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  • अक्टूबर से पहले अप्रैल में भी जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था
  • वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भी कहा गया कि जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ

नई दिल्ली. अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए रहा। जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी बार 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्शन रहा है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में जीएसटी से सरकार को 1.03 लाख करोड़ रुपए मिले थे। सितंबर में यह कलेक्शन 94,442 करोड़ रुपए था। एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू हुआ था।

 

सरकार को नवंबर-दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद थी। लेकिन, अक्टूबर में ही उसे कामयाबी मिल गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जीएसटी की कम दरों, देशभर में एक टैक्स की व्यवस्था और दूसरे टैक्स सुधारों की वजह से यह कामयाबी मिली।

 

अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए

सीजीएसटी 16,464 करोड़ रुपए
एसजीएसटी 22,826 करोड़ रुपए
आईजीएसटी 53,419 करोड़ रुपए
सेस 8,000 करोड़ रुपए

 

अक्टूबर में सेटलमेंट के बाद केंद्र सरकार को 48,954 करोड़ रुपए और राज्यों को 52,934 करोड़ रुपए मिले। वित्त मंत्रालय के मुताबिक सितंबर महीने के लिए कुल 67.45 लाख जीएसटीआर दाखिल किए गए।

 

केरल में टैक्स कलेक्शन 44% बढ़ा

राज्य टैक्स कलेक्शन ग्रोथ
केरल 44%
झारखंड 20%
राजस्थान 14%
उत्तराखंड 13%
महाराष्ट्र 11%

 

पिछले महीनों में जीएसटी के आंकड़े

महीना जीएसटी कलेक्शन (रुपए करोड़)
सितंबर 94,442
अगस्त 93,960
जुलाई 96,483
जून 95,610
मई 94,016
अप्रैल 1,03,458

 

वर्ल्ड बैंक ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी से आया

बुधवार को जारी हुई वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत को 77वीं रैंक दी गई। भारत की रैंकिंग में एक साल में 23 पायदान का सुधार हुआ। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी के जरिए आया है। पिछले साल की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया था। जीएसटी ने कारोबार की शुरुआत करना आसान बना दिया है, क्योंकि इसमें कई सारे एप्लीकेशन फॉर्म को इंटिग्रेट कर एक सिंगल जनरल इनकॉर्पोरेशन फॉर्म लाया गया है। इससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज हुई है।

लगातार लचर प्रदर्शन के कारण दबाव झेल रहे महेंद्र सिंह धोनी आज कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। भारत और वेस्टइंडीज के बीच पांचवा एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच इस साल का आखिरी एकदिवसीय मुकाबला है। इस मुकाबले के बाद अगला एकदिवसीय 2019 में होगा। धोनी को वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 श्रृंखलाओं के लिये भारतीय टीम में नहीं चुना गया है। धोनी पिछले कुछ समय से वनडे में बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे हैं। इसी को देखते हुए कहा जा रहा है कि शायद धोनी इस बीच में अपने क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा कर दें। 

यह भी कहा जा रहा है कि पूर्व कप्तान के लिये अगले साल इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप तक राह उतनी आसान नहीं होगी। राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने उन्हें सीमित ओवरों के दो में से एक प्रारूप में बाहर करके पहले संकेत दे दिये हैं। धोनी ने 2018 में सात टी20 मैच खेले और उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 28 गेंद में नाबाद 52 रन की रही। बाकी छह पारियों में उन्होंने 51 गेंद में 71 रन बनाये। इंग्लैंड में विश्व कप में धोनी विकेटकीपर के तौर पर पहली पसंद होंगे लेकिन पर वेस्टइंडीज के खिलाफ मौजूदा श्रृंखला में भी उनका अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा। 
 
