ईश्वर दुबे
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Bhilai
दीपिका पादुकोण के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आक्रोशित छात्रों का समर्थन करने से विवाद बढ़ गया है। विज्ञापनों में सबसे ज्यादा भुगतान लेने वाली अमिनेत्री के इस कदम से कई कंपनियां डर गई हैं। ऐसे में इन कंपनियों ने दीपिका की भूमिका वाले विज्ञापनों को दिखाना कम कर दिया है।
कंपनियां भविष्य के लिए उठा सकती है यह कदम
दीपिका पादुकोण के इस कदम के बाद अब कंपनियां अपने ब्रांड को नुकसान नहीं पहुचाना चाहती है। ऐसा पहले भी हो चुका है, जब फिल्मी सितारों ने किसी राजनीतिक मुद्दे पर अपने विचार रखे हैं और इसके बाद सितारों के साथ ही ब्रांड का भी बहिष्कार शुरू हो गया हो। आने वाले समय में विज्ञापनों के करारों में इस तरह के क्लॉज जोड़े जा सकते हैं, जिनमें किसी सिलेब्रिटी के राजनीतिक रुख तय करने से प्रशासन के नाराज हो सकने वाले जोखिम का जिक्र होगा।
विवाद से बचना चाहते हैं ब्रांड
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य तौर पर ब्रैंड्स सुरक्षित दांव चलते हैं। वे किसी विवाद से बचना चाहते हैं। एक मीडिया बाइंग एजेंसी के एग्जिक्यूटिव ने कहा, 'मझोले आकार के एक ब्रैंड ने हमसे कहा है कि दीपिका वाले उसके विज्ञापन करीब दो हफ्तों के लिए रोक दिए जाएं। उम्मीद है कि तब तक विवाद ठंडा पड़ जाएगा।'
23 कंपनियों की हैं ब्रांड अंबेसडर
दीपिका फिलहाल 23 कंपनियों की ब्रांड अंबेसडर हैं। ब्रिटानिया गुड डे, लॉरियल, तनिष्क, विस्तारा एयरलाइंस और एक्सिस बैंक प्रमुख ब्रांड हैं। दीपिका की नेटवर्थ 103 करोड़ रुपये की है। ट्विटर पर उनके 2.68 करोड़ फॉलोअर हैं। बताया जाता है कि एक फिल्म के लिए वह 10 करोड़ रुपये और विज्ञापन के लिए आठ करोड़ रुपये लेती हैं।एक टॉप सेलेब्रिटी मैनेजमेंट कंपनी के हेड ने कहा, 'हम अपने ब्रांड का विज्ञापन करने वाले स्टार्स को राजनीतिक मामलों में बोलने के नफा-नुकसान के बारे में बता रहे हैं। तय तो उनको ही करना है, लेकिन संवेदनशील मामलों में विवाद बढ़ भी सकता है।'