ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर : दंतेवाड़ा जिले के जैविक किसान अब अपनी खेती में आधुनिकतम तकनीक का उपयोग कर खेती को अधिक उत्पादक और कुशल बनाएंगे। जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों और कृषि अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
इस कार्यशाला में फसल निगरानी से लेकर आपदा प्रबंधन तक में एआई तकनीक के उपयोग के महत्व पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि ‘सैटेलाइट इमेजिंग’ और ‘ड्रोन एआई’ तकनीक के माध्यम से फसल की स्वास्थ्य स्थिति, मिट्टी की गुणवत्ता और पानी की आवश्यकता का सटीक विश्लेषण किया जा सकता है। दंतेवाड़ा जिले में एआई तकनीक का यह प्रयोग न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और संसाधनों के बेहतर उपयोग में भी मील का पत्थर साबित होगा।
एआई आधारित मॉडल के माध्यम से फसलों में रोग और कीटों की पहचान कर समय पर समाधान किया जा सकेगा। एआई आधारित सिस्टम मिट्टी की नमी और मौसम की स्थिति के आधार पर स्वचालित सिंचाई को नियंत्रित करेगा, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। यील्ड प्रेडिक्शन एआई मॉडल’ के माध्यम से ऐतिहासिक डेटा और मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर फसल उत्पादन का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा। एआई बाजार की मांग और कीमतों का विश्लेषण कर किसानों को फसल बिक्री के लिए बेहतर मार्गदर्शन देगा। बुवाई, निराई, कटाई और छंटाई जैसे कार्यों में एआई आधारित ‘रोबोट्स’ का उपयोग श्रम लागत को कम करने में सहायक होगा।
एआई के जरिये पशुओं के स्वास्थ्य और व्यवहार की निगरानी कर बीमारियों का समय रहते पता लगाया जा सकेगा। कार्यशाला में बताया गया कि एआई तकनीक जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में भी कारगर है, जिससे बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाकर किसानों को समय पर सतर्क किया जा सकता है।
इस अवसर पर जिला प्रशासन से अलका महोबिया, सूरज पंसारी (उपसंचालक, कृषि), आकाश बढ़वे (भूमगादी संचालक), मीना मंडावी (सहायक संचालक, उद्यान), केवीके के सहायक संचालक धीरज बघेल, भोले लाल पैकरा सहित 150 से अधिक ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, कृषि मित्र, जैविक कार्यकर्ता एवं प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहे।