान अब चना, दलहन-तिलहन और उद्यानिकी फसलों को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।

किसान अशोक रामचंद्र गुप्ता कहते हैं, धान के बदले मक्का और सरसों की खेती करने का फैसला सही साबित हुआ। कम लागत और कम मेहनत में अच्छा मुनाफा हो रहा है। वहीं, अमित गुप्ता का मानना है कि शासन की योजनाओं से हमें खेती के नए आयाम मिले हैं। ग्राम जंगलेशर की यह कहानी न केवल जिले के किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से खेती के तौर-तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। पीली सरसों की मुस्कान और मक्के की महक अब हर किसान के जीवन में खुशहाली का प्रतीक बन रही है।

रायपुर :मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के सुशासन में छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के लिए शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत बालोद जिले के बुधवारी बाजार में कैंटिन का संचालन हो रहा है। इस योजना के माध्यम से श्रमिकों को मात्र पांच रुपये में भरपेट स्वादिष्ट और गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

बालोद स्थित सब्जी मंडी परिसर में संचालित इस कैंटिन में श्रमिकों को चावल, दाल, सब्जी, पापड़, सलाद, अचार और रायता परोसा जा रहा है। श्रमिकों के लिए बैठने और खाने की बेहतर व्यवस्था भी की गई है। सप्ताह भर अलग-अलग सब्जी और दाल के साथ तैयार मेन्यू के अनुसार भोजन परोसा जाएगा। इस योजना का लाभ पंजीकृत श्रमिक अपने श्रमिक कार्ड दिखाकर उठा सकते हैं। वहीं, जो श्रमिक अभी तक पंजीकृत नहीं हुए हैं, वे कैंटिन में ही अपना श्रम पंजीयन कराकर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

मुख्यमंत्री की श्रमिकों के प्रति संवेदनशीलता और उन्हें रियायती दर पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए कैंटिन शुरू करने की इस पहल की श्रमिकों ने सराहना की है। श्रमिक जयप्रकाश ने कहा, यह कैंटिन मजदूर वर्ग के लिए बेहद मददगार साबित हो रहा है। अब मजदूर पांच रुपये में गरम और स्वादिष्ट भोजन प्राप्त कर सकते हैं। हरीश कुमार ने कहा, गांव से सब्जी बेचने और खरीदने आने वाले लोगों को अब भोजन के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। यह सुविधा हमारे लिए बहुत लाभकारी है। तरुण साहू ने मुख्यमंत्री की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, पहले 15-20 रुपये में स्वल्पाहार मिलता था, लेकिन अब पांच रुपये में भरपेट भोजन करना संभव हो गया है। मुख्यमंत्री जी ने मजदूरों की सेवा का बेहतरीन कार्य किया है।

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