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श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का एक चौंका देने वाला बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सज्जाद लोन को CM बनाना चाहती है। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर मैं ऐसा करता तो ये बेईमानी होती इसलिए मैंने विधानसभा भंग कर दी। यह बयान उन्होंने दो दिन पहले दिया था।

बाद में अपने बयान से पलटते हुए मलिक ने कहा कि मेरे ऊपर दिल्ली से कोई दबाव नहीं था और उन्होंने जो कुछ भी किया वह राज्य के हित में था। सत्यपाल मलिक के इस बयान के बाद ही राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। वहीं, भाजपा नेता कविंद्र गुप्ता ने तो मलिक को निष्पक्ष रहने तक की सलाह दे डाली।

 
इससे पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शनिवार को कहा कि यदि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार बनाने के प्रति गंभीर होते तो किसी के हाथों पत्र भेज सकते थे या फोन कर सकते थे।
 
 
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्यपाल ने भंग कर दिया था और अपने फैसले का बचाव करते हुए मलिक ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि व्यापक खरीद-फरोख्त हो रही है और विपरीत राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के लिए एक स्थिर सरकार बना पाना असंभव होता। इसी के साथ मलिक ने कहा था कि उन्होंने राज्य के हित में और संविधान के मुताबिक काम किया।

छत्तीसगढ़ के सुकमा में मंगलवार को हुए आईडी ब्लास्ट में एक डीआरजी का जवान घायल हो गया है। ब्लास्ट मिनपा में हुआ, यह जंगल वाला इलाका है। ब्लास्ट उस वक्त हुआ जब  206 कोबरा और डीआरजी के जवान अपने बेस कैंप की ओर लौट रहे थे। 

 घटना के बारे में बताते हुए पुलिस अधिकारियों ने कहा कि जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत रांगापारा गांव के करीब प्रेशर बम की चपेट में आने से डीआरजी के सहायक आरक्षक माडवी सुक्का (25) घायल हो गए।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के किस्टाराम और चिंतागुफा थाना क्षेत्र और तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले दो दिनों से ऑपरेशन प्रहार चार चलाया जा रहा है। पुलिस दल में एसटीएफ, डीआरजी और सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के जवान शामिल थे। सोमवार को पुलिस दल को इस अभियान में सफलता मिली और नौ नक्सलियों को मार गिराया गया। इस घटना में डीआरजी के दो जवान शहीद हुए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि देर रात जब डीआरजी का दल अपने शिविर में लौट रहा था तब जवान सुक्का का पैर प्रेशर बम के उपर चला गया। इससे बम में विस्फोट हो गया। इस घटना में सुक्का गंभीर रूप से घायल हो गया है।

उन्होंने बताया कि घटना के बाद घायल जवान को चिंतागुफा के फील्ड अस्पताल में लाया गया तथा बाद में उन्हें रायपुर भेजा गया। सुक्का को रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

रायपुर, 26 नवंबर । मानवजनित किसी भी उपकरण को प्रभावित करने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता, यह वैश्विक मत है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा तंत्र इतना कमजोर हो चुका है। मुझे पूरा विश्वास है कि विधानसभा चुनाव का स्वस्थ परिणाम सामने आएगा।

उक्त बातें नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने आज राजीव भवन में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कही। श्री सिंहदेव ने ईवीएम में छेडख़ानी और चुनाव परिणाम प्रभावित करने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि यह वैश्विक मत है कि मानव द्वारा बनाए गए किसी भी उपकरण, यंत्र को प्रभावित किया जा सकता है यह असंभव नहीं है। लेकिन इसका तात्पर्य यह भी नहीं है कि हमारा तंत्र इतना कमजोर हो गया है कि इसे प्रभावित किया जा सके। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कई रोचक बातें सामने आई हैं। रायपुर के कुछ बूथों के अलावा राज्य के अन्य स्थानों में ईवीएम के खराब होने के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उनके स्वयं के निर्वाचन क्षेत्र के कुछ बूथों पर जहां से आज तक कांग्रेस को लीड मिलती आई है, ऐसे बूथों पर भी ईवीएम के खराब होने की जानकारी उन तक पहुंची है। वे स्वयं भी कई बूथों पर गए जहां से जनता का उन्हें भरपूर समर्थन मिलता है, ऐसे स्थानों पर भी ईवीएम मशीनें खराब होती रहीं। श्री सिंहदेव ने कहा कि इसका मतलब यह भी नही है कि ऐसा जानबूझकर किया गया हो। उन्होंने कहा कि जनता का समर्थन और विश्वास जो उन्हें हासिल है, उसे कोई नहीं छीन सकता।