बीसीसीाई धोनी के  चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद विकेटकीपर के रूप में दूसरे विकल्प पर बात कर चुके हें और ऋषभ पंत पर टीम प्रबंधन ने भरोसा जताया है। अब सवाल यह है कि बाकी तीन मैचों में धोनी का बल्ला नहीं चल पाता है तो क्या होगा। 
मुंबई। शुरूआती कारोबार में बृहस्पतिवार को शेयर बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है। सेंसेक्स में करीब 150 अंक की तेजी रही। बंबई शेयर बाजार का 30 कंपनियों के शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 149.36 अंक यानी 0.44 प्रतिशत चढ़कर 34,591.41 अंक पर चल रहा है। बुधवार को इसमें 550.92 अंक की बढ़त दर्ज की गई थी।
इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 55 अंक यानी 0.49 प्रतिशत की बढ़त के साथ 10,441.60 अंक पर चल रहा है। ब्रोकरों के अनुसार घरेलू संस्थागत निवेशकों की लगातार लिवाली से शेयर बाजार को समर्थन मिला। इसके अलावा सकारात्मक वैश्विक संकेत के बीच कंपनियों के उम्मीद से बेहतर तिमाही परिणामों ने भी बाजार में धारणा मजबूत की है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को राष्ट्रपति के एक निर्देश में कहा कि उन्होंने निर्धारित किया है कि देशों के लिये पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति इतनी पर्याप्त है कि वे ईरान से कच्चे तेल की खरीद को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अमेरिका पहले की कह चुका है कि पांच नवंबर से ईरान से कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले मई, 2018 में ट्रंप ने खुद को 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग कर लिया था। इस समझौते के तहत ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने के एवज में आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिली थी। समझौते से बाहर निकलने के तुरंत बाद ट्रंप ने ईरान के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर हस्ताक्षर किया था।
 
अपने निर्देश में ट्रंप ने कहा है कि ईरान के अलावा अन्य देशों से पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर्याप्त है और यह ईरान या अन्य विदेशी वित्तीय संस्थानों के माध्यम से खरीदे जाने वाले पेट्रोलियम या पेट्रोलियम उत्पादों की मात्रा में पर्याप्त कमी लाने के लिए काफी है। यह कोई शासनादेश नहीं है, बल्कि एक तरह का निर्देश है जो व्हाइट हाउस द्वारा उनके प्रशासन के सदस्यों कुछ नीतिगत मामलों पर जारी किया गया है।

गौरतलब है कि ट्रंप ने भारत सहित ईरान से तेल खरीदने वाले अन्य सभी देशों को निर्देश दिया है कि वे चार नवंबर तक कच्चे तेल का आयात पूरी तरह बंद कर दें, अन्यथा उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। भारत ने 1.30 अरब की आबादी की ऊर्जा जरूरतों का हवाला देते हुए इस संबंध में अपनी असमर्थता जतायी है। भारत की ऊर्जा आवश्यकता का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आयातित तेल से पूरा होता है। लेकिन साथ ही भारत ने ईरान से कच्चे तेल के आयात में भारी कमी भी की है।
 
हाल ही में अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में भारत से बातचीत भी की थी। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया। व्हाइट हाउस ने अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं दिया है कि ईरान से कच्चे तेल की खरीद में भारत द्वारा की गई कमी क्या भारी कटौती मानी जाएगी। ट्रंप का कहना है कि वह स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखेंगे।

 
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि गैर अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने के साथ ही मिलने वाली नागरिकता के अधिकार को खत्म करने के लिये किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे शासकीय आदेश के जरिये भी किया जा सकता है। आप्रवासन के मुद्दे पर कठोर रुख अपनाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को गैर अमेरिकी माता-पिता से अमेरिका में जन्मे बच्चों को स्वत: मिलने वाली नागरिकता के अधिकार को खत्म करने के लिये शासकीय आदेश का रास्ता अपनाने की अपनी मंशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि जन्मजात नागरिकता ‘‘समाप्त करनी होगी।’’
 
ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जन्मजात नागरिकता बहुत महत्वपूर्ण विषय है। मेरी राय में जैसा लोग सोचते हैं उससे कम जटिल है। मेरा मानना है कि संविधान में यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वे जिस प्रक्रिया के बारे में बात कर रहे हैं उससे गुजरने की जरूरत नहीं है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आपको जन्मजात नागरिकता के लिये संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि इसे कांग्रेस में साधारण मतदान के जरिये भी किया जा सकता है। कुछ बेहद प्रतिभाशाली विधि के जानकारों से मुलाकात करने के बाद मेरी राय में इसे शासकीय आदेश के जरिये भी किया जा सकता है।’’
 
साथ ही ट्रंप ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता कांग्रेस (संसद) के जरिये बदलाव करने की होगी क्योंकि यह स्थायी होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस के जरिये इसे करूंगा क्योंकि यह स्थायी होगा। लेकिन मेरा वाकई मानना है कि हम इसे शासकीय आदेश के जरिये भी कर सकते हैं।’’ट्रंप ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला उच्चतम न्यायालय करेगा। इस बीच, जन्मजात नागरिकता के मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों की तरफ से ट्रंप की आलोचना जारी है।
 
सीनेटर पैट्रिक लीही ने कहा, ‘‘इस तरह की नागरिकता 14 वें संशोधन में स्पष्ट रूप से शामिल है और राष्ट्रपति के फरमान के जरिये इसे समाप्त नहीं किया जा सकता। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप उसे नहीं समझते या उसका खयाल नहीं रखते क्योंकि उन्होंने जाहिर तौर पर निर्णय कर लिया है कि आप्रवासी विरोधी भावनाओं का फायदा उठाने के लिए संविधान को पलटने की धमकी देना अच्छी राजनीति है।’’कांग्रेस सदस्य शीला जैक्सन ली ने कहा कि यह मतदाताओं को डराने का एक और प्रयास है क्योंकि इसके लिये संविधान में कोई आधार नहीं है।

नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दावों पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ग्रामोफोन की तरह उनकी पिन अटक गई है जिसके कारण वह ऐसी बचकानी बाते कर रहे हैं और लोग उनके दावों का मजाक उड़ाते हैं। 

दी ने कहा कि इनको समझ नहीं आ रहा है कि वक्त बदल गया है, जनता को मूर्ख समझना बंद करें। ‘‘ इस प्रकार की बचकानी बातें किसी के गले नहीं उतरती है और लोग मजाक उड़ाते हैं।’’ भाजपा के एक कार्यकर्ता द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी चिंता न करें। पहले ग्रामोफोन के रिकार्ड में पिन अटक जाती है तो कुछ ही शब्द बार बार सुनाई देती है। ऐसे ही कुछ लोग भी होते हैं जिनकी पिन अटक जाती है । एक ही चीज दिमाग में भर जाती है जो बार बार एक ही बात बोलते हैं। ऐसे में इन बातों का मजा उठाना चाहिए, आनंद लेना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘ चुनाव की आपाधापी में इन चीजों का आनंद उठायें।’’
जितना कीचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा
प्रधानमंत्री ने ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के तहत नरेन्द्र मोदी एप के जरिये मछलीशहर, महासमंद, राजसमंद, सतना, बैतूल के भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जितना कीचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा। कांग्रेस को सच नहीं, झूठ पर भरोसा है। सत्ता में आने पर मध्यप्रदेश में मोबाइल फोन बनाने के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष के बयान के संबंध में पूछे जाने पर मोदी ने सवाल किया, ‘‘मोबाइल का आविष्कार क्या 2014 के बाद हुआ था? 2014 के पहले भी मोबाइल थे, जिन लोगों ने इतने साल राज किया, उनके समय में सिर्फ दो ही मोबाइल फैक्टरियां क्यों थीं?’’ 
 
कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने इतने साल शासन किया उनके समय में सिर्फ दो मोबाइल फैक्टरियां थी और पिछले चार वर्षो में 100 से अधिक कंपनियां मोबाइल फोन बना रही हैं। वन रैंक, वन पेंशन लागू करने के राहुल गांधी के बयान के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ये लोग वन रैंक, वन पेंशन की बातें कर रहे हैं। दशकों से यह मामला लंबित था, तब क्यों कुछ नहीं किया। ‘‘ जब हमने वन रैंक, वन पेंशन लागू कर दी, तब जाकर वे कह रहे हैं कि हम देंगे।’’ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इतने दशकों तक इनकी सरकार रही, सेना के जवान 40 वर्षो से मांग कर रहे थे, उसे सुनने की फुर्सत नहीं थी। जब हमने इसे कर दिया तब परेशान हो रहे हैं। 
 
ओआरओपी पर राहुल ने क्या कहा था
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में उनसे मिलने गए सेवानिवृत्त सैनिकों के एक समूह से कहा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस ’वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) के मु्द्दे पर किए अपने सभी वादों को पूरा करेगी। इससे पहले राहुल ने भोपाल में आयोजित कार्यकर्ता संवाद के दौरान कहा था, 'आपके हाथ में जो मोबाइल है, वह 'मेड इन चाइना' है, यदि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो हम 'मेड इन मध्य प्रदेश' मोबाइल बनाएंगे। डिजिटल इंडिया का विपक्ष की आलोचना के बारे में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि कांग्रेस के लोग जिन जिन मुद्दों पर जोर जोर से झूठ बोलने लगे तब समझना चाहिए कि हम अपने काम में सफल रहे हैं। 
 
सरकार के कामों को गिनाया
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज डिजिटल इंडिया कदम कदम पर सुदूर गांव तक लोगों की मदद को खड़ा है । डिजिटल इंडिया के माध्यम से लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने कहा कि जब लोग और सरकार मिलकर काम करते हैं तभी सकारात्मक परिणाम आता है। सरकार कहती है कि पराली मत जलाओ, पराली मत जलाओ। लेकिन यह जनभागीदारी से ही संभव होगा। गरीबी उन्मूलन के अपने सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों की सबसे बड़ी गलती यह थी कि उनके लिये गरीबी शब्द चुनावी वोट बैंक का हिस्सा थी और उनके राजनीतिक फायदे में थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार गरीब कल्याण के कार्य में जुटी है। 
 
 
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का हमेशा से ही आग्रही रहा हूं । सरकार भी इसी दिशा में काम कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि आज कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से करोड़ों भारतीयों का न सिर्फ जीवन आसान हुआ है, बल्कि उनका भविष्य भी संवर रहा है। मोदी ने कहा कि पहले अगर किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी होती थी, तो गांव में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लेकिन आज वाई-फाई और ऑनलाइन स्टडी ने युवाओं की इस सबसे बड़ी परेशानी का हल कर दिया है।
 
उन्होंने कहा कि मनरेगा की योजना तो पहले से चली आ रही है। लेकिन पहले क्या होता था। अपने पैसे लेने के लिए कई-कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। ऊपर से बिचौलिया भी कुछ पैसे मार लेता था, लेकिन आज टेक्नोलॉजी की मदद से मजदूरी आसानी से मिल जाती है। आज छात्रों के खाते में छात्रवृति पहुंच जाती है। प्रधानमंत्री ने अपने संवाद के दौरान गुजरात में सरदार बल्लभभाई पटेल की प्रतिमा राष्ट्र को समर्पित करने का उल्लेख किया और कहा कि यह उनके मन को संतोष देने वाला पल था। मोदी ने नरेन्द्र मोदी एप के जरिये पार्टी कोष में चंदा एकत्र करने के अभियान का भी जिक किया।
 
