ईश्वर दुबे
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Bhilai
अनुज के एक तरफा प्यार के बारे में जानने के बाद अनुपमा उससे मिलने के लिए जाएगी। वहीं बापूजी को छोटी दीपावली के दिन जो भी हुआ उसके बारे में कुछ भी नहीं पता है। बापूजी समर से पूछते हैं कि 'कुछ हुआ है क्या मेरी गैर मौजूदगी में?' लेकिन समर को बापूजी को कुछ भी नहीं बताता है और बहाना बनाकर वहां से चला जाता है। वहीं दूसरी तरफ अनुपमा अनुज से उसे प्यार करने के लिए थैंक्यू कहती है। अनुपमा अनुज से कहती है कि मैं आपको प्रेम के बदले में दोस्ती दे सकती है।
ये सुनकर अनुज के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। अनुज की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वो अनुपमा से कहता है कि तुम्हें पाने की उम्मीद मैंने तभी छोड़ दी थी जब मैंने तुम्हें वनराज की दुल्हन बने देखा। अनुज की ये सारी बातें सुनकर अनुपमा भी हैरान रह जाती है। अनुज अनुपमा से कहता है कि मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं अपनी लिमिट कभी पार नहीं करूंगा और मैं आखिरी सांस तक ये वादा निभाऊंगा। अनुज अपने 26 साल के प्यार की कहानी अनुपमा को बताता है। अनुपमा कहती है कि अनुज के प्यार को और अनुपमा की दोस्ती को कोई नहीं समझ पाएगा। इस दौरान दोनों के बीच खूब सारी बात होती हैं। दोनों एक बार फिर से दोस्त बनकर रहने वाले हैं। अनुपमा अनुज से कहती है कि दुनिया हमारे रिश्ते का नाम नहीं ढूंढ पाएगी।