श्री सिंहदेव ने कहा कि अब तक उन्होंने और कांग्रेस पार्टी ने अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारियों का बेहतर ढंग से निर्वहन किया है, आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम स्वस्थ आएगा, इस बात का उन्हें पूरा यकीन है। सरकार बचाने के लिए प्रशासनिक अफसरों के एजेंट के रूप में काम करने के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए श्री सिंहदेव ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि कोई भी सीडी अथवा स्टिंग ऑपरेशन कांग्रेस के चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकता।

भोपाल। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को दावा किया कि मध्य प्रदेश सरकार के ‘समग्र पोर्टल’ के रिकॉर्ड के अनुसार ‘मामा’ नाम से लोकप्रिय प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पैतृक गांव जैत में 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-2017 के मुताबिक 2006 से 2016 तक मध्य प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में 27 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

 
सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘शिवराज सिंह चौहान ने षड्यंत्र कर सबसे पहले ‘मामा’ के नाम का मुखौटा लगाया, फिर खुद को ‘किसान पुत्र’ बताया। फिर बने घोषणावीर, फिर आदिवासियों के भाई और टैक्स के सैकड़ों करोड़ खर्च कर कोरी प्रसिद्धि कमाई। लेकिन मामा ने जिस-जिस नाम से प्रसिद्धि कमाई, उन्हीं को धोखा दिया और उनकी लुटिया डुबाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मामा आये दिन ‘स्वर्णिम से समृद्ध’ मध्यप्रदेश का झूठा ढोल पीट रहे हैं। जानिए, करोड़पति मामा के दीये तले कितनी गरीबी का अंधेरा फैला है। करोड़पति मामा जिस जैत गांव (बुधनी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत) से आते हैं, वहीं गांव के 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रह रहे हैं।’’
 
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘यह मैं नहीं कह रहा हूं। यह मध्यप्रदेश के ‘समग्र पोर्टल’ पर बताया गया है कि जैत गांव में कुल 327 परिवार हैं, जिनमें से 258 परिवार बीपीएल नीला कार्डधारी व 36 परिवार अंत्योदय अर्थात पीला बीपीएल कार्डधारी हैं। कुल मिलाकर जैत गांव में 327 परिवारों में से 294 परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं।’’ उन्होंने कहा कि यहां तक कि मामा की बुधनी विधानसभा का ‘बकतरा सेक्टर’, जिसमें जैत गांव भी आता है, की 32 में से 31 आंगनवाड़ियों में अभी भी बिजली नहीं है एवं 17 आंगनवाड़ियों में खाना पकाने के बर्तन नहीं हैं। यदि मामा के गांव व विधानसभा में ही बदहाली का यह आलम है, तो कल्पना कीजिए कि राज्य की स्थिति क्या होगी?
 
कांग्रेस पार्टी की 28 नवंबर को होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘’15 साल से चल रही ऐसी भाजपानीत सरकार को एक सेकेन्ड सत्ता में रहने की आवश्यकता नहीं है।’’ सुरजेवाला ने बताया कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) की स्टैटिकल हैंडबुक-2017 की रिपोर्ट कहती है कि मध्य प्रदेश में 2.34 करोड़ लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, जो प्रदेश की जनसंख्या का एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत है।
 
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ पर निशाना साधते हुए सुरजेवाला ने कहा, ‘‘चौहान ने ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ के माध्यम से बेटियों का मामा बन खूब ढोल पीटा। यह कहा कि हर बेटी, जो 12वीं कक्षा में जाएगी व 18 वर्ष की आयु तक शादी नहीं करेगी, उसे 1,18,000 रुपये का नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) मिलेगा। मगर उनकी निगाह लाडलियों की एनएससी में जमा लक्ष्मी पर पड गयी। उन्होंने (चौहान ने) 24 दिसंबर 2014 को अपनी कैबिनेट में यह षड्यंत्र किया कि अब एनएससी सर्टिफिकेट की बजाय ‘कागजी प्रमाण पत्र’ जारी किया जायेगा।’’
 
उन्होंने आरोप लगाया कि चौहान की सरकार आदिवासियों के विकास के बजट पर भी कुठाराघात कर रही है। मध्यप्रदेश में 21 प्रतिशत आदिवासी हैं, जिसमें उनके बजट की हिस्सेदारी को 21 प्रतिशत से घटाकर वित्तीय वर्ष 2016-17 में मात्र 14 प्रतिशत कर दिया गया। सुरजेवाला ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान पूरे प्रदेश के एकमात्र ऐसे तथाकथित किसान पुत्र हैं, जो कभी फसल बेचने के लिए मंडी की कतारों में नहीं देखे गये। वहीं, मध्यप्रदेश में विशेषरूप से मंदसौर में हजारों किसान अपनी प्याज एवं लहसुन को 50 पैसे प्रति किलो में बेचने के लिए मजबूर हैं।
 

नयी दिल्ली। देश में कच्चे इस्पात का उत्पादन इस साल अक्तूबर में 87.7 करोड़ टन रहा। वर्ल्ड स्टील एसोसएिशन ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। एक साल पहले इसी महीने में इस्पात उत्पादन 87.3 करोड़ टन था। इसके अनुसार, ‘‘दुनिया के 64 देशों में कच्चे इस्पात का कुल उत्पादन इस वर्ष अक्तूबर में 15.66 करोड़ टन रहा जो पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 5.8 प्रतिशत अधिक है।’’ चीन में कच्चे स्टील का उत्पादन आलोच्य महीने में 8.255 करोड़ टन रहा जो 2017 के अक्तूबर के 7.57 करोड़ टन के मुकाबले 9.1 प्रतिशत अधिक है।

रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि जापान में उत्पादक इस साल अक्तूबर महीने में 4.5 प्रतिशत घटकर 85.6 लाख टन था। वहीं अमेरिका में कच्चे इस्पात का उत्पादन इस महीने में 10.5 प्रतिशत बढ़कर 75.7 लाख टन रहा जो पिछले साल अक्तूबर महीने में 68.5 लाख टन था। यूरोपीय संघ में फ्रांस का उत्पादन अक्तूबर 2018 में 13 लाख टन, इटली का 23 लाख टन तथा स्पेन का 13 लाख टन था। तुर्की में कच्चे इस्पात का उत्पादन आलोच्य महीने में 32 लाख टन जबकि यूक्रेन का 18 लाख टन रहा। दुनिया में कुल इस्पात उत्पादन में वर्ल्ड स्टील के सदस्यों की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है। इसमें 160 से अधिक स्टील उत्पादन शामिल हैं। कुल 10 बड़ी इस्पात कंपनियों में से नौ एसोसएिशन से संबद्ध हैं। 
चुनाव से संबंधित एक अच्छा समाचार सुनने को मिला है। महाराष्ट्र चुनाव आयोग आदेश दिया है कि सभी निकाय चुनाव में यदि नोटा को सबसे अधिक मत मिलते हैं, तो चुनाव स्थगित करके दोबारा चुनाव कराया जाएगा। राज्य चुनाव आयुक्त जेएस सहरिया ने कहा कि वे नोटा की सहायता से चुनाव प्रक्रिया को बेहतर करने की उम्मीद कर रहे हैं और ऐसा मतदाताओं की बढ़ी हुई भागीदारी से होगा। नोटा राजनीतिक दलों को योग्य प्रत्याशियों को उतारने के लिए मजबूर करेगा। हमने निश्चय किया कि इसे बदला जाए और नोटा को अधिक प्रभावी बनाया जाए। चुनाव अधिकारियों ने कहा है कि संशोधित नोटा नियम अगले वर्ष के लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए भी प्रभावी हो सकते हैं, बशर्ते भारतीय चुनाव आयोग इस प्रकार का संशोधन करे। अभी तक की स्थिति के अनुसार नोटा नियम स्थानीय निकाय चुनावों के लिए लागू हैं, क्योंकि हमने धारा-243 के अंतर्गत अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए परिवर्तन कर दिए हैं। चुनाव आयोग धारा-324 के अंतर्गत ऐसे परिवर्तन कर सकता है।
 
