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बंगलुरु कर्नाटक में राजनीति के गलियारे में इस्तीफों की राजनीति खेली जा रही है, कोई इसे ऑपरेशन लोटस (कमल) कह रहा है तो कोई अपना निजी फैसला, मामला कुछ ये है कि शनिवार को कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के 14 विधायकों ने पद से इस्तीफा दे दिया. अब तक 11 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार की मेज पर हैं. पहले खबर थी कि इस्तीफा देने वाले 14 में से 10 विधायक स्पेशल फ्लाइट से गोवा रवाना हुए है लेकिन बाद में पता चला की सभी विधायक मुंबई चले गए हैं. विधायकों के इस कदम के बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है और सरकार गठन को बेताब बीजेपी के लिए रास्ता आसान होता नजर आ रहा है. रमेश कुमार ने कहा कि वह इन इस्तीफों पर मंगलवार को फैसला करेंगे. खबर है कि स्पीकर के पास 3 और इस्तीफे पहुंचें हैं लेकिन इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है.

जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी करने ही मना कर दिया तो वहीं कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के राज्य प्रभारी केसी वेणुगोपाल, बेंगलुरु पहुंचे और वहां कांग्रेस के विधायकों से मुलाकात की. खबर है कि कांग्रेस के विधायकों को शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात स्पेशल फ्लाइट से किसी दूसरे राज्य में भेज दिया जाएगा.

आंकड़ों की सच्चाई क्या कहती है

शनिवार को हुए इस्तीफों से पहले कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं, बहुमत के लिए 113 विधायक चाहिए. फिलहाल बीजेपी के 105 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 37 विधायक हैं. इस तरह से दोनों के पास कुल 117 विधायक हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय विधायक भी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं.

पिछले दिनों कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफा देने और एक विधायक को निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 77 रह गई है. कांग्रेस-जेडीएस की संख्या 114 रह गई है. वहीं, बीजेपी पहले से ही दावा कर रही है कि कांग्रेस के 6 और जेडीएस के 2 विधायकों का गुप्त रूप से समर्थन मिला हुआ है, जो जल्द ही इस्तीफा देंगे.

बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने के लिए लगातार दावे कर रही है. जेडीएस-कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से कुमारस्वामी की मुश्किलें बढ़ रही हैं, लेकिन बीजेपी अभी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. क्योकि बीजेपी के पास अपनी 105 सीटें हैं ऐसे में उन्हें सिर्फ 1 विधायक की जरूरत है. अगर सभी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाते हैं तो एक ओर जहां बीजेपी के लिए सरकार बनाने के मौका बढ़ जाएगा वहीं कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर जाएगी.

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