अयोध्या विवाद सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा है, जो लोग यह उम्मीद लगाए थे कि 29 अक्टूबर को जब सुप्रीम कोर्ट इस मुददे पर सुनवाई शुरू करेगा तब वह सवा सौ करोड़ लोगों की जनभावनाओं को अनदेखा नहीं कर पायेगी। इसकी वजह भी थी। अयोध्या विवाद दशकों से कोर्ट की चौखट पर इंसाफ के लिये दस्तक दे रहा है, लेकिन तीन जजों की खंडपीठ ने तीन मिनट में मुकदमे की तारीख दे दी। अगर सुप्रीम कोर्ट के रवैये पर उंगली उठ रही है तो उसे अदालत की अवमानना बता कर खारिज नहीं किया जा सकता है। कोई भी संस्था या सरकार ही नहीं किसी का धर्म भी देशहित से ऊपर नहीं हो सकता है। क्या लोगों के बीच खाई बढ़ाने वाले मसलों पर समय रहते निर्णय नहीं लिया जायेगा ? इंसाफ के नाम पर अदालतों से तारीख पर तारीख मिलेगी तो इसे सिस्टम में व्याप्त खामियों का जामा पहना कर खारिज नहीं किया जा सकता है। अगर आतंकवादियों के मानवाधिकार की रक्षा के लिये देर रात्रि को कोर्ट बैठ सकती है तो फिर देश की सवा सौ करोड़ की जनता के 'मानवाधिकारों' की रक्षा के लिये ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है। एक बार को यह मान भी लिया जाए कि निचली अदालतों ने फैसला सुनाने में लम्बा समय लिया तो सुप्रीम कोर्ट भी तो इससे अछूता नहीं रह गया है। यहां भी सात वर्षों से मामला लटका हुआ है। अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिये सुप्रीम कोर्ट की पूर्व की बेंच जिस तरह से तत्परता दिखा रही थी, ऐसा वर्तमान बेंच में होता नहीं दिख रहा है तो फिर लोगों के मन−मस्तिष्क में सवाल तो उठेंगे ही।
 
सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच से जब यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वह अयोध्या विवाद की सुनवाई दिन−प्रतिदिन करने के बारे में फैसला देगा, तब उसने विवाद को जनवरी 2019 की तारीख देकर लम्बे समय तक के लिये तक टाल दिया गया। ऐसा इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों वाली बेंच का कहना था कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ ही यह तय करेगी कि इस मामले की सुनवाई जनवरी, फरवरी, मार्च या अप्रैल में कब होगी ?
 
अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाए हुए सात साल बीत चुके हैं। फिर भी मामला का जहां का तहां ही है ? दुख की बात यह भी है कि अयोध्या विवाद में एक पक्षकार तो चाहता है कि जल्द से जल्द विवाद सुलझ जाये, लेकिन दूसरा पक्ष इसमें रोड़ा लगाने और तारीख आगे बढ़ाने में ज्यादा रूचि नहीं लेता है।
 
सुप्रीम कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश जब यह कहते हैं कि उनकी और भी प्राथमिकताएं हैं तो इसका मतलब तो यही निकलता है कि अन्य अदालतों की तरह सुप्रीम कोर्ट भी मुकदमों के बोझ से दबा हुआ है। मगर सच्चाई यह भी है कि इतना दबाव होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट समय−समय पर कई मामलों की मैरिट से हटकर सुनवाई करती रही है। नाराजगी सिर्फ तारीख मिलने की नहीं है। बेंच का व्यवहार भी ऐसा था मानो उसे मामले की गंभीरता का अहसास नहीं हो या फिर वह ऐसा दर्शा रही होगी। सुप्रीम अदालत की तीन जजों की पीठ केवल यह बताने के लिए बैठी की मामले की सुनवाई नई पीठ करेगी तो उनकी मंशा चाहे जितनी भी साफ हो, उस पर उंगली भी उठेगी और सियासत भी होगी।
 
