पीड़ित महिलाएं आईं सामने, कहा- निगम अधिकारियाें की बदसलूकी से विधायक को गुस्सा आया Featured

निगम की टीम गंजी कंपाउंड स्थित सपना श्रीवंश का मकान तोड़ने पहुंची थी
कहा- महिलाओं का जबरन हाथ पकड़कर सामान समेत बाहर निकाल रहे थे निगमकर्मी
निगमकर्मियों ने संभागायुक्त को सौंपा ज्ञापन, काली पट्टी बांधकर आधे दिन काम नहीं करने का निर्णय लिया
इंदौर. जिस अति खतरनाक मकान को तोड़ने के दौरान विधायक ने गुस्से में निगमकर्मियों की पिटाई कर दी। उस मकान के महिला-पुरुष गुरुवार को मीडिया के सामने आए। उन्होंने एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उस समय वहां पर निगमकर्मियों द्वारा जो किया गया, उससे विधायक को गुस्सा आना स्वाभाविक था। निगम कर्मियों से हमने मकान नहीं तोड़ने का आग्रह किया तो वे जबरन घर में घुस गए और हमारा हाथ पकड़कर बाहर निकालने लगे। इस दौरान उन्होंने हमारे साथ छेड़छाड़ की और हमारे सीने में भी हाथ मारा।
मकान में रहने वाले महिला-पुरुष गुरुवार सुबह प्रेस क्लब में अपने वकील के साथ मीडिया से मुखातिब हुए। सपना श्रीवंश ने  बताया कि सुबह करीब साढ़े 9 बजे नगर निगम के अधिकारी धीरेंद्र बायस और भवन अधिकारी आशीष खरे निगम दल के साथ गंजी कंपाउंड स्थित हमारे मकान को तोड़ने पहुंचे थे। उस समय हम परिवार सहित हमारे यहां हुई दो गमी में शामिल होने जा रहे थे। हमने निगम अधिकारी ने आग्रह किया कि आपने दो दिन पहले हमें नोटिस दिया, ऐसे में हम सामान लेकर इतनी जल्दी कहां जाएं। वैसे भी हमारा मकान अभी मजबूत है, इसे तोड़ने की आवश्यकता नहीं है। आप हमें थोड़ी मोहलत दे दीजिए।

सपना का आरोप है कि यह सुन निगम अधिकारी धीरेंद्र बायस बिफर पड़े और अपनी टीम के साथ जबरन मकान में दाखिल हो गए। उन्हें रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और अभद्र गालियां देते हुए मारपीट करने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने मेरे सीने पर भी हाथ मारा। उन्होंने मेरे अलावा माधुरी श्रीवंश, नर्मदा, देवांश के साथ भी अभद्रता की। जब उन्हें बचाने उनके पति भेरूलाल आए तो निगमकर्मियों ने उनके साथ भी मारपीट की।
यह सब होता देख विधायक ने इसे गलत कार्रवाई बताते हुए उन्हें ऐसा नहीं करते हुए वहां से जाने को कहा। इस पर धीरेंद्र बायस और उनकी टीम ने विधायक के साथ भी अभद्रता की और अपशब्द कहे। पूरे मामले की हम शिकायत लेकर एमजी रोड थाने पहुंचे तो वहां पर पुलिस ने कांग्रेसियों के दबाव में आकर कार्रवाई नहीं की। सपना ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कुछ नेता हमारे मकान को जर्जर बताकर उसे तोड़कर उस पर कब्जा करना चाहते हैं।

सपना के वकील भूपेंद्र कुशवाह का कहना है कि नगर निगम अमला जिस समय घर में दाखिल हुआ उनके साथ ना तो महिला पुलिस थी और ना ही अन्य काेई महिला अधिकारी। मकान में घुसने के बाद उन्होंने महिलाओं को सामान सहित जबरन बाहर निकालने की कोशिश की। महिलाओं ने इसका विरोध किया तो बायस सहित टीम ने उनके साथ अभद्रता की। शिकायत के बाद भी पुलिस ने पीड़ता का केस दर्ज नहीं किया।
कांग्रेस ने महापौर के खिलाफ किया प्रदर्शन।
कांग्रेस ने महापौर के खिलाफ किया प्रदर्शन
टावर चौराहे पर पुतला दहन करने पहुंचे कांग्रेसियों का आरोप है कि पिछली बार जब निगम अधिकारियों के साथ हाथापाई हुई थी, तब भी महापौर ने कोई बयान नहीं दिया। इस बार भी वे मूकदर्शक बनी हुई हैं। मौके पर मौजूद पुलिस ने पुतला जलाने से कांग्रेसियों को रोकने का प्रयास भी किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच छीना-झपटी भी हुई। मामले को लेकर सुबह कांग्रेसी राजबाड़ा पर मां अहित्या की प्रतिमा के पास पहुंचे और प्रतिमा को दूध और गंगाजल से धोया। उनका कहना था कि अहिल्या का शुद्धिकरण इसलिए किया गया, क्योंकि इस तरह के कृत्य से इंदौर शहर मैला होता है और मां अहिल्या इंसाफ की देवी थीं।
संभागायुक्त को निगमकर्मियों ने दिया ज्ञापन।
निगमकर्मियों ने विरोध में बांधी काली पट्‌टी, कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन
निगम अधिकारी की पिटाई के मामले में गुरुवार को नगर निगमकर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा। निगम कर्मियों ने एक ओर जहां काली पट्टी बंदकर घटना का विरोध किया। वहीं निगम के कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर आधे दिन के हड़ताल पर चले गए। इसके पहले हजारों की संख्या में निगमकर्मी संभागायुक्त कार्यालय पहुंचे और संभागायुक्त को मामले में कड़ी कार्रवाई करने के लिए ज्ञापन दिया। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की।
यह है मामला
अति खतरनाक मकान को तोड़ने की मुहिम में बुधवार सुबह निगम की टीम गंजी कंपाउंड स्थित सपना श्रीवंश का मकान तोड़ने पहुंची थी। यहां विधायक आकाश विजयवर्गीय ने निगम अधिकारी से मकान को नहीं तोड़ने को कहते हुए वहां से जाने को कहा। इसी विवाद में विधायक ने नगर निगम के जाेनल अधिकारी व भवन निरीक्षक धीरेंद्र बायस को बैट से पीट दिया। इसके बाद निगम अधिकारी ने विधायक और उनके 10 साथियों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

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