पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने राहुल गांधी के बयान पर जताई प्रतिक्रिया, विपक्ष पर उठाए सवाल


भारत के चीफ जस्टिस (CJI) पद से ताजा-ताजा रिटायर हुए डीवाई चंद्रचूड़ फिलहाल न्यायिक कार्यों से दूर रहना चाहते हैं. एक पॉडकास्ट में, पूर्व सीजेआई ने कहा कि 'मैं पढ़ाना चाहता हूं, मैं नौजवान लोगों से जुड़ना चाहता हूं...' स्मिता प्रकाश के साथ बातचीत में जस्टिस चंद्रचूड़ ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी. राहुल ने कहा था कि विपक्ष को अब न्यायपालिका का काम भी करना पड़ रहा है. पूर्व सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका 'कानूनों की समीक्षा' के लिए है, लोकतंत्र में राजनीतिक विपक्ष की अलग जगह है.

राहुल के बयान पर क्या बोले पूर्व सीजेआई?
राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था, 'हम अकेले ही मीडिया, जांच एजेंसियों और न्यायपालिका की ओर से काम कर रहे हैं. यह भारत की वास्तविकता है.' जब पॉडकास्ट में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा, 'मैं विपक्ष के नेता के साथ इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहता, क्योंकि हम यहां इस विषय पर बात करने के लिए नहीं आए हैं. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि लोगों को यह नहीं मानना​चाहिए कि न्यायपालिका को संसद या राज्य विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए. अक्सर यह गलत धारणा होती है कि न्यायपालिका को विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए, जो कि सच नहीं है. हम यहां कानूनों की जांच करने आए हैं.'

'न्यायपालिका के कंधों से निशाना साधते हैं लोग'
पूर्व जज ने आगे कहा, 'हमें कार्यपालिका की कार्रवाई की जांच करने का दायित्व सौंपा गया है कि क्या यह कानून के अनुरूप है और क्या यह संविधान के अनुरूप है. लोकतंत्र में राजनीतिक विपक्ष के लिए एक अलग स्थान है. और लोग जो करने की कोशिश करते हैं, वह न्यायपालिका का उपयोग करना और न्यायपालिका के कंधों से निशाना साधना तथा न्यायालय को राजनीतिक विपक्ष के लिए स्थान में बदलने का प्रयास करना है.'

PM मोदी से मुलाकात पर क्या कहा?
जब पूर्व सीजेआई से पूछा गया कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी से कैसी बातचीत होती है, तो उन्होंने कहा कि 'इंसान के रूप में कुछ आधिकारिक बैठकों के दौरान मिलना-जुलना स्वाभाविक है.' पूर्व जज ने कहा, 'ऐसे भी मौके होते हैं जब आप विपक्ष के नेता के साथ भी बातचीत करते हैं. उदाहरण के लिए, आप जानते हैं, हमारे कई कानूनों में यह आवश्यक है कि किसी विशेष पद पर नियुक्ति के लिए चयन समिति में प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता शामिल होने चाहिए. अब, आप जानते हैं, आपको जो चर्चा करनी है, उस पर चर्चा करते हैं और आप अपने निष्कर्ष पर पहुंचते हैं. और जब आप उन निष्कर्षों पर पहुँच जाते हैं, तो आप इंसान हैं, है न? आप उसके बाद 10 मिनट एक कप चाय के साथ बिताएंगे, क्रिकेट से लेकर फिल्मों तक हर चीज के बारे में बात करेंगे.'

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