ईश्वर दुबे
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Bhilai
भोपाल. भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आज दिल्ली में होगी, बैठक में दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, सीईसी के सभी सदस्य और राज्यों के मंत्री मौजूद रहेंगे। मध्य प्रदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह समेत कई नेता शामिल होंगे। बुधवार को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद अब भाजपा ने ये बैठक बुलाई है।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज समेत मध्य प्रदेश के बड़े नेता प्रत्याशियों की पहली सूची पर चर्चा करेंगे। इसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति इनके नाम तय करेगी। भाजपा जल्द से जल्द प्रत्याशियों की घोषणा करना चाहती है। असल में, कांग्रेस ने बैठक करके मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों की 73 सीटों पर नाम तय किए थे।
इस बीच चुनाव मध्य प्रदेश में कांग्रेस की फर्जी सूची जारी होने से हंगामा मचा हुआ था। इसके साथ ही सोशल मीडिया में भी फर्जी सूचियों के जारी होने का दौर जारी है। लिस्ट कौन जारी कर रहा है, यह किसी को नहीं पता? चौंकाने वाली बात यह है कि लिस्ट को लेकर अभी तक कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने सायबर सेल या पुलिस से शिकायत नहीं की है। न ही पार्टियों ने इसकी पुष्टि की।
दिल्ली में दशहरे की रात रावण का पुतला जब्त कर लिया गया। दिल्ली पुलिस पुतले को जब्त कर अपने साथ थाने ले आई। ये घटना पूर्वी दिल्ली में शुक्रवार देर रात की है। यहां कुछ लोग रावण दहन की तैयारी कर रहे थे। पुलिस के मुताबिक, इन लोगों को पुतला दहन की मंजूरी नहीं मिली थी। इसलिए इन्हें मौके पर जाकर रोका गया। समझाने के बावजूद विवाद बढ़ने पर पुलिस ने यह कार्रवाई की। पुलिस का कहना है कि पुतले को लेकर कोर्ट के निर्देश पर ही जमानत मिल सकेगी।
सुख विहार तिकोना पार्क रोड स्थित सामुदायिक भवन के पास 40 फुट ऊंचा रावण का पुतला दहन किया जाने वाला था। फ्रेंडस यूनियन रामलीला ड्रामेटिक क्लब के सदस्यों द्वारा मुख्य मार्ग पर ये पुतला खड़ा किया गया था। इनका कहना है कि हर वर्ष पार्क में रामलीला होने के बाद अबकी बार पुलिस ने मंजूरी नहीं दी थी। यही वजह थी कि लोगों ने सड़क किनारे का सहारा लिया।
उधर, पुलिस का कहना है कि मुख्य मार्ग पर पुतला दहन की मंजूरी नहीं दी जा सकती। इससे बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए पुलिस ने पुतले को जब्त किया है। पुलिस के समझाने के बाद भी लोग नहीं माने तो पुतले को कब्जे में ले लिया। इस घटना को लेकर लोगों ने पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। उन्होंने मांग की है कि पुलिस ने पुतला नहीं दिया तो उनके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट के निर्देश पर ही अब पुतले को छोड़ा जाएगा।
अमृतसर में 61 से ज्यादा लोगों के टुकड़े करने वाली दोनों गाड़ियों में न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम लगा था। अगर ड्राइवर थोड़ी भी सावधानी बरतते तो इतनी बड़ी संख्या में लोग न मरते। न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम, भारतीय रेलवे की नवीनतम तकनीक मानी जाती है। यह ब्रेक सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से ऑपरेट होता है। इसकी मदद से किसी भी इमर्जेंसी में गाड़ी को रोका जा सकता है। ब्रेक लगने के बाद हाईस्पीड में चल रही गाड़ी डेढ़ सौ मीटर दूरी पर रुक जाती है।
न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत
उत्तर रेलवे में गाड़ियों की स्पीड और ट्रैक क्षमता के विशेषज्ञ एक अधिकारी का कहना है कि न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत यह है कि इनके इस्तेमाल से गाड़ी के डीरेलमेंट (यानी गाड़ी का पटरी से उतर जाना) की संभावना न के बराबर होती है। पहले गाड़ियों में वैक्यूम ब्रेक होते थे, जिसे लगाने के बाद गाड़ी साढ़े तीन सौ मीटर दूरी पर जाकर रूकती थी। इसमें कई बार गाड़ी के डीरेलमेंट होने का खतरा बना रहता था।
शुक्रवार की रात जोड़ा फाटक के निकट जब यह हादसा हुआ तो जालंधर-अमृतसर डीएमयू नम्बर 74643 की स्पीड सौ से अधिक थी। इस फाटक से ज्यादातर गाड़ियां 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गुजर सकती हैं। हादसे के वक्त दूसरी गाड़ी 13006 अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस भी फुल स्पीड पर चल रही थी।
ड्राइवर बरतते सावधानी तो नहीं जाती इतनी जान
रेलवे एक्सपर्ट केतन गोराडिया और आईएस शर्मा का कहना है कि दोनों गाड़ियों के लिए वहां पर कोई कॉशन नहीं लगा था, इसलिए वे फुल स्पीड पर थी। अहम बात यह है कि दोनों गाड़ियों के ड्राइवर अगर थोड़ी सी भी सावधानी बरतते तो हादसा इतना भीषण न होता।
अगर चालक 150-200 मीटर पहले न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल करते तो रावण जलाए जाने वाले स्थल तक गाड़ी रुक सकती थी। दोनों गाड़ियों के ड्राइवरों में से किसी ने भी स्पीड कम नहीं की और न ही इमर्जेंसी ब्रेक लगाने का प्रयास किया, जबकि उन्हें ट्रैक के आसपास भीड़ दिखाई दे रही थी।
ट्रेन ड्राइवर ने की यह दूसरी गलती
रेलवे एक्सपर्ट कहते हैं कि ट्रेन ड्राइवर ने दूसरी बड़ी गलती यह कर दी कि उन्होंने हादसे की सूचना अगले स्टेशन पर नहीं दी। पहले रेलवे में यही नियम था। अगर कोई ऐसा हादसा होता है और ड्राइवर को पता है तो वह अगले स्टेशन पर गाड़ी रोक कर उसकी सूचना देता था।
बाद में यह नियम बना कि अगर कोई छोटा-बड़ा हादसा होता है तो ट्रेन ड्राइवर और गार्ड तुरंत गाड़ी रोककर मौके पर जाएंगे। आरपीएफ को सूचना देंगे। अमृतसर ट्रेन हादसे में दोनों गाड़ियों के ड्राइवर लापरवाह दिखे हैं। उन्होंने नियम के मुताबिक अगले स्टेशन पर हादसे की सूचना नहीं दी।
एक्सपर्ट का कहना है कि इस मामले में ड्राइवर ने हादसे के बाद मौके पर गाड़ी न रोक कर सूझबूझ का परिचय दिया है। अगर वे ऐसा करते तो भीड़ गाड़ियों को आग के हवाले कर सकती थी। इससे बहुत से ट्रेन यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती थी, लेकिन उन्होंने अगले स्टेशन पर भी गाड़ी नहीं रोकी।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा कई मुश्किलों से जूझ रही है। सत्ता विरोधी रुझान से जूझ रही भाजपा को नई रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक इस बार भाजपा के मौजूदा 160 विधायकों में से करीब 80-90 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो किसी भी पार्टी में मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने की यह सबसे बड़ी संख्या होगी।
बताया जा रहा है कि इस कदम के साथ पार्टी दूसरे राज्यों के विधायकों और भाजपा सांसदों को सख्त संदेश देना चाहती है कि अगर उनका परफॉर्मेंस सही नहीं रहा तो उनके टिकट भी कट सकते हैं।
भाजपा के मौजूदा विधायकों और सांसदों का फीडबैक लगातार लिया जा रहा है। इसके अलावा नमो ऐप के जरिए भी इनका फीडबैक जमा किया जा रहा है। इस ऐप के जरिए लोग अपने विधायकों-सांसदों के बारे में सीधे पीएम मोदी को बता सकते हैं।
युवा उम्मीदवारों को मिलेगा मौका
सूत्रों के मुताबिक सत्ता विरोधी लहर के मद्देनजर पार्टी पहली बार चुनाव मैदान में बड़ी संख्या में युवा उम्मीदवारों को खड़ा कर सकती है। इसके पीछे रणनीति ये है कि लंबे समय से पार्टी की सेवा कर रहे लोगों को मौका मिले और जनता के सामने उन्हें ज्यादा गुस्से का सामना भी न करना पड़े। क्योंकि मौजूदा विधायकों के खिलाफ जनता में गुस्सा नजर आ रहा है।
हालिया तमाम सर्वे में बताया गया है कि इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आना तय है। भाजपा ने 2013 में प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी। लेकिन इस बार बाजी पलटती नजर आ रही है। भाजपा को सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है और कांग्रेस ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत की अगुवाई में भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है।
