ईश्वर दुबे
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Bhilai
News Creation : गुलाम कश्मीर में पीएम साहब का वजूद सिर्फ गुलाम कश्मीर के दायरे तक ही सीमित है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोई देश न तो गुलाम कश्मीर को एक देश के तौर पर मान्यता देता है और न ही प्रधानमंत्री राजा फारुख हैदर को पीएम मानता है।
अलबत्ता इतना जरूर है कि दुनिया के सभी देशों की निगाह में गुलाम कश्मीर एक ऐसा इलाका है जो भारत के क्षेत्राधिकार में आता है लेकिन इस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा जमाया हुआ है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस हिस्से को पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर या फिर पाकिस्तान प्रशासक कश्मीर बताया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में यह इलाका स्पष्ट शब्दों में एक विवादित इलाका कहलाता है। अमेरिका जो कि कश्मीर मुद्दा सुलझाने पर तीसरे पक्ष की भूमिका की वकालत कर रहा है, उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी गिलगित बाल्टिस्तान से गुजर रहे आर्थिक गलियारे को गलत करार दिया था। उनके बयान से भी इस इलाके की वर्तमान स्थिति बेहद साफतौर पर जगजाहिर हो जाती है।
आपको यहां पर एक बात और बता दें कि यह हैदर साहब वही शख्स हैं जिनका हेलीकॉप्टर एक बार भारतीय हवाई क्षेत्र में आ गया था। ऐसा उस वक्त हुआ था जब वह लाइन ऑफ कंट्रोल के निकट कठुआ के गांव का दौरा करने आए थे। इस दौरान उनके दो और मंत्री और कुछ निजी स्टाफ के लोग भी साथ थे। यह घटना 30 सितंबर 2018 की है। इस दौरान भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टर को वापस भेजने के लिए चेतावनी के तौर पर कुछ फायर भी किए थे। भारतीय सेना चाहती तो उसी वक्त इस हेलीकॉप्टर को मारकर गिरा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यदि उस वक्त भारतीय सेना इस हेलीकॉप्टर को गिराने का फैसला लेती तो मुमकिन है कि वह आज बयान देने के लिए हमारे बीच नहीं होते।
अब आपको हैदर साहब की कुछ और जानकारी दे देते हैं। आपको बता दें कि हैदर साहब पीएमएल-एन(नवाज) पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। 2016 में हुए गुलाम कश्मीर में हुए आम चुनावों में इस पार्टी ने यहां की 49 में से 31 सीटें जीती थीं। इसके बाद हैदर साहब को गुलाम कश्मीर का 12वां पीएम बनाया गया। जहां तक उनके निजी जीवन की बात है तो बता दें कि उनका जन्म 14 जनवरी 1955 में गुलाम कश्मीर स्थित मुजफ्फराबाद में एक राजपूत परिवार में हुआ था। एबटाबाद में उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और लाहौर से ग्रेजुएशन किया। जहां तक उनके पिता राजा मुहम्मद हैदर खान की बात है तो वह दो बार मुस्लिम कांफ्रेंस के अध्यक्ष रहे थे। वहीं उनकी मां आजाद कश्मीर की पहली विधानसभा की पहली मुस्लिम महिला थीं। इसके अलावा उनके अंकल और बहन भी विधानसभा की सदस्य रह चुकी हैं।
आखिर आर्टिकल 370 के हटने पर प्रधानमंत्री हैदर नें क्या कहा-
प्रधानमंत्री हैदर नें जम्मू कश्मीर पर फैसला सामने आने के बाद आनन-फानन में जो प्रेस कांफ्रेंस की उसमें कहा कि इस फैसले से भारत सरकार ने खुद को हालात को विस्फोटक कर दिए हैं। उन्होंने यूएन मिशन से गुलाम कश्मीर में आकर हालात का जायजा लेने और बिना देरी के मामले में दखल करने की भी अपील की है। हैदर साहब यहीं पर नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक कहा कि गुलाम कश्मीर जिसको वे आजाद कश्मीर कहते हैं, की जनता पाकिस्तान सेना और वहां की सरकार के साथ खड़ी है। पाकिस्तान की सेना हर तरह से किसी भी तरह के हालात का सामना करने के लिए तैयार है और जनता उनका साथ देने के लिए तैयार है। उन्होंने भारत के फैसले को जम्मू कश्मीर के लोगों के ऊपर से दिल्ली का भरोसा उठना करार दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कहा कि पहले कश्मीरी ही भारत के खिलाफ थे लेकिन अब इस फैसले के बाद जम्मू और लद्दाख के लोगों का भी भी दिल्ली की सरकार से विश्वास उठ चुका है।
बता दें कि दो दिन पहले ही राजा हैदर ने कहा था कि भारत ने सीमा पर स्नाइपर तैनात किए हुए हैं तो लगातार गुलाम कश्मीर में गोलीबारी कर रहे हैं और मासूम और निहत्थे लेागों को मार रहे हैं। उनका ये भी कहना था कि भारत ने गुलाम कश्मीर में क्लस्टर बम तक का इस्तेमाल किया है। हैदर साहब ने जिस झूठ को दुनिया और अपनी आवाम के सामने रखने की कोशिश की है उसका सच पूरी दुनिया जानती है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान को कभी दुनिया का समर्थन हासिल नहीं हो सका। अलबत्ता इतना जरूर हुआ है कि पूरी दुनिया के सामने उसकी छवि एक आतंकी मुल्क की बन गई है। जहां तक बात करें गुलाम कश्मीर और उसके पीएम हैदर की तो उन्हें इस बात को लेकर शर्म तो जरूर आनी चाहिए कि उनकी जमीन पर आतंक की जो पैदावार तैयार होती है वह आखिरकार कश्मीर और कश्मीरियों का ही खून पानी की तरह बहाती आई है।
क्या आपको 30 सितम्बर 2018 की ये घटना याद है ?
यह हैदर साहब वही शख्स हैं जिनका हेलीकॉप्टर एक बार भारतीय हवाई क्षेत्र में आ गया था। ऐसा उस वक्त हुआ था जब वह लाइन ऑफ कंट्रोल के निकट कठुआ के गांव का दौरा करने आए थे। इस दौरान उनके दो और मंत्री और कुछ निजी स्टाफ के लोग भी साथ थे। यह घटना 30 सितंबर 2018 की है। इस दौरान भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टर को वापस भेजने के लिए चेतावनी के तौर पर कुछ फायर भी किए थे। भारतीय सेना चाहती तो उसी वक्त इस हेलीकॉप्टर को मारकर गिरा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यदि उस वक्त भारतीय सेना इस हेलीकॉप्टर को गिराने का फैसला लेती तो मुमकिन है कि वह आज बयान देने के लिए हमारे बीच नहीं होते।
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