ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
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Bhilai
बकावंड। विकासखंड बकावंड की ग्राम पंचायत पाहुरबेल में अवैध रूप से मुरुम खनन और परिवहन का खेल चल रहा है। इस मुरुम का उपयोग एक ठेकेदार द्वारा सड़क निर्माण में किया जा रहा है। दूसरी ओर खनिज विभाग इस खेल से बेखबर बना हुआ है। अब तक हजारों ट्रिप मुरुम यहां से निकाली जा चुकी है। बकावंड ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत पाहुरबेल के मेडार तालाब में पिछले करीब एक सप्ताह से मुरुम की अवैध खोदाई बिना अनुमति लिए की जा रही है। खनिज विभाग के स्थानीय कर्मियों के संरक्षण में सत्येंद्र सिंह ठाकुर, ठेकेदार अरोड़ा कंस्ट्रक्शन और जेसीबी मलिक द्वारा तालाब के एक हिस्से की बेतहाशा खोदाई जेसीबी से कराई जा रही है। वहां से निकलने वाली मुरुम को ट्रैक्टर भर भरकर बाहर ले जाया जा रहा है। मुरुम को पाहुरबेल और जैतगिरी के बीच बन रही डमरीकृत रोड के निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है। रोड की पटारियों में ले जाकर डाला जा रहा है। सरकारी तालाब से मुरूम का अवैध खनन और परिवहन सरकारी सड़क निर्माण के लिए किया जा रहा है। इसके एवज ने ग्राम पंचायत और खनिज विभाग में रायल्टी राशि भी नहीं दी जा रही है। इस संबंध में जेसीबी मालिक से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि अब तक पाहुरबेल के मेडार तालाब से लगभग 8 हजार से से 10 हजार ट्रिप मुरूम निकाल कर जैतगिरी पाहुरबेल के बीच बन रही सड़क पर डाली जा चुकी है।. मुरुम खोदाई के परमिशन के लिए माइनिंग विभाग में जानकारी दी गई है। वहीं ठेकेदार अरोड़ा कंस्ट्रक्शन का दावा है कि उनके पास मुरुम खोदाई का परमिशन है, आप लोग मेरे कार्यालय में आकर परमिट देख सकते हैं।बेतहाशा मुरुम खनन कर तालाब के एक हिस्से को मौत के कुंए के रूप में तब्दील कर दिया गया है। तालाब के जिस हिस्से में खोदाई की जा रही है, उसी हिस्से से गांव के मवेशी तालाब में पानी पीने जाते हैं। ऐसे में मवेशियों के गड्ढे में गिरने का खतरा बना हुआ है। मुरुम निकालने के लिए गड्ढा इतना गहरा बना दिया गया है कि अगर वहां मवेशी या कोई इंसान गिर जाए, तो वे बाहर निकल ही नहीं पाएंगे। ऐसे में वे गड्ढे में ही तड़प तड़प कर दम तोड़ देंगे। बरसात का मौसम करीब है। जब बरसात होगी तब तालाब लबालब भर जाएगा और तालाब में मुरुम के लिए खोदे गए गड्ढे का अनुमान लगाना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे हालातों में यह गड्ढा भविष्य के खतरे की ओर इशारा कर रहा है। प्रशासन ने इस ओर जल्द ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता।