ईश्वर दुबे
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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर रेलवे की एक दलील को अनुमति दे दी, जिसमें कोर्ट से मांग की गई थी कि दिल्ली-मथुरा-आगरा लाइन पर एक नया रेलवे लाइन बिछाने के लिए ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) के लगभग 30 किलोमीटर के दायरे में 452 पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने साथ ही क्षतिपूरक वनीकरण के साथ इस फैसले को मंजूरी दी है. इसके अनुसार काटे जाने वालों पेड़ों की जगह उत्तर रेलवे को दूसरी जगह पेड़ लगाने होंगे.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह उत्तर रेलवे द्वारा जिस स्थान पर पेड़ लगाए जाएंगे, वहां का दौरा करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति करे और मुआवजे के रूप में उत्तर रेलवे द्वारा लगाए गए पेड़ों का निरीक्षण करे.
ट्रेपेजियम जोन में 40 से अधिक संरक्षित स्मारक
बता दें कि ताज ट्रेपेजियम जोन में 40 से अधिक संरक्षित स्मारक हैं, जिसमें तीन विश्व धरोहर स्थल जैसे ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी शामिल हैं. ताज ट्रेपेजियम जोन 10,400 वर्ग किमी का परिभाषित क्षेत्र है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्मारक को प्रदूषण से बचाने के 30 दिसंबर 1996 को फैसला सुनाया था. एक जनहित याचिका में ताजमहल को बचाने की मांग की गई थी. जिसके जवाब में यह फैसला सुनाया गया और उद्योगों में कोयले/कोक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इस ताज ट्रेपेजियम जोन की वजह से रियल एस्टेट के लोगों को काफी मंदी का सामना करना पड़ा था. जमीन-फ्लैट की कीमतों में भी गिरावट आई थी, जिसके चलते नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.