वैसे ये अपने आप में ऐतिहासिक निर्णय है। निकाय चुनाव में मतदाता कम होते हैं और वे प्रत्याशियों के गुण-दोषों को भी भली-भांति जानते हैं। ऐसे में नोटा के मत अधिक होने पर चुनाव स्थगित करके दोबारा चुनाव कराया जाएगा। ऐसी परिस्थिति में राजनीतिक दलों का प्रयास रहेगा कि वे योग्य प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारें। देश में पिछले कई वर्षों से नोटा लागू है, परंतु लोकसभा और विधानसभा चुनावों में नोटा को अधिक मत मिलने पर चुनाव रद्द करने संबंधी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। पिछले बहुत समय से यह मांग उठती रही है कि नोटा को अधिक मत मिलने पर चुनाव को स्थगित करके दोबारा चुनाव कराए जाएं।
 
नोटा का अर्थ है नन ऑफ द एबव अर्थात इनमें से कोई नहीं। जो मतदाता प्रत्याशी के भ्रष्ट, अपराधी होने या ऐसे ही किसी अन्य कारण से उन्हें मत न देना चाहें तो वे नोटा का बटन दबा सकते हैं। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में यह बटन गुलाबी रंग का होता है, जो स्पष्ट दिखाई देता है। उल्लेखनीय है कि देश में वर्ष 2015 में नोटा लागू हुआ था। वर्ष 2009 में चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर कहा था कि वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराना चाहता है, ताकि जो मतदाता किसी भी प्रत्याशी को मत न देना चाहें, वे इसे दबा सकें। इसके पश्चात नागरिक अधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने भी सर्वोच्च न्यायालय में नोटा के समर्थन में एक जनहित याचिका दायर कर नोटा को लागू करने की मांग की। इस पर वर्ष 2013 में न्यायालय ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्णय किया। तत्पश्चात निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि नोटा के मतों की गणना की जाएगी, परंतु इन्हें रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा। इसका अर्थ यह हुआ कि नोटा से चुनाव परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वर्ष 2013 में देश में पहली बार चुनाव में नोटा का प्रयोग किया गया। उल्लेखनीय है कि विश्व के अनेक देशों में चुनावों में नोटा का प्रयोग किया जाता है। इनमें बांग्लादेश, यूनान, यूक्रेन, स्पेन, स्वीडन, चिली, फ्रांस, बेल्जियम, कोलंबिया, ब्राजील, फिनलैंड आदि देश सम्मिलित हैं। 
 
वास्तव में नोटा मतदाताओं को प्रत्याशियों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने का विकल्प उपलब्ध कराता है। नोटा के मतों की भी गणना की जाती है। नोटा से पता चलता है कि कितने मतदाता किसी भी प्रत्याशी से प्रसन्न नहीं हैं। वे चुनाव में खड़े किसी भी प्रत्याशी को इस योग्य नहीं समझते कि वे उसे अपना प्रतिनिधि चुन सकें। नोटा के विकल्प से पूर्व मतदाता को लगता था कि कोई भी प्रत्याशी योग्य नहीं है, तो वह मतदान का बहिष्कार कर देता था और मत डालने नहीं जाता था। इसी स्थिति में वह मतदान के अपने मौलिक अधिकार से स्वयं को वंचित कर लेता था। इसके कारण उसका मत भी निरर्थक हो जाता था। परंतु नोटा ने मतदाताओं को प्रत्याशियों के प्रति अपना मत प्रकट करने का अवसर दिया है।
 
देश में नोटा के प्रति लोगों में अधिक जागरूकता नहीं है। आज भी अधिकतर मतदाता नोटा के विषय में नहीं जानते। नोटा लागू होने के पश्चात देश में लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के कई चुनाव हो चुके हैं, परंतु नोटा के अंतर्गत किए गए मतदान की दर मात्र 2 से 3 प्रतिशत ही रही है। विशेष बात ये है कि इनमें अधिकांश वो क्षेत्र हैं, जो नक्सलवाद से प्रभावित हैं या फिर आरक्षित हैं।
 