इसकी वजह भी है। अयोध्या मामले की सुनवाई टलने से उन लोगों की मंशा पूरी हो गई जो कहा करते थे कि इस विवाद की सुनवाई लोकसभा चुनाव के बाद की जाए। वहीं वह लोग दुखी हैं जो समय रहते इंसाफ चाहते थे। समय पर इंसाफ नहीं होना भी किसी अपराध से कम नहीं है। खासकर तब जब कोई मसला करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा हो। यह सच है कि अदालत आस्था पर नहीं चलती है, अगर पूरे मसले को जमीनी विवाद मानकर कोर्ट सुनवाई कर रही है तो फिर तो यह काम और भी आसान हो जाता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण कर एक अद्भुत कीर्तिमान स्थापित किया। राष्ट्र के लिए विभिन्न लोगों ने जो कार्य किए, अपना जीवन अर्पित किया उसे चाहे किसी भी सत्ता द्वारा दबाने और ढकने का प्रयास किए जायें लेकिन वक्त की हवा सच्चाई के दर्पण पर पड़ी सत्ता की मिट्टी उड़ा ही देती है और तब सच्चाई सामने आती है। सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची मूर्ति वस्तुत: भारत के स्वाभिमान और गौरव की ऊँचाई का अमर अभिमान बनी है।

लेकिन मैं समझता हूं ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जिसने जीवन में लोभ, लालच और स्वार्थ से परे हटकर देश और समाज के लिए छोटा-बड़ा जैसा भी काम किया हो वह हमारे मध्य सरदार ही हैं। जिन लोगों ने समाज को बिखरने से बचाया, राष्ट्र की अस्मिता और विरासत को विदेशी आक्रमणों से बचाने के लिये जीवन अर्पित कर दिया, ऐसे हजारों लोग हुये जो राजनीति में तो नहीं रहे लेकिन राजनीति में रहने वाले लोगों से कहीं ज्यादा बड़े दीर्घकालिक महत्व के कार्य कर गये। वे किसी सरदार से कम नहीं। उदाहरण के लिए एकनाथ रानाडे। उन्होंने विवेकानन्द केंद्र स्थापित किया, कन्याकुमारी में श्रीपाद् शिला पर स्वामी विवेकानन्द का भव्य स्मारक स्थापित किया और उनके जीवन की एकात्मता का यह असाधारण पहलू था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंत्यत वरिष्ठ प्रचारक होते हुये भी उनके इस महान कार्य में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और द्रमुक नेता श्री करुणानिधि ने भी भरपूर सहयोग दिया। यह है राष्ट्रीय एकात्मता का भाव जो सरदार पटेल के जीवन से भी प्रकट होता है क्योंकि ना केवल उन्होंने सैकड़ों रियासतों को इकट्ठा कर भारत की एकता मजबूत की बल्कि कांग्रेस कार्य समिति में प्रस्ताव भी रखा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्त्ताओं को कांग्रेस का सदस्य बनने की अनुमति दी जानी चाहिए। श्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन भी ऐसा ही था जब उन्होंने 1965 के युद्ध के समय यातायात व्यवस्था हेतु संघ के स्वयंसेवकों की मदद ली थी ताकि यातायात पुलिस युद्धकालीन सेवाओं हेतु तैनात की जा सके।
 
