ईश्वर दुबे
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मुंबई । पिछले कारोबार सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को उतार-चढ़ाव के बाद सेंसेक्स मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। ट्रंप के ट्रेड वार की आशंका के कारण निवेशक बैचेन दिखाई दिए। सेंसेक्स 7 अंक गिरकर 74,332 के स्तर पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी में 7 अंक की तेजी रही, ये 22,552 पर बंद हुआ। साल 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी पांच फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। बाजार में आई इस जोरदार गिरावट की वजह विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली रही है। साल 2024 के अक्टूबर से शुरू हुई विदेशी निवेशकों की बिकवाली, अभी भी नहीं थमी है। बीते 5 महीनों में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से करीब 37 बिलियन डॉलर की निकासी की है।
बाजार जानकारों के अनुसार बाजार में कोहराम मचाने को आमादा विदेशी निवेशकों की राह में घरेलू संस्थागत निवेशक रोड़ा बने हुए हैं। इस साल अब तक एफआईआई 1.61 लाख करोड़ रुपये के शेयरों के नेट सेलर रहे हैं, जबकि डीआईआई ने 1.72 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। सिर्फ फरवरी 2025 में एफआईआईएस ने 34,574 करोड़ के शेयर बेच दिए। घरेलू संस्थागत निवेशक अगर बाजार में खरीदार न बने रहते तब बाजार की और भी बुरी गत होती। पिछले कारोबारी सत्र यानी शुक्रवार को भी शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली जारी रही।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का डेटा बताता हैं कि एफआईआईएस ने कैश में 2035.10 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। वहीं, दूसरी डीआईआई यानी घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2320.40 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। 07 मार्च के कारोबारी सत्र के दौरान, एफआईआई ने 8,635 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 10,670 करोड़ रुपये के शेयर ब्रिकी किए। डीआईआई ने 10,452 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 8,132 करोड़ रुपये के शेयर की ब्रिकी की। विदेशी निवेशको के लिए अब चीन का बाजार ज्यादा आकर्षक हो गया है। विदेशी निवेशक इस समय ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ की नीति अपना रहे हैं।