देश में रेल से जुड़े सभी जिलों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने को तैयार भारतीय रेलवे, कलेक्टरों से मांगी सूची Featured

नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने ‘मिशन घर वापसी’ के तहत सुरक्षित और जल्द से जल्द तमाम प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए रेल से जुड़े सभी जिलों से ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने की घोषणा की है।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देश के जिला कलेक्टरों से उनके यहां फंसे विभिन्न राज्यों के मजदूरों और गंतव्य की सूची तैयार करने और उसे राज्य नोडल अधिकारी के माध्यम से रेलवे को सूचित करने को कहा है। रेलवे मौजूदा समय में अपनी आधे से भी कम क्षमता का उपयोग कर रहा है बावजूद इसके वह एक दिन में लगभग 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की क्षमता रखता है। रेलवे जिलों की वास्तविक जरूरतों के अनुसार श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों को चलाने के लिए तैयार है।

रेल मंत्रालय ने श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों के लिए की गई नई व्यवस्था के संबंध में 28 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में रेलवे के नोडल अधिकारियों की भी सूची जारी की है।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को बड़ी राहत पहुंचाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे देश के किसी भी जिले से ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने को तैयार है। इसके लिये जिला कलैक्टर को फंसे हुए श्रमिकों के नाम, व उनके गंतव्य स्टेशन की लिस्ट तैयार कर राज्य के नोडल ऑफिसर के माध्यम से रेलवे को आवेदन करना होगा। उन्होंने कहा इसी के साथ डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर एक सूची और गंतव्य स्टेशन, रेलवे के स्टेट नोडल ऑफिसर को भी दे दें।

रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि रेलवे अभी तक 1150 श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों से 15 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्य तक पहुंचा चुका है। पिछले तीन दिनों के दौरान प्रति दिन दो लाख से अधिक लोगों को ले जाया जा रहा है। आने वाले दिनों में, यह प्रति दिन तीन लाख यात्रियों तक बढ़ाया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से रेल मंत्री पीयूष गोयल बार‑बार राज्य सरकारों से प्रवासियों के लिए और अधिक गाड़ियों को मंजूरी देने की अपील कर रहे हैं। इस मामले में झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की तरफ से सकारात्मक उत्तर नहीं मिलने पर गोयल काफी निराशा भी व्यक्त कर चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि रेल मंत्रालय द्वारा चलाए जा रही श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों में यात्रा के लिए यात्रियों को किराए का भुगतान नहीं करना होता बल्कि इसका 85 प्रतिशत रेलवे और शेष 15 प्रतिशत का किराया राज्य सरकारों या अन्य एजेंसियों द्वारा वहन किया जाता है। यात्रा के दौरान रेलवे यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी भी मुहैया करा रहा है।

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