ईश्वर दुबे
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Bhilai
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में गुरुजनों का स्थान सर्वोच्च है। गुरू शिक्षा के साथ ही ज्ञान का प्रसार भी करते हैं। वे अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरुजनों का सम्मान भारतीय परंपरा और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुरुजनों के सम्मान के लिए अब प्रदेश में हर वर्ष सभी स्कूल और कॉलेजों में गुरूपूर्णिमा का महापर्व मनाया जाएगा। विद्यार्थियों को गुरुओं की महत्ता बताई जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे इस आयोजन से जुड़े और गुरुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागृह में आयोजित गुरू पूर्णिमा के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महाभारत के अनेक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए गुरू शिष्य परम्पराओं का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि गुरू शिक्षा के साथ ज्ञान भी देते हैं। वे अन्याय एवं अधर्म से लड़ना सिखातें हैं। जीवन जीने की कला सिखाते और शिक्षा एवं ज्ञान का दान करते हैं। इस कार्य में वे अपने कष्टों को भी बाधा नहीं बनने देते हैं। गुरू का साथ मिलते ही शिष्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है और वह सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त करने लगता है। उन्होंने कहा कि गुरू-परम्परा समुचित मानवता को धन्य करने की परम्परा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आचार्य सांदीपनि का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुजन राष्ट्रवादी सोच का प्रवाह अपने शिष्यों में करते हैं। आचार्य सांदीपनि इसका बेहतर उदाहरण है। आचार्य सांदीपनि ने अपने ज्ञान से राष्ट्र निर्माण और अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव सिखाया है। गुरुओं का महत्व सबके के सामने आना चाहिए। इसके लिये हमने प्रदेश में हर वर्ष स्कूल और कॉलेजों में गुरू पूर्णिमा का महापर्व पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि भारत देश को अपने ज्ञान के आधार पर ही विश्व गुरु का दर्जा मिला है।
महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरू श्री मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि गुरुओं का जीवन में अक्षुण्ण महत्व है। गुरू अंतस के अंधकार को भी मिटाता है। गुरू अपना सब कुछ शिष्य को दे देता है। गुरू शिष्य में प्रतिबिंबित होते हैं। गुरू ज्ञान के साथ ही संस्कार एवं जीवन मूल्य भी सिखाते हैं। गुरुओं के महत्व को बताने के लिये राज्य शासन द्वारा हर वर्ष गुरू पूर्णिमा का महापर्व मनाये जाने का निर्णय सराहनीय है।