प्रसूताओं के लिए खोला मातृ-शिशु अस्पताल, उन्हीं को किया जा रहा रेफर Featured

12 करोड़ की लागत से बना 100 बिस्तर का अस्पताल, लेकिन प्रसव कराने की सुविधा ही नहीं
बिलासपुर. जिला अस्पताल का मातृ-शिशु अस्पताल। 100 बिस्तरों के इस अस्पताल में सभी संसाधन मौजूद हैं। इसके बाद भी यहां पदस्थ डॉक्टर ऐसे केस लेने से बच रहे हैं जो जरा भी संवेदनशील हैं। खासकर जिन महिलाओं का पहली बार प्रसव होना है उन्हें तो डॉक्टर तुरंत रेफर कर दे रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह खुलासा महतारी एक्सप्रेस के रिकॉर्ड से हुआ है।
ऑपरेशन थियेटर डेढ़ महीने से बंद, विशेषज्ञ भी नहीं मिलते
मातृ-शिशु अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार 21 मई तक जो 33 केस रेफर किए गए उनमें 12 ऐसी गर्भवती महिलाएं हैं जिनका पहला बच्चा होने वाला था। इन आंकड़ों को देखकर तो लगता है कि मातृ-शिशु अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर और स्टाफ किसी भी प्रकार का जोखिम उठाने तैयार नहीं है। दूसरी बड़ी बात यह कि मातृ-शिशु अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर भी पिछले डेढ़ माह से ज्यादा समय से बंद है। इसके अलावा समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं।
इसलिए प्रसव के दौरान जरा भी हालत बिगड़ी तो गर्भवती महिला को स्टाफ रेफर कर दे रहे हैं। बेहोश करने वाले डॉक्टर भी नहीं रहते। जिस उद्देश्य से अस्पताल शुरू किया गया था, वह पूरा नहीं हो पा रहा है। यह रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। लोगों का कहना है कि जब यहां के डॉक्टर व स्टाफ प्रसव कराने से डर रहे हैं तो फिर यह अस्पताल स्थापित ही क्यों किया गया है। हम गरीबों को सरकारी अस्पतलों में इलाज नहीं मिलता है। पैसा ही होता तो इन अस्पतालों के चक्कर क्यों काटते।
ऐसे पांच कारण जिसकी वजह से किया जा रहा रेफर
गर्भ के अंदर ही बच्चे के पेट में पानी भर जाना।
प्रसव समय से पहले रक्तस्त्राव होने लगना।
खून की ज्यादा कमी पाया जाना।
सिकलिंग पीड़ित होना।
मां या बच्चे की जान को खतरा होना।
केस-1 : बगैर कारण बताए कर दिया सिम्स रेफर
उमा 20 वर्ष मातृ-शिशु अस्पताल में भर्ती थीं। इनका पहला बच्चा होना था इसलिए परिजनों ने यहां भर्ती करा दिया था। लेकिन मातृ -शिशु अस्पताल के डॉक्टरों ने 2 मई को उमा को सिम्स के लिए रेफर कर दिया। क्यों रेफर किया जा रहा है इसका भी कोई स्पष्ट कारण रेफर करने के काॅगजों में नहीं लिखा था।
केस-2 : जैसे ही प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो किया रेफर
खुलमनी उम्र 20 वर्ष। पहली बार प्रसव होना था। मातृ-शिशु अस्पताल में भर्ती थीं। लेकिन यह क्या जैसे ही प्रसव पीड़ा शुरू हुई यहां के डॉक्टरों ने जोखिम उठाना उचित नहीं समझा। प्रसव पीड़ा शुरू होते ही खुलमनी के रेफर के कागजात बना दिए गए। 2 मई को उन्हें महतारी एक्सप्रेस से सिम्स भेज दिया गया।
केस-3 : कारण पूछा तो कहा बस यहां से ले जाओ
करीमू को पहली बार प्रसव होना था। इसलिए मातृ-शिशु अस्पताल में भर्ती किया गया था। 24 वर्ष की करीमू को 7 मई की दोपहर प्रसव पीड़ा प्रारंभ हुई तो उन्हें तुरंत यहां से सिम्स के लिए भेज दिया। परिजनों ने कारण पूछा तो यहां के डॉक्टरों ने कोई कारण नहीं बताया। बस इतना कहा कि सिम्स ले जाओ।
12 करोड़ के अस्पताल में सभी सुविधाएं, बस इलाज नहीं
100 बिस्तर वाले मातृ-शिशु अस्पताल का शुभारंभ करने लगभग एक वर्ष पहले तात्कालिक मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह स्वयं आए थे। 12 करोड़ रुपए की लागत से बने इस चार मंजिला अस्पताल में महिलाओं व बच्चों का इलाज ही किया जाता है। संसाधनों की बात करें तो यहां ऑपरेशन थिएटर, लेबर वार्ड, गायनिक वार्ड, सोनोग्राफी जांच सहित सभी सुविधाएं मौजूद हैं। बस डॉक्टर इलाज करने को तैयार नहीं है।
ज्यादा जोखिम पर रेफर कर रहे हैं
ज्यादा जोखिम का केस रहता है तो कई बार रेफर कर देते हैं। पर पहले प्रसव के ज्यादा मामले रेफर किए जा रहे हैं यह गंभीर मामला है। इसका पता लगवाता हूं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है।
डाॅ. मनोज जायसवाल, आरएमओ, जिला अस्पताल

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