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  • कर्नाटक में विश्वास मत के लिए हुए वोटों की गिनती कर ली गयी है,
  • साफ़ तौर पर ये कहा जा सकता है कि कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार अब गिर गयी.

बंगलुरु : आरोप लगे, विपक्ष के प्रत्यारोप हुए लेकिन अंत में संसद भवन में भाजपा की जीत हुई. बता दें कि कांग्रेस और जे.डी.एस. गठबंधन के लिए ये बहुत बड़ा झटका है. Read

  • कर्नाटक पर सुप्रीम कार्ट का फैसला कल आएगा
  • आज के फ्लोर टेस्ट में नतीजा न निकला, तो कल सुप्रीम कार्ट में फैसला.

News Creation (Politics) : कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.Read

News Creation : कर्नाटक में आये राजनैतिक संकट के के लिए  हमारा संविधान क्या कहता है, कर्नाटक में अगर बिना इस्तीफा स्वीकार किए बहुमत साबित करने की स्थिति बनती है, तो उन बागी विधायकों को पार्टी व्हिप की अवहेलना करने पर विधानसभा में उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.

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भारत का संविधान 

आइये आज जानते हैं कि किन परिस्थितियों में एक विधायक या सांसद अपने पद से इस्तीफा दे सकता है, और उसे किन स्थितियों में स्वीकार किया जा सकता है.

संविधान के आर्टिकल 190 में विधायकों या सांसदों के इस्तीफे पर दिशानिर्देश दिए गए हैं. इसी आर्टिकल में स्पीकर या किसी दूसरे प्रिजाइडिंग ऑफिसर को ये अधिकार दिया गया है, आइये जानतें हैं कि विधायकों और सांसदों के इस्तीफों के लिए हमारे संविधान में क्या कहा गया है-

  • स्पीकर चाहें तो इस्तीफा अस्वीकार कर सकते हैं. स्पीकर इस्तीफे की बाबत जांच करवा सकते हैं. इस्तीफा देने के पीछे वाजिब कारण होने चाहिए. अगर स्पीकर को लगता है कि इस्तीफा सही वजहों से नहीं दिया जा रहा है. अगर वो स्वैच्छिक या वास्तविक नहीं है तो स्पीकर इस्तीफे का नामंजूर कर सकते हैं.
  • विधायकों या सांसदों के अपने पद छोड़ने के कुछ और तरीके भी हैं. मसलन वो बिना अनुमति के हाउस की कार्यवाही से लगातार 60 दिन तक गैरहाजिर हो सकता है. ऐसी स्थिति में भी हाउस को ही ये फैसला लेना होता है कि ऐसे सदस्य की सदस्यता रद्द की जाए या नहीं.
  • इस बारे में एक व्यवस्था दल-बदल कानून की भी है. इस कानून के मुताबिक एक विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द की जा सकती है, अगर वो स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ना चाहता हो या फिर उसने हाउस में वोटिंग की परिस्थिति में पार्टी लीडरशिप के निर्देशों की अवहेलना करता हो.
  • दलबदल कानून 1985 में बना है. इसका मकसद विधायकों या सांसदों का बार-बार पार्टी बदलने से रोकना है. 1985 के पहले ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें विधायकों या सांसदों ने विधानसभा या लोकसभा का सदस्य रहते हुए अपनी पार्टी बदल ली. हरियाणा के एक विधायक गया राम ने 9 घंटे के भीतर 3 बार पार्टी बदली थी.

KarnatakaSpeakerRameshKumar

इसकारण कर्नाटक में जिन विधायकों नें इस्तिफें दियें हैं, उनपर स्पीकर कड़ी कार्यवाही भी कर सकतें हैं.

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कर्नाटक में विधायकों के इस्तीफे के बारे में सोनिया गाँधी नें ये फैसला लिया, पढ़िये रिपोर्ट

कर्नाटक में तेज़ हुई सियासी जंग, दिन भर के नाटक का ब्यौरा पढ़े,

 

  • मुंबई के पवाई इलाके के होटल रेनेसां में रुके हैं, सभी विधायक
  • सुप्रीम कार्ट के आदेश के बाद,
  • विमान से बंगलुरु रवाना होंगे
  • 6 बजे सरे बागी विधायक मिलेंगे, विधानसभा अध्यक्ष से

मुंबई : बागी विधायकों से मिलने पर अड़े कर्नाटक सरकार के संकटमोचक डी. के. शिवकुमार को मुंबई पुलिस ने हिरासत में ले लिया. बता दें कि शिवकुमार बागी कांग्रेसी विधायकों से मिलनें की जिद पर अड़े हुए थे, लेकिन उन्हें नहीं मिलने दिया गया, उनके खिलाफ कार्यकर्ताओं नें शिवकुमार वापिस जाओ के नारे भी लगातार लगते रहे, उन्होंने कहा, 'मैं अपने खिलाफ नारेबाजी से नहीं डरता. सुरक्षा के खतरे के कारण अंदर जाने नहीं दिया जा रहा। मैं महाराष्ट्र सरकार का बहुत सम्मान करता हूं. मेरे पास हथियार नहीं हैं।' वह भारी बारिश के बीच होटल के बाहर विधायकों से मिलने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, बागी विधायकों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया.