पांच राज्यों में चुनावी माहौल है। सभी दल अपनी जमीन मजबूत करने में लगे हैं। वर्ष 2019 लोकसभा के ठीक पहले ये विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा, इसलिए नोटा से राजनीतिक दल घबराये हुए हैं। भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि आमजन अपने मतदान का प्रयोग कर अपनी भूमिका से लोकतंत्र की रक्षा करते हैं।
 
-डॉ. सौरभ मालवीय

लगता है काफ़ी लंबे इंतज़ार के बाद सनी देओल के अच्छे दिन आ ही गये। 'मोहल्ला अस्सी' की नाकामयाबी के बाद, इस शुक्रवार सनी देओल, प्रीति जिंटा, आमीषा पटेल, अरशद वारसी और श्रेयस तलपड़े स्टारर फ़िल्म 'भैय्याजी सुपरहिट' रिलीज़ हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ़िल्म को दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही और वीकेंड की वजह से इसकी कमाई हो सकती है। 20-25 करोड़ रुपये की लागत से बनी 'भैय्याजी सुपरहिट' ने पहले ही दिन जबरदस्त कमाई की है। 

 
एक्शन और कॉमेडी से भरपूर इस फ़िल्म का निर्देशन नीरज पाठक ने किया है। फ़िल्म के मज़ेदार डायलॉग्स दर्शकों की वाहवाही लूट रहे हैं। सनी देओले मूवी में मुख़्य भूमिका में हैं और पूरी कहानी उन्ही के ईद गिद घूमती है। 
 
क्या है कहानी?
'भैयाजी सुपरहिट' की कहानी 3डी भैयाजी की है, जिनका यूपी के बनारस पर राज चलता है। ज़माने की नज़रों में भैय्या जी दबंग हैं, लेकिन मन ही मन वो काफ़ी हताश और परेशान रहते हैं। भैयाजी अपनी पत्नी सपना दुबे (प्रीति जिंटा) से बेहद प्यार करते हैं, लेकिन वो उन्हें छोड़कर चली जाती है। ऐसे में गोल्डी कपूर उन्हें कुछ ऐसा करने की सलाह देते हैं, जिससे उनकी पत्नी भागीभागी उनके पास चली आये और बनने लगती है भैय्याजी पर एक फ़िल्म। 
 
अब मुंबई आ कर भैय्याजी एक्टर बनने के लिये तैयार हो जाते हैं, लेकिन एक्टिंग वो अपने अनुसार करना चाहते हैं न कि डायरेक्टर के मुताबिक। वहीं गोल्डी कपूर (अरशद वारसी) और तरुण घोष (श्रेयस तलपड़े) उन्हें एक्टिंग की क्लासेस देते हैं। मुंबई आ कर भैय्याजी की ज़िंदगी पूरी तरह बदलने लगती हैं, क्योंकि यहां उन्हें मिलती हैं मल्लिका (अमीषा पटेल), जो हर कीमत पर भैय्याजी को पाना चाहती हैं। आगे की कहानी दिलचस्प है, जिसे देखने के लिये आपको सिनेमा हाल जाना पड़ेगा। 
 
फ़िल्म आपको इसीलिये भी देखनी चाहिये, क्योंकि लंबे समय बाद आपको सनी देओल की दमदार एक्टिंग देखने को मिलेगी। वहीं अरशद वारसी और श्रेयय तलपड़े अपनी अदाकारी से लोगों को हंसाने में कामयाब रहे। हांलाकि, प्रीति जिंटा हमें थोड़ा निराश करती हैं, लेकिन अमीषा पटेल ने अपने रोल के साथ न्याय किया है। 

रणवीर-दीपिका की शादी के बाद अब प्रियंका और निक की शादी के दिन नजदीक आ रहे हैं। प्रियंका- निक 2 दिसंबर को दोनों हिन्दू रीति रिवाज से शादी करेंगे। इसके बाद 3 दिसंबर को दोनों क्रिश्चियन रीति रिवाज से शादी करेंगे। खबर ये भी आ रही है कि दोनों 2 रिसेप्शन पार्टी देंगे। एक दिल्ली में होगा और दूसरा मुंबई में। वैसे बता दें कि अभी तक दोनों में से किसी ने भी अपनी शादी की डेट की ऑफिशयल अनाउंसमेंट नहीं की है। प्रियंका दिल्ली में अपनी फिल्म 'द स्काई इज पिंक' की शूटिंग कर रही थीं। इसी बीच उनके मंगेतर निक जोनस भी राजधानी पहुंचे।

