ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
भारत में खुदरा ऋण वृद्धि का अगला चरण आवास ऋण से प्रेरित होगा। साथ ही प्रति उधारकर्ता ऋण में भी उल्लेखनीय वृद्धि आने की उम्मीद है। यह जानकारी वैश्विक फर्म बर्नस्टीन की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है।
500 अरब डॉलर तक की कर्ज की संभावना
रिपोर्ट में कहा गया कि इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा किफायती आवास क्षेत्र से आने की संभावना है। लगभग 3 प्रतिशत रिटर्न ऑन एसेट (आरओए) देने वाले किफायती आवास ऋण क्षेत्र में 500 अरब डॉलर तक की कर्ज देने की संभावना है। हालांकि, इसमें सफलता उन ऋणदाताओं को ही मिलेगी, जो अपने ऑपरेटिंग मॉडल को देश के विभिन्न राज्यों में लगातार और बड़े स्तर पर लागू कर सकें।
200 मिलियन से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े
पिछले एक दशक में क्रेडिट सेक्टर में सबसे बड़ी वैल्यू क्रिएशन उन संस्थाओं द्वारा की गई जो औपचारिक वित्तीय प्रणाली तक नए ग्राहकों की पहुंच बढ़ाने में सफल रहीं। इस दौरान ऋण प्रणाली में 200 मिलियन से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े और उधारकर्ताओं की संख्या कुल कर्ज की तुलना में कहीं तेजी से बढ़ी। इसमें कहा गया कि लगभग 60 प्रतिशत भारतीय श्रम शक्ति के पास ऋण तक पहुंच है, विशेष रूप से मॉर्गेज यानी होम लोन के रूप में। मॉर्गेज एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग घर, जमीन या अन्य अचल संपत्ति खरीदने या उस पर पैसे उधार लेने के लिए किया जाता है।
मॉर्गेज का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल 11 प्रतिशत
भारत में फिलहाल मॉर्गेज का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल 11 प्रतिशत है। यह चीन के 30 प्रतिशत और विकसित देशों के 50 प्रतिशत से अधिक के आंकड़े की तुलना में काफी कम है। वहीं, गैर-मॉर्गेज खुदरा ऋण भारत में पहले ही जीडीपी के 30 फीसदी से अधिक तक पहुंच चुका है । यह कई अन्य उभरते और विकसित देशों से अधिक है। रिपोर्ट का अनुमान है कि अगर आने वाले वर्षों में बंधक ऋण में लगातार वृद्धि होती रही, तो वित्त वर्ष 2035 तक देश में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का आवास ऋण बाजार बन सकता है।