वहीं, कर्नाटक राजभवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया. कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की याचिका पर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी वकील होंगे.

ऐसा भी होता है-

जहां एक तरफ कर्नाटक गठबंधन की सरकार में जे.डी.एस. और कांग्रेस में नए नए नाटक हो रहे हैं वहीँ दूसरी ओर भाजपा भी रोज़ नए नये आरोप प्रत्यारोप लगा रही है. बता दें की मुंबई के एक आलिशान होटल में जहां सभी बागी विधायक रुके हुए हैं, उस होटल के बाहर कर्नाटक के वरिष्ट कांग्रेसी नेता, डी. के. शिवकुमार को विधायकों से मिलने के लिए भारी बारिश में होटल के बाहर ही बहुत देर तक इंतज़ार करना पड़ा, उन्हें होटल के बाहर ही रोक दिया गया था.

जे.डी.एस. के वरिष्ट नेता डी.के. शिवकुमार नें बताया की उन्होनें उस होटल में अपने और जे. डी. एस. के अन्य विधायकों के लिए होटल बुक करवाया था, मगर उन्हें अन्दर जानें नहीं दिया गया. शिवकुमार ने कहा कि पुलिस उन्हें कह रही है कि उनके नाम से कोई कमरा बुक नहीं है लेकिन मंत्री ने जोर दिया कि उन्होंने होटल में अपने नाम से एक कमरा बुक कराया था। वहीँ दूसरी ओर मंगलवार आधी रात में 12 बागी कांग्रेसी विधायकों में से 10 नें पुलिस को पत्र लिखकर मुम्बई पुलिस से सुरक्षा मांगी है. उन्होनें अपने पत्र में जान का खतरा होनें की बात कही है और डी. के. शिवकुमार को होटल में न आने देने की दरख्वास्त की बात लिखी है.

अब सुप्रीम कार्ट के आदेश के बाद सारे विधायकों को शाम 6 बजे विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से मिलना है

 

बंगलुरु * कर्नाटक एच. डी. कुमारस्वामी की सरकार गिरता देख, सोनिया गांधी नें कमर कास ली है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोनिया गाँधी नें मामले की गंभीरता को देखते हुए, कांग्रेस के दो केन्द्रीय नेताओं को बेंगलुरु भेजा है.

कर्नाटक में जे.डी.एस. और कांग्रेस की गठबंधन पर संकट आ गया, जब वह लगातार विधायकों नें इस्तीफों का दौर शुरू कर दिया. हालाँकि विधानसभा के अध्यक्ष रमेश कुमार नें अब तक विधायकों द्वारा दिए इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं लिया है, पर कांग्रेस पार्टी नें अपनी तरफ से मामले को गंभीरता से लेते हुए, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) चेयरपर्सन सोनिया गाँधी नें पार्टी के दो बड़े नेता गुलाम नबी आज़ाद और बी. के. हरिप्रसाद को कर्णाटक तलब किया है.

कांग्रेस की तरफ से ये दोनों नेता कर्णाटक में इस्तीफे का मसला हल करेंगे. के. सी. वेणुगोपाल नें गुलाम नबी आज़ाद के आने के बारे में जानकारी दी कि ‘मैंने ही उन्हें यहाँ बुलाया है, क्योकि यहाँ उनकी बहुत ज़रूरत है. इस मसले को वे सम्हाल सकते है”

मामला दरअसल ये था कि मंगलवार को कर्नाटक के 13 विधायकों नें विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के समक्ष अचानक ही इस्तीफा भेजा, उन 13 बागी विधायकों में से 10 कांग्रेसी विधायक थे. विधायकों के इस्तीफे के कारण कर्नाटक में कांग्रेस और जे. डी. एस. का गठबंधन तुत्नें के कयास लगाए जा रहे हैं. अगर औसा होता है, तो सीटों के आधार पर वहां भाजपा की सरकार बनना तय माना जा रहा है.

मंगलवार को ही कांग्रेस नें विधायक दल की बैठक बुलाई थी इसमें कांग्रेस के 10 विधायक नहीं पहुंचे थे. एनी सभी विधायक वहां मौजूद थे. अनुपस्थित 10 विधायकों नें ही इस्तीफा देने की पेशकश की थी.

लेकिन अब तक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार नें यही कहा है कि उनके पास अब तक एक बी विधायक का इस्तीफा नहीं पहुंचा है.

इस मामले में शुरू से ही कांग्रेस की तरफ से बयान दिया जा रहा है कि बागी विधायकों की वजह से कर्नाटक सरकार को कोई नुक्सान नहीं होगा.

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