कहा जा रहा है कि निक जोनस दिल्ली में इसलिए आए थे ताकि वह प्रियंका के साथ अपनी शादी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन्वाइट कर सकें। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के मुताबिक, अभी तक यह पता नहीं चला है कि वास्तव में प्रियंका और निक, पीएम मोदी से मिल सके हैं या नहीं लेकिन शादी में शामिल होने के इनके स्पेशल मेसेज के साथ इन्विटेशन पीएम तक जरूर पहुंचा दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अपने बिजी शेड्यूल के बावजूद इनकी शादी में शामिल हो सकते हैं।

 

इंदौर। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिये प्रचार के अंतिम समय में सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिये पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को सूबे की आर्थिक राजधानी इंदौर में रोड शो किया। उन्होंने राज्य में लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती से जूझ रही अपनी पार्टी के लिये मतदाताओं से समर्थन मांगा। 

शाह यहां चिकमंगलूर चौराहे से रथ की शक्ल वाले भाजपा के विशेष वाहन पर सवार हुए। यह काफिला जुलूस के रूप में खातीपुरा, राजबाड़ा और सर्राफा बाजार समेत अलग-अलग वाणिज्यिक इलाकों से गुजरते हुए सीतलामाता कपड़ा बाजार में खत्म हुआ। ये इलाके शहर के दो विधानसभा क्षेत्रों-क्रमांक तीन और क्रमांक-चार का हिस्सा हैं। करीब दो घंटे चले रोड शो के दौरान भाजपा अध्यक्ष ने हाथ हिलाकर और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया। 
 
भाजपा के स्थानीय उम्मीदवारों के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश सिंह भी शाह के करीब तीन किलोमीटर लम्बे रोड शो में शामिल हुए। शाह ने प्रदेश में भाजपा के चुनावी "महा जनसम्पर्क अभियान" की शुरूआत भी इंदौर से ही छह अक्टूबर को थी। इंदौर सत्तारूढ़ भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। इसकी शहरी सीमा में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं। वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पांचों सीटें जीती थीं। 
 
बहरहाल, सत्ताविरोधी लहर को लेकर कांग्रेस के आरोपों के बीच शहर में बदले सियासी समीकरणों के कारण इस बार कांटे की चुनावी टक्कर है। इसके मद्देनजर सत्तारूढ़ भाजपा को अपना गढ़ बचाने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगाते देखा गया है। प्रदेश में चुनाव प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले सोमवार शाम पांच बजे थम गया। राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर 28 नवम्बर को मतदान होना है। मतों की गिनती 11 दिसंबर को की जाएगी।

सिडनी। एडम गिलक्रिस्ट को उम्मीद है कि विराट कोहली 2014-15 टेस्ट श्रृंखला के प्रदर्शन को दोहराने में सफल रहेंगे लेकिन उन्होंने कहा कि अगर भारत को प्रतिष्ठित बोर्डर-गावस्कर ट्राफी जीतनी है तो अन्य बल्लेबाजों को अपने करिश्माई कप्तान का साथ देना होगा। पहला टेस्ट एडिलेड में छह दिसंबर से शुरू होगा और कोहली ने पिछली बार इस मैदान पर खेलते हुए भारत की दिल तोड़ने वाली हार के दौरान दोनों पारियों में शतक जड़े थे।

गिलक्रिस्ट ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि विराट कोहली 2014 (चार टेस्ट में 86 –50 के औसत से 694 रन) की तरह एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करेगा। पिछले कुछ दिनों में मैंने उसके साथ बात की है, उसका आत्मविश्वास देखा है और सिडनी में उसने जिस तरह बल्लेबाजी की उसे देखते हुए अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो मुझे बेहद हैरानी होगी।’

