ईश्वर दुबे
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई के तीसरे हफ्ते में केंद्रीय बजट 2024 (Budget 2024) पेश करने वाली हैं। इससे हर वर्ग की काफी उम्मीदें जुड़ी हैं। बैंकिंग सेक्टर भी आस लगाए बैठा है कि सरकार आम जनता को कुछ ऐसी राहत दे, जिससे लोग बैंक में पैसे जमा करने के लिए प्रोत्साहित हों।
दरअसल, पिछले कुछ साल बैंकों को डिपॉजिट-लोन ग्रोथ का आंकड़ा गड़बड़ा रहा है। इसका मतलब कि जनता ने बैंकों से कर्ज लेना तो ज्यादा किया है, लेकिन वह अपने पैसे बैंक में जमा करना कम कर रही है। इससे बैंकों की मुसीबत बढ़ रही है, क्योंकि अगर बैंक में पैसे जमा ही नहीं होंगे, तो वे लोन देने वाली रकम कहां से लाएंगे।
बजट 2024 से क्या चाहते हैं बैंक
बैंक चाहते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2024 में बजत खातों से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स कटौती की लिमिट को बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दें। इससे लोग सेविंग अकाउंट में पैसे जमा करना बढ़ा सकते हैं। अभी यह आयकर अधिनियम की धारा 80TTA के तहत बचत खाते से सालाना 10 हजार रुपये की ब्याज आय टैक्स फ्री है। सीनियर सिटिजन यानी 60 साल या इससे अधिक आयु के लोगों के यह सीमा 50,000 रुपये है और इसमें धारा 80 टीटीबी के तहत सावधि जमा से ब्याज आय शामिल है।
हालांकि, न्यू टैक्स रिजीम में ये सारे फायदे नहीं मिलते, जिसे 2020 के बजट में पेश किया गया था। बैंक चाहते हैं कि सरकार न्यू टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स के सेक्शन 10(15)(i) के तहत ब्याज से होने वाली कमाई पर टैक्स छूट दे। इस सेक्शन में डिपॉजिट, बॉन्ड और अन्य सिक्योरिटीज से होने वाली ब्याज कमाई और कैपिटल गेन पर कुछ हद तक टैक्स छूट मिलती है।
बैंकों में क्यों घट रही डिपॉजिट ग्रोथ
इसकी कुछ अहम वजहें हैं। एक तो अब बैंक डिपॉजिट के कई सारे विकल्प आसानी से उपलब्ध हैं, जिनमें अच्छा खासा रिटर्न मिलता है। जैसे कि शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड। पहले इनमें निवेश की प्रक्रिया जटिल थी। लेकिन, अब ऑनलाइन ब्रोकिंग ऐप और यूपीआई जैसे माध्यमों ने शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश काफी आसान कर दिया है। साथ ही, सरकारी नीतियों और दमदार मार्केटिंग से लोगों का इन पर भरोसा भी बढ़ा है।
शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड को छोड़ भी दें, तो सुकन्या समृद्धि जैसी कई छोटी बचत योजनाओं में भी सेविंग अकाउंट के मुकाबले अच्छा ब्याज मिलता है। सेविंग अकाउंट पर अभी कोई ऐसा खास फायदा भी नहीं है, जिससे लोग बैंक में पैसा करने के लिए प्रोत्साहित हों।
बैंकों की चिंता बढ़ा रही RBI की रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी हालिया वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में पाया कि अब लोग अपनी वित्तीय बचत में बदलाव ला रहे हैं। वे नॉन-बैंकिंग और कैपिटल मार्केट जैसी जगहों पर अधिक निवेश कर रहे हैं। इससे बैंकों में डिपॉजिट रेट लगातार घट रहा है। देश में प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े लेंडर- HDFC बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान अपने चालू खाता-बचत खाता (सीएएसए) जमा में 5 फीसदी की क्रमिक गिरावट दर्ज की है। यह कुल तकरीबन 8.63 लाख करोड़ रुपये है। इसी आंकड़े के चलते शुक्रवार को HDFC बैंक के शेयरों ने 4 फीसदी से अधिक का गोता लगाया था।
अमेरिका की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने भी अपनी एक रिपोर्ट में चिंता जताई थी कि बैकों को मजबूरन अपनी लोन ग्रोथ कम करनी पड़ सकती है, क्योंकि बैंक डिपॉजिट उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा। यही वजह है कि बैंक बचत खातों से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट की लिमिट बढ़वाना चाहते हैं, ताकि उनकी डिपॉजिट ग्रोथ में इजाफा हो सके।