ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर :
प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत चयनित हितग्राहियों को घरों के निर्माण हेतु प्रायः कुशल राजमिस्त्रियों की आवश्यकता होती है। कई बार दूरस्थ क्षेत्रों में राजमिस्त्रियों की उपलब्धता सीमित होने के कारण उन्हें अन्य ग्रामों से बुलाना पड़ता है। इस स्थिति को देखते हुए दंतेवाड़ा जिले में योजना के अंतर्गत ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। इन प्रशिक्षणों के माध्यम से हितग्राहियों को निर्माण संबंधी तकनीकी जानकारी एवं आधारभूत कौशल प्रदान कर उन्हें अपने आवास का निर्माण स्वयं करने में सक्षम बनाया जा रहा है। राजमिस्त्री प्रशिक्षण में महिलाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
जिले के नियद नेल्ला नार योजना अंतर्गत शामिल ग्राम धुरली में आयोजित प्रशिक्षण सत्र से लाभान्वित होकर महिला पायको ने अपने सपनों का पक्का घर स्वयं तैयार किया है। पायको बताती हैं कि प्रशिक्षण से मिले आत्मविश्वास और तकनीकी ज्ञान ने उन्हें अपने घर का निर्माण स्वयं करने में सक्षम बनाया है। उनका कहना है- पक्का घर बनने से जीवन में स्थायी सुरक्षा और सम्मान दोनों मिले हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत संचालित 45 दिवसीय राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थानीय मजदूरों को निर्माण प्रक्रिया, तकनीकी मानकों एवं गुणवत्ता संबंधी जानकारी दी जाती है। साथ ही प्रतिभागियों को प्रतिदिन 220 रुपये की मजदूरी भी प्रदान की जाती है। पायको सहित कई अन्य ग्रामीण इस प्रशिक्षण का हिस्सा बनकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुए हैं।
ग्राम धुरली के ग्रामीणों का कहना है कि इस पहल ने उन्हें केवल पक्के घर ही नहीं दिए, बल्कि रोजगार, सम्मान और स्थायी आश्रय भी दिया है। अब वे गर्व के साथ अपने मजबूत और सुरक्षित घरों में रह रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीणों को राजमिस्त्री का प्रशिक्षण केवल आवास निर्माण तक सीमित है, बल्कि यह ग्रामीणों को आजीविका, कौशल और आत्मसम्मान से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी सिद्ध हो रहा है।