ईश्वर दुबे
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Bhilai
कबीरधाम(कवर्धा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गृह जिले कबीरधाम(कवर्धा ) के तहत दो विधानसभा सीट आती हैं पंडरिया और कवर्धा । कवर्धा में अभी भाजपा का ही कब्जा है, कवर्धा से अशोक साहू और पंडरिया से मोतीराम चंद्रवंशी भाजपा विधायक हैं। कवर्धा और पंडरिया विधानसभा पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, सांसद अभिषेक सिंह और परिवार के सदस्यों का सीधा दखल रहता है। यही नहीं, भाजपा उम्मीदवार को चुनाव जिताने के लिए मुख्यमंत्री का कुनबा खुद डेरा डालता है और वोटरों से सीधा संपर्क करता है। चुनाव में हर बार कवर्धा और पंडरिया से विधायक होने के बावजूद भाजपा नए उम्मीदवार पर दांव लगाती है। कवर्धा और पंडरिया से कांग्रेस भी कड़ी टक्कर देने के लिए मजबूत दावेदार मैदान में उतारती रही है। पंडरिया से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अकबर ने वर्ष 2008 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। लेकिन उनके बाद से दोनों सीटों पर कांग्रेस को जीत नहीं मिल पाई। इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में है।
पंडरिया विधानसभा
छत्तीसगढ़ की पंडरिया विधानसभा सीट 2008 के परसीमन के बाद वजूद में आई है। एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी इस सीट पर जीत चुकी है। मौजूदा समय में बीजेपी का कब्जा है। जबकि कांग्रेस दोबारा से वापसी के लिए बेताब है। पंडरिया विधानसभा के वनांचल का इलाका आज भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है और यहां पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा समस्या प्रमुख है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने यहां से जीत हासिल की है, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई है।2013 के विधानसभा चुनाव में पंडरिया सीट पर 15 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। बीजेपी के मोतीराम चन्द्रवंशी ने कांग्रेस के लालजी चन्द्रवासी को मात देकर कब्जा किया था।बीजेपी उम्मीदवार को 81685 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 74412 वोट मिले थे। इसके अलावा जीजीपी के निर्मल सलूजा को 7377 और सीएसएम के रामकृष्ण साहू को 5502 वोट मिले थे।2008 के नतीजे में कांग्रेस उम्मीदवार अकबर को 72397 वोट मिले थे। बीजेपी के लालजी चंद्रवासी को 70536 वोट मिले थे
कवर्धा विधानसभा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा की विधानसभा सीट वीआईपी सीट है। यहां पर पिछले दो चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। यानी इस बार नज़र हैट्रिक पर होगी।रमन सिंह का गृह जिला होने की वजह से इस सीट पर सभी की नज़रें टिकी होती हैं और सीएम की साख भी इससे जुड़ जाती है।हालांकि, बीजेपी के लिए चिंता का विषय ये है कि पिछला चुनाव यहां से विधायक अशोक साहू ने मात्र 2000 वोटों के अंतर से ही जीता था। ऐसे में रमन सिंह पर अपने ही घर में बीजेपी को जीत दिलाना ही चुनौती बन सकता है।2013 विधानसभा चुनाव में अशोक साहू, बीजेपी को 93645 वोट मिले अकबर भाई, कांग्रेस, को 91087 वोट मिले थे। 2008 विधानसभा चुनाव में सियाराम साहू, बीजेपी को 78817 वोट मिले और योगेश्वराज सिंह, कांग्रेस को 68409 वोट मिले थे। 2003 विधानसभा चुनाव में योगेश्वराज सिंह, कांग्रेस को 51092 वोट मिले थे जबकि सियाराम साहू, बीजेपी ने 46904 वोट पाए थे। इस सीट की चर्चा करना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि इस विधानसभा सीट पर जीत-हार के अंतर से नोटा को मिले वोटों की संख्या तीन गुना से भी ज्यादा थी। इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी अशोक साहू ने 93,645 से वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार रहे अकबर भाई को 91,087 वोट मिले थे। इस सीट पर जीत-हार का अंतर 2,558 मत का रहा था। वहीं इस सीट पर नोटा को मिले वोटों की संख्या 9,229 थी।