सत्ता की चाबी पाने कोई रिस्क लेने के फ़िराक में नहीं Featured

chandra shekhar sharma

कवर्धा --- पंद्रह बरस सत्ता सुख भोगने के बाद चौथी पारी के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही भाजपा और प्रदेश के मुखिया डाक्टर रमण सिंह इस बार सत्ता की चाबी पाने कोई रिस्क लेने के फ़िराक में नहीं है | फूंक फूंक कर कदम रख रहे है चाहे वो गृह जिले की ही विधानसभा सीट क्यों ना हो | इसका प्रत्यक्ष उदहारण जिले की कवर्धा व पंडरिया विधानसभा सीट के वर्तमान विधायको पर पुनः दांव खेल कर जातिवाद की राजनीति को पुनः हवा दी है । हाँलाकि इसके पीछे भाजपा की सोची समझी  रणनीति बताई जा रही है | जिसके लिए काफी तर्क वितर्क दिए जा रहे है , परन्तु एक चर्चा यह भी है कि भाजपा शातिर व चतुर राजनीतिज्ञ कांग्रेसी अकबर के माइंडगेम  में उलझ कर रह गई है । भाजपा के लिए पिछले चुनाव में जातिवाद के बोये गए वृक्ष अब जहरीला पोधा बन गया है जिससे ऊबरना भाजपा के लिए आसान नहीं रहा साथ ही टिकट का सपना संजोए डॉ सियाराम साहू , संतोष पांडेय , अम्बिका चंद्रवंशी, रघुराज सिंह , नंदलाल चंद्राकर , लालजी चंद्रवंशी को सक्रिय राजनीति में अब अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है । राजनैतिक गलियारो के सूत्रों की माने तो भाजपा को भी अब भीतराघात का सामना करना पड़ेगा साथ ही साथ एन्टी इनकंबेंसी वोट का खतरा अलग से है । बहरहाल डॉ रमन के चक्रव्यूह में उलझी कांग्रेस जिले में अब तक अधिकृत प्रत्याक्षियों की घोषणा नही कर पाई है हांलाकि कवर्धा सीट से चिर परिचित पुराने प्रतिद्वंदी अशोक और अकबर फिर आमने सामने होंगे अकबर भी अपने सक्रिय राजनीतिक कैरियर के अंतिम प्रयास कर रहे है । अबकी हार उन्हें सक्रिय राजनीति से किनारा कर सकती है । अपने राजनैतिक भविष्य को बचाने जी जान से जुटे अकबर सारे दाव पेंच आजमा रहे है । पांच साल तक न्यायालय के चक्कर काटने के बाद पुनः जनता के दरबार मे किस्मत आजमा रहे है ।इन्हें भी भितराघात का पूरा खतरा रहेगा यहाँ भी कम विभिषन नहीं है जो पार्टिया अपनो कि नाराजगी को साध लेगी वो बाजी भी मार लेजायेगी | पंडरिया विधान विधानसभा सीट से कुर्मी जाती के वर्तमान विधायक को पुनःटिकट दिए जाने से बाहरी भगाओ का नारा देने वालो के मुंह टिकट वितरण के बाद से बंद है । भाजपा के साहू कुर्मी कार्ड से हतप्रद कांग्रेस पंडरिया से लालाजी चंद्रवंशी को पुनः टिकट दे कर भाजपा के जातिवाद के खेल को गड़बड़ा सकती पर पैराशूट लैंडिंग के लिए आये योगेश्वर राज की टिकट काटना कांग्रेस को गत चुनाव की तरह कही भारी ना पड़ जाए और कांग्रेस की नाव किनारे पहुंचते पहुंचते डूब न जाय। बहरहाल दोनों ही पार्टियों में उहापोह कि स्थिति है | मतदाता कि ख़ामोशी से भी उम्मीदवारों के माथे में चिंता कि लकीरे खीच आई है । 

 

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