सुप्रीम कोर्ट ने वनाग्नि पर जताई चिंता


सुप्रीम कोर्ट ने जंगलों में लगने वाली आग पर चिंता जाहिर की है। साथ ही कहा है कि कीमती जंगलों को आग के खतरों से बचाया जाना चाहिए। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि हर कोई जंगलों की रक्षा में रुचि रखता है।सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जंगल की आग को रोकने और नियंत्रित करने के लिए धन के उपयोग, वन विभाग में रिक्तियों को भरने और अग्निशमन के लिए जरूरी उपकरण सहित विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी।

इस दौरान जब तुषार मेहता ने पीठ को अग्निशमन के लिए उपलब्ध कराए जा रहे उपकरणों के बारे में बताया तो पीठ ने कहा कि आपके द्वारा केवल आंकड़े दाखिल कर दिए जाते हैं। जब आपके वन रक्षकों की तस्वीरें और साक्षात्कार दिखते हैं तो पता चलता है कि वे केले के पत्तों का उपयोग करके आग बुझा रहे हैं।पीठ ने आगे कहा कि यह एक ऐसा तथ्य है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता है। पीठ ने कहा कि हमने तस्वीरों के साथ रिपो‌र्ट्स में जो पढ़ा है उससे सवाल पूछ रहे हैं। इस पर जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि मीडिया में छपी रिपो‌र्ट्स को मैं कमतर नहीं आंक रहा हूं, लेकिन कभी-कभी उन रिपो‌र्ट्स पर पूरी तरह से भरोसा कर लेना खतरनाक हो सकता है।

 

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