ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर : विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मंत्री और भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर के द्वारा प्रश्न करते हुए, ‘आदिवासी मंत्री’ शब्द का प्रयोग करना, चन्द्राकर जी के लिए भारी पड़ गया. दरअसल मामला कुछ ऐसा हुआ की अपने भाषण में अजय चंद्राकर नें आदिवासी मंत्री शब्द का प्रयोग किया, जिसके तुरंत बाद कांग्रेसी विधायकों नें सदन में हंगामा कर दिया. सत्ता पक्ष के विधायकों नें ‘आदिवासियों का अपमान बंद करो’ के नारे भी लगानें शुरू कर दिए.
अजय चंद्राकर
बात को सँभालते हुए विधानसभाध्यक्ष नें पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक अजित जोगी से कहा कि आप इस विषय में अपनी राय दें. अजीत जोगी नें भी अजय चंद्राकर को इस तरह के जाती सूचक शब्दों के प्रयोग के लिए विरोध किया अजीत जोगी नें कहा कि ‘अजय चंद्राकर जाती वाचक शब्द का प्रयोग न करें.’ जोगी नें आगे कहा कि ‘अजय जी कह दें की प्रवाह में बोलते हुए उन्होनें ये शब्द बोल दिया. ऐसा कहनें पर सदन में उनका कद बढ़ेगा. यहाँ सदन में जातिसूचक बातें नहीं होनी चाहिए.’ अजीत जोगी नें आगे कहा कि ‘अजय बहुत ही वरिष्ट सदस्य हैं, उन्हें अपनें शब्द वापिस लेनें चाहिए. इससे उनका कद बढेगा, न की घटेगा.’
अजीत जोगी
अजीत जोगी नें इसके बाद सदन में कहा कि ‘मुझे अगता है कि अब कभी भी यहाँ इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए’ उन्होनें आगे कहा ‘यह भी देखा जाना चाहिए कि और भी कब इस तरह के शब्दों का प्रयोग कौन से सन्दर्भों में किया गया है. अगर मेरे माफ़ी मांगनें से संसदीय परम्पराओं और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की रक्षा होती है तो मई एक बार नहीं बल्कि सौ बार माफ़ी मांगनें के लिए तैयार हूँ.
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रायपुर 3 जुलाई 2019। हाईकोर्ट ने कहा है कि अजीत जोगी को जाति के मामले में बनी हाईपावर कमेटी के सामने पेश होना होगा, वहीं जोगी को जाति संबंधी दस्तावेज को एक महीने के भीतर सौंपने के भी निर्देश दिये गये हैं। हाईपावर कमेटी के सामने पेश होने से राहत दिये जाने को लेकर दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस की डबल बैंच में आज इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुनाया गया।
क्या था मामला?
जोगी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उच्च स्तरीय छानबीन समिति की रिपोर्ट और अनुशंसा को रद्द करने की मांग की थी। हाई पॉवर कमेटी ने जोगी को कंवर आदिवासी नहीं माना था। इनके अलावा अजीत जोगी की जाति संत कुमार नेताम और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय नें भी चुनौती दी थी. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी. बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति शरद कुमार गुप्ता की युगल पीठ नें 21 नवम्बर 2017 को अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाई पॉवर कमेटी ने 23 मार्च 2018 को जोगी को नोटिस जारी कर 10 मई 2018 को बयान दर्ज कराने उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। इसके खिलाफ जोगी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। एकलपीठ ने याचिका को अपरिपक्कव बताते हुए खारिज किया था।
इसके बाद जाति छानबीन समिति ने दूसरा नोटिस जारी कर जोगी को बयान दर्ज कराने 30 मई 2019 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। इस पर जोगी ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है।
उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति के आदेश के खिलाफ जोगी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें आइ.ए.एस. रीनाबाबा साहेब कंगाले की अध्यक्षता में गठित समिति की वैधता को चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने समिति के गठन को अवैधानिक कहा है, फिर भी सरकार को नई समिति गठित कर जांच करने की छूट दी।