रवींद्र झारखरिया
ग्वालियर. ग्वालियर-चंबल की धरती पर सियासी जंग में पुरुषों को चुनौती देने आैर अपनी कामयाबी का परचम फहराने में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। उन्हें जब भी किसी बड़ी पार्टी ने मौका दिया चुनावी शतरंज की बिसात पर उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को शह भी दी आैर मात भी। इनमें से एक ही सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतने आैर सीट या पार्टी बदलने पर पराजय का रिकॉर्ड भी बना।
1957 से लेकर 2013 तक के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो एक ही सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतने वालों में भाजपा से यशोधरा राजे सिंधिया ही एकमात्र ऐसा चेहरा हैं, जबकि कांग्रेस से चंद्रकला सहाय के बाद दूसरा नाम इमरती देवी का है। कांग्रेस के टिकट पर चंद्रकला सहाय 1957 में मुरार से चुनाव लड़ीं थीं, उन्होंने हिंदू महासभा (हिमस) के पुरुषोत्तम को पराजित किया। 1962 में उन्हें फिर मुरार से ही टिकट दिया गया। इस बार भी उन्होंने हिमस के बाबूराम को पराजित किया। डबरा सीट से कांग्रेस की इमरती देवी ने 2008 में भाजपा के कमलापत आर्य को आैर 2013 में बसपा की सत्यप्रकाशी परसेडिया को पराजित कर चुनाव जीता था। यशोधरा राजे सिंधिया ने भाजपा के टिकट पर शिवपुरी से 1998 में कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला को आैर 2003 में कांग्रेस के ही गणेश गौतम को पराजित किया।
सीट बदलकर लगातार दो चुनाव जीते : विजयाराजे सिंधिया (भारतीय जनसंघ) ने 1967 में करैरा सीट पर कांग्रेस के गौतम शर्मा को हराया और 1972 में गिर्द सीट से कांग्रेस के सरनाम सिंह घुरैया को हराकर चुनाव जीता था। वहीं कांग्रेस की प्रेमकुमारी ने लहार सीट से 1957 में चुनाव जीतीं थीं। 1962 में उन्होंने सीट बदली आैर रौन से चुनाव लड़ीं तो हार गईं। सिंधिया परिवार से ताल्लुक रखने वालीं सुषमा सिंह करैरा सीट से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतीं, लेकिन 1980 में इसी सीट पर भाजपा के टिकट से चुनाव हार गईं।
निर्दलीय जीतीं, लेकिन कांग्रेस के टिकट पर हारीं : वैजयंती वर्मा 1993 में पोहरी सीट से चुनाव जीती थीं। वे कांग्रेस प्रत्याशी थीं, लेकिन तकनीकी कारणों से निर्दलीय घोषित हो गईं। 1998 में कांग्रेस ने उन्हें फिर मौका दिया, लेकिन इस बार वे चुनाव हार गईं।
अधिकतर मुकाबले पुरुष प्रत्याशियों से
1980 : करैरा से भाजपा की सुषमा सिंह, कांग्रेस के दाऊ हनुमंत सिंह से हार गईं। लश्कर पूर्व से कांग्रेस की रश्मि परिहार, भाजपा के गंगाराम बांदिल से हारीं।
1998 : करैरा से सपा की ऊषा यादव भाजपा के रणवीर से हारीं तो पोहरी से कांग्रेस की वैजयंती वर्मा भाजपा के नरेंद्र बिरथरे से।
2003 : मेहगांव से कांग्रेस की रजनी निर्दलीय मुन्नासिंह से हारीं। दिमनी में भाजपा की संध्या राय ने कांग्रेस के हरीसिंह को हराया।
2008 : लहार से भाजपा की मुन्नीदेवी त्रिपाठी कांग्रेस के डॉ. गोविंद सिंह से तो ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस की रश्मि पंवार, भाजपा के नारायण सिंह कुशवाह से हारीं। गुना में कांग्रेस की संगीता रजक को निर्देलीय राजेंद्र सलूजा ने हराया तो चाचाेड़ा में कांग्रेस के शिवनारायण मीना ने भाजपा की ममता मीना को हराया।
2013 : ग्वालियर पूर्व से भाजपा की माया सिंह ने कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल को हराया। चाचौडा में भाजपा की ममता मीना ने कांग्रेस के शिवनारायण मीना को पराजित किया। करैरा में कांग्रेस की शकुंतला खटीक ने भाजपा के आेमप्रकाश खटीक को पराजित किया।
(कुछ प्रमुख सीटों के बारे में)