ईश्वर दुबे
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Bhilai
समस्या : उद्योगों की भरमार, लेकिन स्थानीय युवाओं को नहीं मिलता अवसर, इसलिए जिले में बढ़ रही बेरोजगारी
प्रदेश में दुर्ग जिला टॉप पर, वहां 2.88 लाख बेरोजगार, रायगढ़ में डेढ़ लाख से ज्यादा पहुंची संख्या
रायगढ़. शहर व जिले में उद्योग इकाइयों के विकसित नहीं होने एवं राज्य स्तर पर नई भर्तियां नहीं होने से रायगढ़ जिले में शिक्षित बेरोजगारों की एक फौज खड़ी हो गई है। केंद्र व राज्य शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में एक बार फिर जिले की पोल खुल गई है। प्रदेश में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या में हमारे जिले का नंबर दूसरा है। कौशल उन्नयन योजना और स्टार्टअप को लेकर केंद्र सरकार ने मुहिम चलाई थी। योजनाओं को लागू किए चार वर्ष से अधिक का समय हो गया है।
राजधानी रायपुर में भी एक लाख से ज्यादा बेरोजगार पंजीकृत
प्रदेश के सभी 27 जिलों में बेरोजगारों की संख्या को लेकर जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति भयावह नजर आने लगी है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल रायगढ़ में बेरोजगारों की संख्या करीब डेढ़ लाख थी। वर्तमान 31 जनवरी 2019 की स्थिति में राज्य के 27 जिलों में पंजीकृत बेरोजगारों की सर्वाधिक संख्या दुर्ग जिले में है। वहां दो लाख 88 हजार 982 बेरोजगार हैं। रायगढ़ में एक लाख 79 हजार, राजनांदगांव में एक लाख 72 हजार, बालोद में एक लाख 50 हजार, जांजगीर में एक लाख 31 हजार के अलावा रायपुर और बलौदाबाजार में एक-एक लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं।
प्रदेश की सरकार इस दिशा में पहल करें
भाजपा की नवनिर्वाचित सांसद गोमती साय का कहना है कि प्रदेश में 15 सालों तक भाजपा की सरकार थीं। पूर्व सीएम के कार्यकाल में युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री कौशल विकास प्रशिक्षण शुरू किया गया। केंद्र की मोदी सरकार ने भी बेहतर प्रयास किए है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार बेरोजगारों युवाओं को रोजगार देने के लिए पहल करें। मैं अपनी तरफ से रायगढ़ व जशपुर में लघु उद्योग इकाइयों को बढ़ावा देकर उन्हें विकसित करने का प्रयास करूंगी ताकि शिक्षित बेरोजगारों को अवसर मिल सकें।
ट्रेकिंग सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल की माने तो भूपेश सरकार ट्रेकिंग सिस्टम बनाने की कोशिश कर रही हैं। यह कठिन है, पर इस दिशा में पहल हो रही है। हर साल हजारों की संख्या में युवाओं को कौशल विकास के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है, पर इसमें कितने बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिला और कितने ने शुरू किया। इसकी भी पूरी रिपोर्ट तैयार होगी। जिससे यह पता चलेगा कि पंजीकृत में से कितने रोजगार कर रहे हैं।
रोजगार मेले भी लगाए गए
जिला रोजगार कार्यालय की ओर से कई रोजगार मेले व प्लेसमेंट कैंप भी लगाए गए, लेकिन कम पैकेज और दूरदराज के क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर होने के कारण रोजगार पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या काफी कम रही। पिछले 9 सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो 9 बार रोजगार मेला व प्लेसमैंट कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें महज साढ़े 8 हजार युवाओं को ही रोजगार मिला।
इंडस्ट्री बेस्ट एजुकेशन की जरूरत
शिक्षाविद् वेद प्रकाश ने बताया कि रायगढ़ के अलावा आसपास के शहरों की इंडस्ट्री में वेल टैलेंटेड युवाओं की डिमांड हमेशा रहती है। कई बार इंडस्ट्री युवाओं का चयन करती है लेकिन वे उनके मापदंड के अनुसार नहीं होते। इसलिए युवा कुछ ही समय में नौकरियां छोड़ देते हैं। रोजगार बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री बेस्ड एजुकेशन सिस्टम की भी जरूरत है। हायर सेकेंड्री और कॉलेज लेवल पर ही बेसिक पाठ्यक्रम के साथ ऐसे प्रयास शुरू किए जाने चाहिए जो विद्यार्थियों को रोजगार के लिए जरूरी है।