छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न नक्सली समूह सक्रिय हो गए हैं। खुफिया एजेंसी, अर्घसैनिक बल और लोकल पुलिस, इन तीनों इकाइयों के पास यह पुख्ता सूचना है कि इस बार नक्सली समूह चुनाव में बड़े पैमाने पर हिंसा की वारदात कर सकते हैं।
नक्सलियों के टारगेट पर केवल सुरक्षा बल ही नहीं, बल्कि मतदाता भी हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर वे वोट डालने गए तो उनके शरीर के अंग जैसे, हाथ-पांव, कान और जीभ काट दी जाएगी। उनकी योजना है कि इस बार जो हमले हों, वे केंद्रीयकृत न रहें। इसी वजह से नक्सलियों ने अपने सभी कमांडर को कहीं भी और कैसे भी हमला करने की छूट दे दी है।
बस्तर जोन के नक्सल प्रभावित आठ जिलों में 18 विधानसभा सीटें हैं। सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, जगदलपुर, कांकेर, कुंडा गांव व राजनंद गांव आदि जिलों में ही नक्सली सबसे ज्यादा वारदात करते हैं। इंटेलीजेंस इनपुट के मुताबिक, नक्सलियों ने बड़े पैमाने पर हिंसात्मक वारदात करने की योजना बनाई है।
पिछले कुछ समय से नक्सली केंद्रीयकृत हमले को ही तवज्जो दे रहे थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के अंतर्गत उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव लाते हुए अलग-अलग समूहों में ज्यादा से ज्यादा हमले करने की योजना बनाई है। हमले के लिए नक्सली सबसे ज्यादा ध्यान आईईडी (इंप्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) पर दे रहे हैं।
जंगलों के अंदर के इलाकों में चुनाव के दौरान वे कोई भी बाधा खड़ी कर सकते हैं। खुफिया इनपुट है कि नक्सलियों ने ग्रामीण वोटरों को इस बार गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है। गत विधानसभा चुनाव में कई नक्सली समूहों ने दो-तीन सप्ताह पहले ही लोगों को वोट न डालने की चेतावनी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना रवैया नरम कर लिया था।
इस दफा 12 नवंबर को होने वाले मतदान का बहिष्कार कराने के लिए नक्सलियों ने लोगों से कहा है कि उनकी धमकी को नजरअंदाज कर उन्होंने वोट डाला तो उनके शरीर के हिस्सों को काट दिया जाएगा। साथ ही नक्सलियों ने रोड और कच्चे रास्तों पर सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए भी अलग से प्लानिंग की है।
चुनाव को शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराने के लिए 700 कंपनी तैनात
नक्सलियों की धमकी के मदेनजर बस्तर जोन में विभिन्न अर्धसैनिक बलों की करीब सात सौ कंपनी तैनात की गई हैं। इनमें से पांच सौ कंपनी अभी पहुंची हैं, जबकि दो सौ कंपनी पहले से ही वहां पर सुरक्षा कार्यों में लगी हैं। लोकल पुलिस अलग से अपनी ड्यूटी देती है। सीआरपीएफ के पास जगदलपुर और रामपुर में एयरफोर्स के दो-दो हेलीकॉप्टर हैं।इसके अलावा जरुरत पड़ने पर और भी हेलीकॉप्टर मंगाए जा सकते हैं। आसमान में सैंकड़ों छोटे-बड़े यूएवी (अनमेंड एरियल व्हीकल) उड़ रहे हैं। अत्याधिक संवेदनशील जिले जैसे सुकमा, दंतेवाड़ा या बीजापुर में अर्धसैनिक बलों व लोकल पुलिस को मिलाकर करीब 90 कंपनी तैनात की गई हैं।
मोदी-राहुल की थ्री लेयर सुरक्षा में भी 20 हजार से ज्यादा सुरक्षा कर्मी तैनात
चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी छत्तीसगढ़ पहुंच चुके हैं। करीब बीस हजार जवान इनकी सुरक्षा में लगाए गए हैं। चूंकि मोदी और राहुल के पास एसपीजी सुरक्षा रहती है, इसलिए चुनाव में इन्हें थ्री लेयर सुरक्षा दी गई है।
नक्सलियों को उनके इरादों में कामयाब नहीं होने देंगे: दिनाकरण
सीआरपीएफ इंटेलीजेंस के डीआईजी एम.दिनाकरण का कहना है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ नोडल एजेंसी है। दूसरे अर्धसैनिक बलों और पुलिस के साथ मिलकर अचूक सुरक्षा का घेरा तैयार किया गया है। हालांकि ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि नक्सली समूह इस बार छोटे-छोटे समूहों में बंटकर हमला कर सकते हैं। इस रणनीति को फेल करने के लिए सुरक्षा बल भी एक विशेष सुरक्षा योजना पर काम कर रहे हैं। सुरक्षा बलों के लिए चुनाव शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराना एक चुनौती है और वे इसे पक्के इरादे से स्वीकार भी कर रहे हैं। यूएवी और मानवीय इंटेलीजेंस की मदद से किसी भी संभावित खतरे पर नजर रखी जा रही है। बड़े यूएवी जो कि हेलीकॉप्टर जितनी उंचाई पर पहुंचकर लाइव वीडियो और फोटो, जिनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है, लगातार भेजते रहते हैं।