ईश्वर दुबे
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Bhilai
समाज की अनेक संस्थाओं का सामूहिक और साहसिक निर्णय
भोपाल। दिगम्बर जैन साधु के भेष में तलवार‑तमंचे लेकर चलने वाले और अन्य धर्मों के लिए अनुचित शब्दों का उपयोग करने वाले सूर्य सागर को आखिर जैन समाज ने बेदखल करने का फरमान सुना दिया है। सोमवार को समाज की सभी शीर्ष संस्थाओं की ऑनलाईन हुई बैठक में सर्वसम्मति से फैसला किया गया है कि सूर्य सागर स्वयं घोषित साधु हैं। वे जैन धर्म की मर्यादा और जैन मुनि की चर्या का पालन नहीं करते इसलिए अब पूरे देशभर का जैन समाज उन्हें मुनि के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। पहली बार जैन समाज ने इस तरह का फैसला किया है।
स्वयं को आचार्य सूर्य सागर कहलाने वाले इस व्यक्ति के बारे में समाज ने पड़ताल की तो पाया कि वह स्वयं कपड़े उतारकर दिगम्बर बन गया है। उनमें न तो ज्ञान हैं और न ही जैन धर्म के नियमों का पालन करते हैं। सूर्य सागर के कई वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहे जिसमें कभी वे तलवार लेकर लोगों को धमकाते नजर आते हैं तो कभी रिवाल्वर चलाते दिखते हैं। पिछले दिनों उन्होंने कुछ अन्य धर्मों के लोगों के खिलाफ अर्नगल बातें की। बताया जाता है कि गुजरात में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है। 2 दिन पहले इसने जैन समाज को ही गालियां देते हुए अपमानित किया। साथ ही अन्य धर्म के लोगों को लेकर ऐसी गलत टिप्पणियां की जो सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन के विरुद्ध हैं और इसके लिए सजा का प्रावधान है।
सोमवार को श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा, श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, श्री दिगम्बर जैन महासमिति श्री दक्षिण भारत महासभा एवं आचार्य शांतिसागर फाउंडेशन के पदाधिकारियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि सूर्य सागर की हरकतों के कारण जैन समाज को नीचा देखना पड़ता है। सूर्य सागर साधु के रूप में पाखंडी और बहरूपिया है। इनका जैन धर्म और परम्परा से कोई संबंध नहीं है। अब इन्हें जैन संत न लिखा जाए। इन्हें आम आदमी के रूप में देखा जाए। ऑनलाईन बैठक में निर्मल सेठी दिल्ली, प्रभात जैन मुंबई, अशोक बडज़ात्या इंदौर, मणीन्द्र जैन दिल्ली, डीए पाटील सांगली, श्रीपाल गंगवाल गेवराई, प्रदीप जैन पीएनसी आगरा, प्रकाश बडज़ात्या चैन्नई, प्रदीप सिंग कासलीवाल इंदौर, राजेन्द्र गोधा जयपुर, सौभाग्यमल कटारिया अहमदाबाद, हसमुख गांधी इंदौर,अनिल सेठी बैंगलोर, आनंद जैन सागर और पारस लोहाड़े नासिक शामिल थे।