ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर :कोरबा शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा पंडोपारा गांव, जहां पंडो जनजाति के लोग रहते हैं। यहां जब पहली बार स्कूल खुला था, तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पालकों को उम्मीद थी कि उनके बच्चे अब शिक्षा से जुड़ेंगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे। लेकिन इस उम्मीद पर तब पानी फिरने लगा, जब स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही पदस्थ था।
विद्यालय में एकमात्र शिक्षक होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा था। कभी शिक्षक छुट्टी पर होते, तो पूरी कक्षा बिना पढ़ाई के खाली बैठती थी। कई बार बच्चे सिर्फ स्कूल आकर दिनभर समय बिताकर लौट जाते थे। इस स्थिति से बच्चों के साथ-साथ पालक भी बेहद चिंतित रहते थे।
गांव के ही मंगल सिंह पंडो ने बताया कि हमारे बच्चे स्कूल तो जाते थे, लेकिन पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती थी। एक ही गुरुजी थे, वो भी छुट्टी में होते तो पूरा स्कूल ठप पड़ जाता था। अब खबर मिली है कि नए शिक्षक आने वाले हैं। बहुत खुशी हो रही है कि अब हमारे बच्चे खाली नहीं बैठेंगे, हर कक्षा में पढ़ाई होगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से अब हालात बदल गए हैं। कोरबा जिले के 300 से ज्यादा एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन विद्यालयों में अब शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। इस प्रक्रिया के तहत जिले के 14 प्राथमिक शालाएं और 4 मिडिल स्कूल जो पहले शिक्षकविहीन थे, वहां अब पढ़ाई शुरू हो सकेगी। इसके अलावा 287 प्राथमिक और 20 मिडिल स्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। अब सभी मिडिल स्कूलों में कम से कम तीन शिक्षक और दूरस्थ क्षेत्रों की प्राथमिक शालाओं में दो शिक्षक पढ़ाएंगे। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और बच्चों को बेहतर माहौल मिलेगा।
पाली विकासखंड के अंतिम छोर पर स्थित पंडोपारा गांव के बच्चे अब शिक्षकों की नई तैनाती से काफी उत्साहित हैं। कक्षा चौथी के छात्र जगदेश्वर पंडो, तीसरी कक्षा के राजेन्द्र और दूसरी कक्षा के मुकेश पंडो ने बताया कि वे बहुत खुश हैं कि अब उनके स्कूल में नए गुरुजी आ रहे हैं।
राज्य सरकार की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा की रोशनी अब सबसे दूर बैठे बच्चों तक भी पहुंच रही है। युक्तियुक्तकरण ने पंडो समाज के बच्चों के भविष्य को एक नई दिशा दी है, जिससे वे भी मुख्यधारा से जुड़कर आगे बढ़ सकें।