बता दें कि राजस्थान 7 दिसंबर को मतदान होगा। राजस्थान में भाजपा ने साल 2013 में कांग्रेस को हराकर सत्ता छीनी थी। इस बार कांग्रेस वापसी की पुरजोर कोशिश में है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत पूरा जोर लगाए हुए हैं। वहीं, वसुंधरा राजे के सामने सरकार को बचाए रखने की बेहद कड़ी चुनौती है।
श्रीनगर में शुक्रवार को प्रशासन ने सभी हायर सेकेंडरी स्कूल सहित कॉलेज बंद रखने के आदेश दिए हैं। कश्मीर विश्वविद्यालय में भी शिक्षण कार्य ठप रहेगा। बुधवार और गुरुवार को सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाकर कुल आठ आतंकी मार गिराए। जिसमें फतेहकदल में लश्कर के टॉप कमांडर मेहराजुद्दीन बांगरू समेत तीन आतंकियों को बुधवार को, वहीं गुरुवार सुबह पुलवामा में सुरक्षा बलों ने तहरीक ए मुजाहिदीन संगठन के आतंकवादी अहमद भट्ट को मार गिराया।
उधर देर रात उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के बोनियार जंगल क्षेत्र में सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया। सेना के अनुसार इस दौरान हुई मुठभेड़ के दौरान चार आतंकियों को ढेर कर दिया गया है, लेकिन फिलहाल किसी का शव बरामद नहीं किया जा सका है।
ऐसे में जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़कने की आशंका में प्रशासन ने एहतियातन स्कूल-कॉलेज को बंद रखने का फैसला किया है।
आतंकी के मारे जाने पर कश्मीर विवि में प्रदर्शन
दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा में बी फार्मेसी के छात्र से आतंकी बने शौकत के मारे जाने के विरोध में कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों ने वीरवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने सर सैय्यद गेट तक मार्च निकाला और जनाजा पढ़ा। बी फार्मेसी विभाग के बाहर श्रद्धांजलि भी दी। ज्ञात हो कि दो अक्तूबर को ही शौकत तहरीक-उल-मुजाहिदीन में शामिल हुआ था।
छत्तीसगढ़ में वसूली के नाम से कुख्यात बदमाश को दून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बदमाश दो दिन पहले ही यहां दून में छुपने आया था। आरोप है कि वह लोगों को पहले मोटे ब्याज पर कर्जा देता था और फिर डरा धमकाकर वसूली करता था। आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर छत्तीसगढ़ पुलिस अपने साथ ले गई है।
वसूली का पूरा नाम बबला उर्फ अमित सिंह ठाकुर निवासी पारिजात एक्सटेंशन नेहरू नगर बिलासपुर है। पूछताछ में उसने बताया कि वह लोगों को मोटे ब्याज पर कर्ज देता है और बाद में डरा धमकाकर कर्ज वसूलता है। कर्ज वसूलने के लिए वह कई लोगों से मारपीट और जानलेवा हमले भी करा चुका है। उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ कर्जा अधिनियम, जमीन की धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में करीब सात मुकदमे दर्ज हैं।
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला में नक्सलियों ने बैनर और पोस्टर के जरिये चुनाव बहिष्कार करने का एलान किया है। इससे पहले भी नक्सल प्रभावित जिला बस्तर में भी माओवादियों ने ग्रामीणों को चुनाव बहिष्कार की घोषणा की थी। यहीं नहीं मतदान में शामिल होने वाले ग्रामीणों को जान से मारने की धमकी तक दी थी।
कांकेर जिला के पखांजुर क्षेत्र के बरदा मार्ग पर नक्सलियों ने बैनर लगाया है और पर्चे फेंके हैं। इनमें विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने को कहा गया है। नक्सलियों ने फेंके पर्चों में लिखा है कि भाजपा को मार भगाओ और जनताना सरकार को मजबूत बनाओं और इसका विस्तार करो।
वैसे जब जब चुनाव नजदीक आता है नक्सली इस तरह से पर्चे फेंकते रहते हैं। कुछ दिनों पहले बस्तर जिला में ग्रामीणों ने बताया था कि नक्सलियों ने फरमान जारी किया है कि अगर किसी आदिवासी मतदाता के हाथ में चुनावी स्याही लगी मिलेगी तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 12 नवंबर को चुनाव होंगे। वहीं दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान कराए जाएंगे। जिसमें बस्तर की 12 सीटों पर पहले चरण में 12 नवंबर को मतदान होना है।
छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित बस्तर के लोग विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं। लेकिन नक्सलियों की धमकी के बाद चुनाव में लगाई जाने वाली स्याही नहीं लगवाना चाहते। वोटर जागरूकता अभियान के दौरान बस्तर के लोगों ने बीजापुर और सुकमा कलेक्टर को इस बारे में बताया था।
अब कांकेर जिला में नक्सलियों की चुनाव बहिष्कार घोषणा के बाद निर्वाचन आयोग के लिए प्रथम चरण का चुनाव में सतर्कता बरतनी पड़ेगी।
वोटिंग के बाद नक्सलियों का खौफ
नक्सली मतदान के बाद गांव-गांव में घूमकर ग्रामीणों के हाथ देखते हैं। अगर किसी की अंगुली पर स्याही के निशान पाए गए तो उसे परेशान किया जाता है। चुनाव में मतदान करने पर हत्या तक करने के मामले सामने आए हैं। इसलिए ग्रामीण मतदान में हिस्सा नहीं लेते।
बीते चुनावों में बस्तर के अंदरूनी जिले सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर में 100 से अधिक ऐसे बूथ सामने आए थे, जहां एक फीसदी से कम मतदान हुआ।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अजीत जोगी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। वह स्टार प्रचारक के रूप में सक्रिय रहेंगे। इस चुनाव में जोगी की पार्टी, बसपा और सीपीआई के बीच गठबंधन हुआ है। अजीत जोगी सभी 90 सीटों पर चुनाव प्रचार करेंगे। उनकी व्यस्तता के मद्देनजर फैसला लिया गया है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे ताकि प्रचार के काम में पूरा ध्यान लगा सकें।
हयात ने बताया कि इस विषय पर पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन के कार्यकर्ता, महागठबंधन के पदाधिकारियों के बीच इस बात को उठा रहे थे कि मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी को पहले चरण में बस्तर की सीटों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है और इसी कारणवश इस संबंध में तत्काल फैसला लेने की आवश्यकता है।
90 सीटों पर सघन प्रचार करेंगे जोगी
उन्होंने बताया कि इस विषय पर गठबंधन के सभी वरिष्ठ नेताओं एवं पदाधिकारियों के बीच आज चर्चा हुई और यह निर्णय किया गया कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी अजीत जोगी को कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा बल्कि 90 सीटों में सघन प्रचार कराया जाएगा।
महागठबंधन के इस निर्णय का कारण बताते हुए महागठबंधन के नेताओं ने कहा कि अगर जेसीसीजे अकेले 90 सीटों पर चुनाव लड़ती तो अजीत जोगी ख़ुद चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र थे। लेकिन महागठबंधन होने के वजह से उनके दौरों, सभा और प्रचार कार्यक्रमों की संख्या दुगनी हो गयी है और इसलिए अब उनका समय सभी 90 विधानसभाओं में प्रमुखता से बंटना चाहिए।
हयात ने बताया कि अगर जोगी किसी एक सीट से लड़ेंगे तो उनका अधिक समय उस अकेली सीट में प्रचार करने में व्यतीत होगा जिससे महागठबंधन को बस्तर और अन्य स्थानों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी कारणवश, महागठबंधन के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने यह निर्णय किया है कि मुख़्यमंत्री पद के प्रत्याशी अजीत जोगी को किसी भी सीट से चुनाव न लड़ाया जाए।
जोगी ने कहा, महागठबंधन के निर्णय के अनुसार ही चलूंगा
महागठबंधन के इस फैसले पर अजीत जोगी ने कहा कि महागठबंधन के निर्णय के अनुसार ही वह चलेंगे। महागठबंधन के बाद उत्पन्न परिस्थितियों और उनकी सभी 90 सीटों पर सघन आवश्यकता के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ में महागठबंधन की सरकार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
छत्तीगसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। राज्य में दो चरणों में 12 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान होगा। पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र और राजनांदगांव जिले की 18 सीटों पर और दूसरे चरण में 20 नवंबर को 72 सीटों पर मतदान होगा।
