बीजेपी-शिवसेना की लड़ाई पर दिग्विजय सिंह का तंज, बोले- 'सत्ता लोलुपता' ऐसे गठबंधन करा देती है Featured

ग्वालियर:  
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए एक हफ्ते से अधिक का वक्त गुजर चुका है, मगर अभी तक बहुमत हासिल करने वाला बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार नहीं बना पाया है. क्योंकि 50-50 फॉर्मूले को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही हैं. शिवसेना ने गुरुवार को एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुन लिया तो इससे पहले बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता देवेंद्र फडणवीस को पार्टी के विधायक दल का नेता चुना गया. सत्ता को लेकर बीजेपी और शिवसेना में खींचतान के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने इस गठबंधन पर हमला बोला है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि 'सत्ता लोलुपता' ऐसे गठबंधन करा देती है.

दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मुद्दे पर कहा कि जहां दिल नहीं मिलते वो सत्ता के लिए इकट्ठे हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन भी था. बीजेपी ने सारे पीडीपी नेताओं को जेल में डाल दिया. शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन भी सत्ता के लिए था, कोई विचारधारा के लिए नहीं. अब बात 50-50 फॉर्मूले की हो रही है.

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि वो बुनियादी तौर पर जो देश में बेरोजगारी बढ़ रही है उस पर ध्यान दें. बैंकों की हालत बिगड़ रही है और अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है, उस पर तो ध्यान दें. दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री से बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था के बारे में पूछो तो आतंकवाद और पाकिस्तान की बात करते हैं. अब यह भी खबर है कि गोल्ड कंट्रोल एक्ट लाया जा रहा है, जिसमें कि हर परिवार को सोना सीमित रखने के लिए कहा जाएगा. माननीय प्रधानमंत्री जी से हमारी यही प्रार्थना है कि अर्थव्यवस्था संभालें और बैंकों की हालत ठीक करें.'

मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए बाहर से कोई नहीं आएगा. स्वयं मंत्रियों को भी इस बारे में ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ध्यान दे रहे हैं, उम्मीद है कि सभी लोग ध्यान देंगे. प्रदेश सरकार के कई मंत्री संगठन को मजबूत करने की बात कर चुके हैं. विधान परिषद के गठन पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विधान परिषद का गठन होना चाहिए. ऐसे कई लोग हैं जो चुनाव नहीं लड़ पाए उन्हें विधान परिषद में आने का अवसर मिलेगा. पत्रकार उसमें आ सकते हैं, शिक्षकों का भी प्रतिनिधित्व उसमें होता है. लोकल बॉडीज का प्रतिनिधित्व होता है. विधान परिषद बनना चाहिए.

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