मध्यप्रदेश: कांग्रेस को ईवीएम सुरक्षा की चिंता, मतगणना स्थल पर मोबाइल बैन की मांग Featured

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मिलकर स्ट्रांग रूम और मतगणना के दौरान ईवीएम की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन आयोग से मांग की है कि चुनावों और मतगणना के दौरान फूलप्रूफ व्यवस्था की जाए। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को चुनाव आयोग से मिला।

 

 प्रतिनिधिमंडल में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया ने बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि छत्तीसगढ़ में स्ट्रांगरूम के आसपास अनाधिकृत रूप से सीसीटीवी ठीक करने के बहाने लोग मोबाइल, लैपटॉप के साथ आते हैं और घंटों तक वहीं रहते हैं। उन्होंने आयोग से इस पर रोक लगाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने आयोग को सुझाव दिया है कि ईवीएम मशीनों को स्ट्रांगरूम से मतगणना टेबल तक पहुंचाने के रास्ते तक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को निगरानी करने का अधिकार दिया जाए। साथ ही, यह भी सुझाव दिया है कि पहले चरण की मतगणना में मिले वोटों की संख्या प्रत्याशियों बताई जाए जिसके बाद ही दूसरे चरण की मतगणना शुरू हो। साथ ही, मतगणना स्थल पर कलेक्टरो को मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी विवेक तन्खा ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि शुक्रवार को भोपाल के स्ट्रांग रूम में डेढ़ घंटे तक बिजली नहीं थी। उनका कहना है कि इससे मतदाताओं और राजनीतिक दलों में ईवीएम गड़बड़ी का संदेह पैदा होता है। वहीं उन्होंने एमपी के खुरई विधानसभा का जिक्र करते हुए कहा कि वहां वोटिंग के 48 घंटे बाद वह बस में भरककर लाए जाते हैं। हालांकि चुनाव आयोग का कहना था कि वे ईवीएम रिजर्व थे और पुलिस कस्ट़डी में थे। तन्खा ने सवाल उठाते हुए कहा कि ईवीएम को पुलिस स्टेशन में रखने की बजाय डीआरओ की कस्टडी में रहते हैं। उन्होंने इस मामले पर आयोग से कार्रवाई करने की मांग की है।

उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप

कांग्रेस नेता मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि यूपी के सहारनपुर में 167 मतदान केन्द्रों में कई में नाम हटाने की साजिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि एक खास वर्ग विशेष के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। सिंघवी का कहना है कि अगर एक पोलिंग बूथ में 100 नाम हटाए जाते हैं, तो पूरे जिले में यह संख्या 16 हजार तक पहुंच सकती है, वहीं पूरे उत्तर प्रदेश में 67 लाख वोटों का फर्क पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि आयोग ने भरोसा दिलाया है कि वह इस पर कार्रवाई करेंगे।

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