बीआरटीएस कॉरिडोर का फैसला जुलाई में, 25 जून को दिल्ली की टीम करेगी निरीक्षण Featured

25 जून को दिल्ली से आएगी एक्सपर्ट की टीम, जुलाई में देगी अपनी रिपोर्ट
 इस कॉरिडोर में 121 एक्सीडेंट, 21 लोगों की हो चुकी मौत हो चुकी है
भोपाल। प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा है कि भोपाल में बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का काम जल्द शुरू हो सकता है। 25 जून को दिल्ली से सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर) की टीम इसका निरीक्षण करने आएगी। दिल्ली की टीम अपनी रिपोर्ट जुलाई में देगी। उसकी रिपोर्ट के बाद इसे तोड़ने का निर्णय लिया जाएगा। ये वहीं टीम है जिसकी रिपोर्ट के बाद दिल्ली का कॉरिडोर तोड़ा गया था।
2016 से 2018 तक 24 किमी के इस कॉरिडोर में 121 एक्सीडेंट, 21 लोगों की हो चुकी मौत हो चुकी है। संत हिरदाराम नगर में कॉरिडोर में हुए हादसे और फिर पुलिस अभिरक्षा में हुई युवक की मौत के बाद बीआरटीएस के सुरक्षित सफर पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं। संतनगर में कॉरिडोर की जगह-जगह रैलिंग टूटी है और सड़क उखड़ चुकी है। मिक्स लेन और डेडिकेटेड लेन में गड्‌ढे हो गए हैं। यहां हर कदम पर हादसों का डर है। बीआरटीएस के चलते संतनगर का कारोबार ठप हो चुका है।
मंत्री ने किया था वादा: नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन भी व्यापारियों की तकलीफ देखकर यहां से कॉरिडोर हटाने का भरोसा दे चुके हैं लेकिन अफसर उनकी इस मंशा पर अडंगा लगा रहे हैं। 16 जनवरी को संतनगर में कॉरिडोर उखाड़ फेंकने की मंत्री की घोषणा के अगले दिन अफसरों ने नया शिगुफा छेड़ दिया था। नगर निगम कमिश्नर ने 17 जनवरी को आनन फानन में डेडिकेटेड कॉरिडोर में स्कूल बसों व सूत्र सेवा की यात्री बसों को अनुमति जारी किए जाने के आदेश दिए। हालांकि इसमें भी सात शर्तें रख दी गईं। बाद में कहा गया कि किसी बस संचालक ने इसके लिए आवेदन ही नहीं दिया।
16 जनवरी 2019 को मंत्री ने यह कहा था... संत हिरदाराम नगर पहुंचे नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने व्यापारियों का भरोसा दिलाया था कि कॉरिडोर हटाने की आपकी राय पर जल्द अमल होगा।
बीआरटीएस हटाने में भी सरकार पर आएगा 100 करोड़ का भार
24 किलोमीटर लंबे बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) कॉरिडोर को हटाना इतना आसान नहीं है। इसके हटने से शहरवासी परेशान न हों इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा जो बेहद खर्चीला होगा। विशेषज्ञों की मानें तो इस 24 किमी लंबे बीआरटीएस के निर्माण में जितना खर्च हुआ है उसका 40 फीसदी अब इसे हटाने में लगेगा। इसके लिए बाकायदा एक्सपर्ट एजेंंसी को हायर कर डीपीआर बनवाना होगी। तकनीकी आधारों पर डीपीआर में बताया जाएगा कि बीआरटीएस को सामान्य मुख्यमार्ग में बदलने किन पाइंट्स पर क्या काम किए जाएं? इन कामों को करने के लिए बड़ी राशि खर्च होगी।
उद्देश्य नहीं हो पाया पूरा: जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था वो पूरी तरह से असफर रहा है। इसमें हर पांच मिनट में एक बस चलने की बात कही गई थी। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो पाया। अकसर के कॉरिडोर खाली रहता है। और आम लोगों के लिए बनी लेन में ट्राफिक जाम रहता है।

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