ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं। ट्रंप शासनकाल में भारत को अपनी वैश्विक स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलेगा। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप 2.0 में भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में एआई और सेमीकंडक्टर जैसे टेक्नोलॉजी सेक्टर में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। शनिवार को आई इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत को पिछले निवेशों और चीन+1 रणनीति जैसे नीतिगत बदलावों के कारण अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलेगा। उच्च अमेरिकी कॉर्पोरेट कर कटौती की संभावना आईटी खर्च को बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों को लाभ होगा। रिपोर्ट के अनुसार, फार्मास्युटिकल और डिफेंस सेक्टर में भारतीय व्यवसायों को नए अवसर मिल सकते हैं, खासकर अगर अधिक मजबूत इंडो-पैसिफिक रक्षा रणनीति के जवाब में यूएस-भारत सहयोग मजबूत होता है तो भारत को इसका फायदा मिलेगा। ट्रंप का दूसरा कार्यकाल आर्थिक विकास के वादों और वैश्विक व्यापार तनाव की चुनौतियों दोनों से भरा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर और राजकोषीय नीतियों की मजबूती वैश्विक बाजारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। जैसे-जैसे नीतियां सामने आती हैं, देशों और क्षेत्रों को ट्रंप 2.0 द्वारा संचालित विकासशील परिदृश्य के अनुकूल होने के लिए तैयार रहना होगा।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नया रूप दे सकती है ट्रंप की नीति
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नया रूप दे सकती है। उनके दृष्टिकोण में आयात को कम करना शामिल है, विशेष रूप से चीन से, ताकि अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा मिले। उभरते बाजारों को चुनौतियों और अवसरों का मिश्रित सामना करना पड़ता है। कुछ देशों को मजबूत डॉलर और उच्च टैरिफ के कारण निर्यात की लागत में वृद्धि देखने को मिल सकती है, जो विशेष रूप से आईटी और फार्मास्युटिकल सेक्टर को प्रभावित करती है। इसके विपरीत मैक्सिको जैसे राष्ट्र चीन से विनिर्माण संचालन को हटाकर लाभ उठा सकते हैं। भू-राजनीतिक रूप से ट्रंप की नीतियों से चीन के साथ तनाव बढ़ने की संभावना है और अलायंस में बदलाव हो सकता है, क्योंकि जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अपनी रणनीतियों का दोबारा मूल्यांकन कर रहे हैं। यूरोपीय संघ अधिक आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर सकता है। अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र से परे नए गठबंधनों को बढ़ावा दे सकता है। ट्रंप की संरक्षणवादी व्यापार नीतियों और भारत पर उनके प्रभाव पर आने वाले महीनों में नजर रखे जाने की जरूरत होगी।