राज्य में चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने महागठबंधन बनाया है। राज्य में 90 विधानसभा सीटों में बसपा 33 सीटों पर, जनता कांग्रेस 55 सीटों पर तथा भाकपा दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदा सीट राजनांदगांव से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। अब उनके चुनाव नहीं लड़ने के फैसले को राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
12 नवंबर को मतदान
कांग्रेस की ओर से 12 उम्मीदवारों के नाम के एलान के साथ ही राज्य में चुनावी हलचल और तेज हो गई है। पांच राज्यों में सबसे पहले छत्तीसगढ़ में मतदान होना है। यहां 12 और 20 नवंबर को मतदान होगा। बता दें कि पांच राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम में चुनाव होने जा रहे हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा लगातार 15 साल से सत्ता में है। वहीं राजस्थान में भाजपा ने 2013 में सरकार बनाई थी।
इन पांचों राज्यों में सबसे पहले मतदान छत्तीसगढ़ में होगा। यहां दो दौर में मतदान होगा। पहले फेज में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12 नवंबर को जबकि दूसरे फेज में 20 नवंबर को चुनाव होगा। छत्तीसगढ़ की सत्ता पर भाजपा 15 साल से काबिज है। डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री पद की कमान संभाले हुए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती और पूर्व कांग्रेस नेता अजीत जोगी के बीच गठबंधन के एलान के बाद मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।
रायपुर/दिल्ली. शुक्रवार को मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की है। हालांकि इस मुलाकात का ब्यौरा सामने नहीं आया है, लेकिन बताया जा रहा है कि प्रत्याशियों के नाम को लेकर रायशुमारी की गई है। इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह और राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय भी मौजूद थीं।
मुख्यमंत्री रमन सिंह, सौदान सिंह, सरोज पांडे के साथ पवन साय की बैठक कर पैनल में आए नामों को एक बार फिर रिफाइन किया। उसके बाद शाम को रमन ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिले और प्रत्याशियों के नाम पर रायशुमारी की। इस दौरान राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री सौदान सिंह और पांडेय भी मौजूद थीं।
संकेत हैं कि भाजपा 20 से अधिक मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। अब शनिवार को चुनाव समिति बैठक में प्रत्याशियों के नामों को रख सिर्फ औपचारिकता पूरी होगी। बस्तर की सभी 12 सीटों पर पैनल में अब सिंगल नाम हैं। मंत्री महेश गागड़ा और केदार कश्यप को टिकट मिलना तय माना जा रहा है।
शुक्रवार की बैठक में 60 से ज्यादा नामों पर चर्चा हुई। विधायकों के नाम के साथ भी 2 से 3 नामों का पैनल है। इस बार 20-22 नए उम्मीदवारों में युवा-महिलाएं होंगी। शनिवार को आने वाली पहली सूची में करीब 50 नामों का ऐलान हो सकता है।
अमृतसर। दशहरा के एक समारोह के दौरान एक ट्रेन की चपेट में आने के कारण 61 लोगों की मौत वाले दुर्घटनास्थल के पास शनिवार को सैकड़ों लोगों ने धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और ट्रेन के चालक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। एक प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि ट्रेन तेज गति से निकली और भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी के बावजूद चालक ने ट्रेन की रफ्तार कम नहीं की।
अधिकारियों ने बताया कि अमृतसर में जोड़ा फाटक के निकट शुक्रवार शाम को रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े लोग एक ट्रेन की चपेट में आ गए जिसमें कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई और 72 अन्य घायल हो गए। दुर्घटनास्थल पर सुबह से हजारों लोग जुटे हुये हैं। पुलिस ने भीड़ प्रबंधन करने के लिए व्यापक व्यवस्था की है।