उन्होंने कहा, ‘भारत के यह श्रृंखला जीतने के लिए हालांकि सबसे अहम उसके साथ खेलने वाले बल्लेबाज होंगे। क्या वह उसका पर्याप्त समर्थन कर पाएंगे जिससे कि भारत पर्याप्त रन बना सके और अपने अच्छे गेंदबाजी आक्रमण को रनों का बचाव करने और आस्ट्रेलिया को टेस्ट में दो बार आउट कर पाएं।’ यह पूछने पर कि क्या आस्ट्रेलिया की कोहली को रोकने के लिए कोई विशेष रणनीति है, गिलक्रिस्ट ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं किसी योजना के बारे में बता पाऊंगा क्योंकि मुझे नहीं पता। सर्वश्रेष्ठ यह है कि आस्ट्रेलिया धैर्य रखे। उन्हें अच्छा परंपरागत टेस्ट क्रिकेट खेलना होगा। उनकी सर्वश्रेष्ठ उम्मीद यही होगी कि भारत शुरूआती झटके दें और कोहली को नई गेंद से गेंदबाजी करें।’

गिलक्रिस्ट ने स्वीकार किया कि भारत प्रबल दावेदार के रूप में शुरूआत करेगा लेकिन साथ ही कहा कि आस्ट्रेलिया को अपने हालात में दबदबा बनाने में अधिक समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा, ‘भारत इस टेस्ट श्रृंखला में प्रबल दावेदार के रूप में शुरूआत करेगा और ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होगा क्योंकि वे अपने टीम संयोजन से अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्हें बेहद अच्छी समझ है कि वह किस संयोजन के साथ खेलना चाहते हैं।’

गिलक्रिस्ट ने कहा, ‘शायद एक या दो स्थानों के लिए दावा होगा लेकिन इसके अलावा उनकी अंतिम एकादश लगभग तय है। मुझे लगता है कि भारत के पास स्थिर टेस्ट टीम है। जबकि अगर आप आस्ट्रेलिया को देखो तो मुझे नहीं लगता कि उनके चयनकर्ता सुनिश्चित हैं कि वे किस क्रम या टीम संतुलन के साथ खेलना चाहते हैं। यह आस्ट्रेलिया क्रिकेट का नया चरण है।’

गिलक्रिस्ट ने कहा कि दोनों टीमों के गेंदबाजी आक्रमण में अधिक अंतर नहीं है लेकिन यह बल्लेबाजी क्रम है जो अंतर पैदा करेगा। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कोई भी टीम श्रृंखला जीत सकती है। अपने हालात में आत्मविश्वास हासिल करने और श्रृंखला में दबदबा बनाने में आस्ट्रेलिया को अधिक समय नहीं लगेगा। हम अतीत में ऐसा होते हुए देख चुके हैं।’

सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक गिलक्रिस्ट ने कहा, ‘दोनों टीमों का गेंदबाजी आक्रमण शीर्ष स्तर का है इसलिए यह इस पर निर्भर करेगा कि कौन सा बल्लेबाज क्रम बिखरने से बच पाएगा। कोहली ने भारत के इंग्लैंड दौरे की बात की और कहा कि जब उन्होंने खराब किया तो बेहद खराब प्रदर्शन किया और इसलिए हार गए। भारत ने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में सिर्फ टुकड़ों में अच्छी बल्लेबाजी की। वे प्रबल दावेदार हैं लेकिन उन्हें स्वयं के साथ ईमानदार होना होगा।’

गिलक्रिस्ट ने कहा कि स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की गैरमौजूदगी में श्रृंखला की चमक कुछ फीकी हो चुकी है। मार्च में दक्षिण अफ्रीका में गेंद से छेड़छाड़ प्रकरण के कारण इन दोनों को एक साल का प्रतिबंध झेलना पड़ रहा है। गिलक्रिस्ट ने कहा कि इन दोनों की कमी की भरपाई आस्ट्रेलिया किसी तरह से नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, ‘स्मिथ और वार्नर ने पिछले कुछ वर्षों में आस्ट्रेलिया के रनों में बड़ा योगदान दिया है और यह बड़ा नुकसान है, इसमें कोई शक नहीं। निश्चित तौर पर उन्हें उनकी कमी खलेगी, विशेषकर स्मिथ की क्योंकि वह कोहली के स्तर का खिलाड़ी है।’ गिलक्रिस्ट ने साथ ही कहा कि कैमरन बेनक्राफ्ट के निलंबन का भी घरेलू टीम को नुकसान होगा।

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