News Creation : सुचना का अधिकार 2005 के अंतर्गत केंद्र सरकार नें धारा 13 और धारा 16 में अहम् बदलाव करनें का प्रस्ताव रखा गया है. इसे सुचना का अधिकार संशोधन बिल 2019 के रूप में केंद्र सरकार नें संसद में रखा है. भाजपा के ही कुछ सांसद इसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजे जानें के पक्ष में हैं, आखिर ऐसा क्या संशोधित करना चाहती है केंद्र सरकार.Read
आइये जानते हैं कि इसके तहत किन बातों में बदलाव का प्रस्ताव है-
कार्यावधि के हिसाब से
- मूल सुचना का अधिकार बिल 2005 की धारा 13 में केन्द्रीय मुख्य सुचना आयुक्त और अन्य सुचना आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्तों और वेतन भत्ते की बात कही गयी है. धारा 13 में कहा गया है कि मुख्य सुचना आयुक्त और अन्य सुचना आयुक्त की नियुक्ति 5 वर्ष या उनके 65 वर्ष होनें तक ही की जाएगी, मतलब अगर आयुक्त 65 वर्ष में रिटायर होगा या उनका कार्यकाल 5 वर्ष हो गया है तो उन्हें हटा दिया जाएगा, ऐसा मूल सुचना का अदि=हिकार कानून में प्रावधान था.
- वहीँ नए संशोधित सुचना का अधिकार बिल 2019 में केंद्र सरकार नें प्रस्ताव दिया है कि इन आयुक्तों का कार्यकाल केंद्र सरकार निर्धारित करनें में अधिकारी हो, मतलब केंद्र सरकार चाहे तो आयुक्तों की कार्यावधि अपनें हिसाब से बढ़ा सके.
वेतन भत्ते का निर्धारण
- मूल सुचना का अधिकार कानून में आयुक्तों का वेतन भत्ता और और सेवा शर्तों का जो निर्धारण किया गया है उसमें कहा गया है कि मुख्या सुचना आयुक्त का वेतन भत्ता और अन्य सेवा शर्त, मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर होगा.
- वहीँ संशोधित सुचना का अधिकार कानून में केंद्र सरकार नें ये प्रस्ताव रखा है कि इनका वेतन भत्ता और अन्य सेवा शर्तों को केंद्र सरकार तय करें. मतलब मुख्य सुचना आयुक्त और अन्य सुचना आयुक्तों का वेतन और सेवा शर्तें केंद्र सरकार ही निर्धारित करना चाहती है.
धारा 16 में भी ऐसा ही बदलाव चाहती है सरकार
- मूल सुचना का अधिकार कानून के अन्तर्गर धारा 16 में भी मुख्य सुचना आयुक्त और अन्य सुचना आयुक्तों के बारे में बताया गया है, धारा 16 में भी मुख्य सुचना आयुक्त और एनी सुचना आयुक्तों का कार्यकाल उनके 65 वर्ष तक या वर्ष की कार्यावधि तक होनी चाहिए.
- केंद्र सरकार इसमें भी सभी राज्य सुचना आयुक्तों का कार्यकाल केंद्र सरकार तय कर सके इसे प्रस्तावित किया गया है.
धारा 16 - राज्य सुचन आयुक्तों के विषय में
- मूल सुचना का अधिकार 2005 के तहत राज्य सुचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्त वेतन भत्ता और अन्य शर्तें, मुख्य सचिव के बराबर होंगी, ऐसा प्रावधान है.
- लेकिन नए संशोधित प्रस्ताव में सरकार नें कहा है कि इसका निर्धारण भी केंद्र सरकार करनें की अधिकारी हो.
बता दें कि मौजूदा समय में मुख्य सुचना आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों का वेतन भत्ता सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर पहुँच जाता है, इसे केंद्र सरकार बदलना चाहती है. विपक्ष नें इसकी घोरनिंदा की है,
विपक्ष का तर्क
- विपक्ष नए संशोधित कानून को सुचना का अधिकार को कमज़ोर करनें का कानून बता रही है. विपक्ष का तर्क है कि इससे RTI एक्ट कमज़ोर हो जाएगा.
- विपक्ष नें कहा है कि इस संशोधन से RTI के मूल भावना से खिलवाड़ करनें की कोशिश की जा रही है.
- वहीँ शशि थरूर नें संधोधित बिल को सुचन का अधिकार (RTI) उन्मूलन बिल करार दे रहें हैं.
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