छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावः कोरबा में कांग्रेस को अपना गढ़ बचाने की चुनौती Featured

छत्तीसगढ़ में सियासी हलचल तेज हो चुकी है और हमारा चुनावी रथ भी तैयार है। अमर उजाला के चुनावी रथ के इस बार का पड़ाव है कोरबा। कोरबा को छत्तीसगढ़ का ऊर्जा हब कहा जाता है। यहां की पहचान एशिया के सबसे बड़े खुले कोयला खदान गेवरा माइंस की वजह से भी है। कोरबा जिले में चार विधानसभा सीटें हैं- कोरबा, कटघोरा, पाली तनाखार और रामपुर। इन चार विधानसभा सीट में से दो सामान्य, एक अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।आइए जानते हैं कि क्या है कोरबा जिले की विधानसभाओं में खास

 कोरबा विधानसभा


इस विधानसभा सीट पर मोदी की लहर का असर नहीं होता है। पिछले दो चुनावों से कांग्रेस ने ही अपनी विजयी पताका फहराई है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल ने भाजपा के जोगेश लांबा को हराया था। कोरबा एक व्यवसायिक क्षेत्र है इस वजह से इस सीट को अहम माना जा रहा है। इस बार भाजपा जयसिंह अग्रवाल के सामने विकास महतो को उतारेगी। 

कटघोरा विधानसभा

इस विधानसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है, लेकिन इससे पहले कटघोरा कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है। कांग्रेस के बोधराम कंवर को छत्तीसगढ़ का गांधी कहा जाता है। लेकिन 2013 के चुनाव में बीजेपी के मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले लखनलाल देवांगन से बोधराम कंवर को हार का सामना करना पड़ा। 

पाली तनाखार विधानसभा

पाली तनाखार सीट तब सुर्खियों में आई जब यहां के विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा से जुड़ गए। इस विधायक का नाम है रामदयाल उइके। रामदयाल उइके इस विधानसभा सीट पर हमेशा जीत दर्ज करते आए हैं। पिछले चुनाव में एक अलग पार्टी ने दस्तक दी, नतीजा यह रहा कि भाजपा दूसरी प्रतिद्वंदी पार्टी से तीसरी पार्टी बन गई। भाजपा ने इस बार दांव रामदयाल पर लगाया है।

रामपुर विधानसभा

यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस विधानसभा सीट में पिछले चुनाव से कांग्रेस का बोलबाला है, इससे पहले दो बार बीजेपी जीत हासिल कर चुकी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के श्यामलाल कंवर को 67868 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के ननकीराम को 57953 वोट मिले थे। इस बार भी भाजपा ने ननकीराम पर भरोसा जताया है। 

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