ईश्वर दुबे
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Bhilai
बिलासपुर. हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ टेक्नीकल एजुकेशन (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम 2002 के तहत तीन साल की संविदा पर नियुक्त होने के बाद से प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों में सालों से कार्यरत 79 सहायक प्राध्यापकों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी प्रस्तुत करने के तीन माह के भीतर नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के लिए 8 जुलाई 2002 को छत्तीसगढ़ टेक्नीकल एजुकेशन तीन वर्षीय संविदा सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम 2002 जारी किया। इस नियम के तहत नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया।
पूरी प्रक्रिया और आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए इंजीनियरिंग कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों और पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में व्याख्याता के पदों पर तीन वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्तियां की गई, इसमें गोपी साव, बीएस कंवर, डॉ. रानी पुष्पा बघेल, संजीव कुमार सिंह सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों का चयन किया गया।
तीन वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त होने से बाद से वे लगातार कार्यरत हैं। राज्य सरकार ने इन पदों पर नियमित भर्ती करने के लिए 2015 में विज्ञापन जारी किया। हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिकाएं प्रस्तुत की गईं। कुछ याचिकाओं में जहां 2015 में जारी विज्ञापन को निरस्त करने की मांग की गई थी, वहीं अन्य याचिकाकर्ताओं ने सालों से संविदा पर कार्यरत होने का हवाला देते हुए नियमित करने का निर्देश देने की मांग की थी।
सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने जनवरी 2017 में याचिकाएं खारिज कर दी थीं, इसके खिलाफ 79 अपील प्रस्तुत की गई थी। अपीलों पर चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त करते हुए अपील प्रस्तुत करने वाले 79 अभ्यर्थियों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रस्तुत करने के तीन माह के भीतर नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश भी दिए हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति अधिसूचना के तहत विज्ञापन जारी करने के बाद सभी नियम, प्रक्रिया और आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए की गई थी। याचिकाकर्ता किराए पर कार्य नहीं कर रहे थे। कोर्ट की जिम्मेदारी है कि उनके पक्ष में रहे जिनके जीवन और आजीविका पर संकट है।