हमारे मध्य ऐसे अनेक 'सरदार' मिलते हैं जो हमारे जीवन को सुरक्षित और भविष्य को आनन्दमय बनाने के लिये अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ अर्पित करते हैं लेकिन हम शायद कभी उनके नाम भी नहीं जान पाते। आज मुझे ऐसे ही एक वायुयोद्धा एयरमार्शल हेमन्त नारायण भागवत् से मिलने का सौभाग्य मिला जो 60 वर्ष की आयु पूरे होने पर आज ही अवकाश ग्रहण कर रहे थे। उन्होंने 38 वर्ष वायुसेना के माध्यम से देश की सेवा की और जब 60 वर्ष के पूरे हो गये तो अभी कुछ दिन पहले शायद 24 अक्टूबर को उन्होंने अपने जीवन की दो हजारवीं 'फ्री फाल' यानी बीसियों किलोमीटर की ऊँचाई से पत्थर की तरह नीचे छलांग मारी और जमीन के निकट आने पर ही पैराशूट खोला ताकि दुश्मन को पैराशूट देखकर वायुवीरों के नीचे आने का आभास न हो। यह बहुत खतरनाक और सामान्य व्यक्ति के लिए प्राण कंपा देने वाला युद्ध कार्य होता है। इसके प्रशिक्षण के लिये ही एयरमार्शल हेमन्त नारायण भागवत् जाने जाते थे। कारण यह है कि प्राय: 20 हजार फीट की ऊँचाई पर उड़ रहे विमान या हेलीकॉप्टर से वायुसैनिक पैराशूट बिना खोले पृथ्वी की ओर छलांग लगाते हैं तो उस ऊँचाई से जमीन तक तापमान में -30 डिग्री (ऋण 30) से लेकर जमीन के वातावरण के निकट की गर्मी के तापमान तक के अंतर को वायुवीर को कुछ ही क्षणों में झेलना पड़ता है। इतना ही नहीं यदि विमान से पृथ्वी तक की सीधी दूरी 20 किलोमीटर है तो छलांग मारने के बाद हवा के बहाव और दिशा के अनुसार छलांग मारने वाले वायुवीर को अक्सर 40 या 50 किलोमीटर की हवा में तैरते हुये दूरी तय करनी पड़ जाती है। तब जमीन निकट देखने पर ही वे पैराशूट खोलते हैं।

एयरमार्शल भागवत् अवकाशग्रहण करने वाले दिन प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने वायुयोद्धा के नाते एक संतोषजनक और गौरवशाली जीवन जिया। वे महाराष्ट्र में रत्नागिरी के अत्यंत सुंदर पश्चिमी सागर तटीय क्षेत्र के निवासी हैं। संपूर्ण परिवार में वे पहले वायुसैनिक कहे जायेंगे लेकिन उनके जीवन में एक और अति गौरवशाली कथा है- उनके पूर्वज 18वीं शताब्दी के अंत में उन महान बाजीराव पेशवा की फौज में पुजारी थे। जिस फौज ने 1758 में सिंधु के तट पर अटक के किले के पास दुर्रानी की फौजों को हरा कर किले पर भगवा झंडा लहराया था और विजय प्राप्त की थी। तभी से मुहावरा चल पड़ा था कि अटक से कटक तक भगवा लहराता है। और रोचक बात यह है कि शायद विमान की यात्रा वाले भी वे अपने परिवार में पहले नहीं हैं। 100 साल पहले जब देश में विमान सेवा प्रारम्भ हुई तो उनके पिता के दादा-दादी जुहू के पास बने छोटे विमान तल पर गये और उस समय विमान यात्रा की छोटी उड़ान के लिए लगने वाले किराये यानी प्रति यात्री 5 रुपये देकर यात्रा की। एयरमार्शल भागवत् का जीवन उन हजारों सैनिकों के जीवन को और जानने की उत्कंठा और प्रेरणा देता है जो देश सेवा का एक सपना लेकर फौज में आते हैं और उसके कठोर अनुशासन के कारण अपने 38-40 साल के सेवाकाल में न अपने नाते रिश्तेदारों से मिलने का समय पाते हैं, न निकटवर्ती मित्रों -रिश्तेदारों की शादियों या सुख-दुख में शामिल हो पाते हैं। उनका अपना जीवन भी लगातार तबादलों और नये स्थानों पर नियुक्तियों के बीच गुजरता रहता है। ये हमारे महापुरुष हैं जो चाहे वायुसेना में हों या नौसेना में अथवा थल सेना में, इनमें से हर सैनिक मुझे सरदार का ही दर्शन कराता है।
 
