ईश्वर दुबे
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Bhilai
सुबह 8 बजे से जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे
ट्रामा सेंटर और ऑपरेशन थियेटर में भी कोई ड्यूटी पर नहीं जाएगा
रायपुर. अंबेडकर अस्पताल में शुक्रवार सुबह 8 बजे से जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। ओपीडी के साथ-साथ जूडो इमरजेंसी सेवाएं भी ठप करेंगे। ट्रामा सेंटर और ऑपरेशन थियेटर में भी कोई ड्यूटी नहीं जाएगा। 300 जूडो की हड़ताल से अंबेडकर अस्पताल में भर्ती 11 सौ मरीजों के इलाज और देखभाल का जिम्मा 150 सीनियर डाक्टरों पर आ जाएगा।
ओपीडी के साथ-साथ उन्हें इमरजेंसी और वार्ड में भी ड्यूटी करनी होगी। तीन शिफ्ट में इतने डाक्टर ड्यूटी नहीं कर सकेंगे। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ेगा। हालांकि जूडो हड़ताल की घोषणा से ही अंबेडकर अस्पताल में शुक्रवार को रुटीन में होने वाले ज्यादातर बड़े ऑपरेशन रद्द कर दिए गए हैं।
जूडो ने एक हफ्ते पहले हड़ताल पर जाने की सूचना दे दी थी। उसके बाद भी चिकित्सा शिक्षा विभाग और मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कोई ठोस वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए। अब जब शुक्रवार से जूडो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं तब मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदारों ने चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य संचालक को पत्र लिखकर डाक्टर उपलब्ध कराने की मांग की है।
स्टायपेंड व ट्रामा सेंटर में सुरक्षा बढ़ाने की मांग करते हुए जूडो बुधवार से ओपीडी का बहिष्कार कर रहे हैं। सांकेतिक तौर पर की गई हड़ताल से ओपीडी में इलाज व सर्जरी प्रभावित हुई है। गुरुवार को सांकेतिक हड़ताल के दूसरे दिन 22 से ज्यादा ऑपरेशन टाल दिए गए। वहीं ओपीडी में केवल कंसल्टेंट डॉक्टरों के होने के कारण मरीजों को अपनी बारी के लिए देर तक इंतजार करना पड़ा।
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के जानकारों का कहना है जूडाे की हड़ताल से सबसे ज्यादा प्रभावित इमरजेंसी में आने वाले मरीज होंगे। उन्हें तत्काल इलाज नहीं मिलने से स्थिति गंभीर हो सकती है। गुरुवार को जूडो के प्रतिनिधि मंडल ने स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक से मिलने का प्रयास किया। उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बावजूद दो दिनों तक न कॉलेज प्रबंधन की ओर से पहल की गई है और न डीएमई कार्यालय की ओर से।
प्रशासनिक अफसरों से मुलाकात न होने के बाद जूडो की गुरुवार की शाम अस्पताल परिसर में बैठक हुई। उसी में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया गया। अधिकारियाें का कहना है कि स्टायपेंड बढ़ाना शासन के जिम्मे है। इसमें वे कोई निर्णय नहीं कर सकते। अस्पताल प्रबंधन ने छुट्टी पर गए ऑर्थोपीडिक, मेडिसिन, रेडियो डायग्नोसिस, ईएनटी, ऑप्थेलमोलॉजी, गायनी व दूसरे विभागों के डॉक्टरों को वापस बुला लिया है।
डीकेएस में भी होगा इलाज प्रभावित
डीकेएस के न्यूरो सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी व पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर काम कर रहे हैं। हड़ताल से वहां भी सर्जरी प्रभावित होगी। इससे सर्जरी टल सकती है। एमसीएच कोर्स जुलाई से शुरू होने वाला है। वहां सुपर स्पेश्यालिटी विभागों में जूडो नहीं है। अभी अंबेडकर के जनरल सर्जरी विभाग के जूनियर डाक्टर ही सीनियरों की मदद कर रहे हैं। वे भी हड़ताल पर चले जाएंगे।
इसलिए असर पड़ेगा जूडो हड़ताल से
जूनियर डाक्टर अस्पताल में 24 घंटे मौजूद रहते हैं। हर विभाग के डाक्टर ट्रामा सेंटर में तीन पाली में ड्यूटी करते हैं। ऐसे में किसी भी तरह की इमरजेंसी या मरीज आने पर सभी विभाग के डाक्टर तुरंत उपलब्ध हो जाते हैं। सीनियर डाक्टर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कराने के अलावा केवल ओपीडी में मरीजों की जांच करते हैं। सुबह 8 से दोपहर 2 बजे के बाद उनकी ड्यूटी खत्म हो जाती है। उसके बाद जूडो ही मरीजों का इलाज करते हैं।
एम्स, निजी अस्पतालों पर बढ़ेगा दबाव
हड़ताल के कारण एम्स व निजी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ने की संभावना है। एम्स में ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी। मरीजों के पास निजी अस्पताल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। दरअसल जिला अस्पताल पंडरी में ट्रामा सेंटर केवल नाम का है। यहां पर सर्दी-खांसी के मरीज इमरजेंसी में आते हैं। चोट लगे वाले मरीज भी आते हैं, मरहम पट्टी कर अंबेडकर रिफर कर दिया जाता है।
कोई जिम्मेदार मिलने को तैयार नहीं- जूडो अध्यक्ष
जूनियर डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवती चरण वर्मा का कहना कोई भी जिम्मेदार हमसे बात करने को राजी नहीं है। हमने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के पहले स्वास्थ्य विभाग की सचिव से भी मुलाकात करने की कोशिश की। उन्होंने समय ही नहीं दिया। दो दिनों तक लगातार मंत्रालय जाने के बावजूद वे नहीं मिलीं।
जूनियर डॉक्टर जितना स्टायपेंड मांग रहे उतना केवल एम्स में
जूनियर डॉक्टर 90 हजार स्टायपेंड मांग रहे हैं। इतना स्टायपेंड अभी केवल एम्स के जूनियर डाक्टरों को दिया जा रहा है। अफसरों का दावा है कि इसके अलावा देश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूडो को इतना स्टायपेंड नहीं दिया जा रहा है। अंबेडकर में असिस्टेंट प्रोफेसर को भी इतना वेतन नहीं दिया जा रहा है।
छुट्टी पर गए डॉक्टरों को बुलाया
मरीजों का इलाज प्रभावित न हो, इसके लिए समर वेकेशन पर गए डॉक्टरों को वापस बुलाया गया है। हेल्थ डायरेक्टर को भी डॉक्टर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। ट्रामा व वार्डों में कंसल्टेंट डॉक्टर, सीनियर रेसीडेंट व असिस्टेंट सर्जन की ड्यूटी लगाई जाएगी। - डॉ. एसबीएस नेताम, प्रभारी अधीक्षक अंबेडकर अस्पताल