अगर हम अपनी जिंदगी के इर्द-गिर्द देखें तो सच्चाई, ईमानदारी तथा अपनी मेहनत से साधरण जीवन जीते हुये भी भारत-भारती का सांस्कृतिक एकता सूत्र बचाने वाले ऐसे हजारों सरदार हमें मिलते हैं जिनकी वजह से देश जिन्दा है, देश की एकता जिन्दा है और देश का भविष्य सुरक्षित है। जिस दिन बड़े सरदार की मूर्ति का अनावरण हुआ उस दिन इन सामान्य लेकिन चमकते हुये सितारों की तरह हमारी जिंदगी रोशन करने वाले सरदारों को प्रणाम कर मुझे अत्यंत आनन्द हो रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय की जजों की रिक्तियों को लेकर खिंचाई की है। बता दें कि अदालतों में 200 से अधिक जजों की नियुक्तियां होनी हैं लेकिन भर्ती प्रक्रिया में लगातार हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सख्त दिखाई दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय की खिंचाई कर दी।

 सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय से कहा कि यदि आप रिक्तियों को भर नहीं सकते हैं, तो हम यह कार्य आपसे ले लेंगे और इसे एक केंद्रीकृत प्रक्रिया बना देंगे।"

 
जजों की नियुक्ति को लेकर यह टकराव नई नहीं है। न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच भी इस मामले में सीधा टकराव होता दिखाई दे रहा है। जजों की रिक्तियों के मामले को लेकर न्यायाधीश मदन बी लोकुर और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच जमकर बहस भी हो चुकी है। 

मणिपुर के एक मामले की यह सुनवाई इसी साल मई माह में हुई थी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश लोकुर ने के के वेणुगोपाल से पूछा कि फिलहाल उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की कितनी सिफारिश लम्बित हैं?  केके ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी जुटानी पड़ेगी।

के के वेणुगोपाल के इस जवाब से नाराज जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है मौके पर सरकार कहती है कि जानकारी लेनी होगी।  इस पर केके ने कहा कि कोलेजियम को बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए।  ज्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए। 

बता दें कि फिलहाल 200 जजों के पद खाली हैं। जिसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने आज उच्च न्यायालय को फटकार लगाई है। 

अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा क्या अपने अध्यक्ष अमित शाह को कोलकाता उत्तर लोकसभा सीट से मैदान में उतारने पर विचार कर रही है? यहां राजनीतिक हलकों में तो यही कयास लगाए जा रहे हैं।  दरअसल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से इन कयासों को बल मिला है। यहां मंगलवार को एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में घोष ने कहा कि वे चाहते हैं कि अमित शाह कोलकाता उत्तर सीट से चुनाव लड़ें। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार ओडीशा में पुरी से लड़ सकते हैं। हम भी अमित शाह से कोलकाता उत्तर सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध कर सकते हैं। 

 

जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा फिलहाल शाह के लिए कोलकाता उत्तर के अलावा आसनसोल सीट पर भी विचार कर रही है। बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 17 फीसदी वोट मिले थे। पार्टी को उम्मीद है कि शाह की उम्मीदवारी से पार्टी को मिलने वाले वोटों का ग्राफ तेजी से चढ़ेगा, लेकिन आखिर कोलकाता उत्तर सीट का नाम चर्चा में कैसे आया ? राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इलाके में गैर-बांग्लाभाषी वोटरों की भारी तादाद इसकी एक वजह है। इसके अलावा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था।

कोलकाता उत्तर में वर्ष 2009 में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को 52.4 फीसदी वोट मिले थे जबकि चार फीसदी वोटों के साथ भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी। दूसरे स्थान पर रही माकपा को 40 फीसद वोट मिले थे। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार को लगभग 37 हजार वोट मिले थे। वर्ष 2014 में भी यह सीट तृणमूल ने ही जीती, लेकिन नतीजे पहले के मुकाबले से अलग थे, तब तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस का गठबंधन टूट गया था। यहां तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार को 36 फीसदी वोट ही मिले थे। लेकिन 26 फीसदी वोटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। 21 फीसदी वोट लेकर माकपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा था।

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