ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । अपने आप को ‘जन्मजात कांग्रेसी’ कहने वाले पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी को झटका दे दिया है। करीब पांच साल पहले सिद्धू जब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे, तो उन्होंने खुद को अपनी जड़ों की ओर लौटने वाला ‘जन्मजात कांग्रेसी’ बताया था। सिद्धू को 18 जुलाई को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद के घटनाक्रम के दौरान राज्य में पार्टी के कद्दावर नेता अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ गया। नये मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा राज्य की कमान संभालने के कुछ ही दिन बाद 57 वर्षीय सिद्धू ने अचानक पार्टी की प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी छोड़कर सभी को चौंका दिया। उन्होंने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव में पांच महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में पार्टी मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है। सिद्धू 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि वह आलाकमान द्वारा नियुक्त किसी भी नेता के अधीन काम करने को तैयार रहेंगे। पार्टी जहां से चाहे, वहां से वह चुनाव लड़ेंगे। जब सिद्धू से उस वक्त पूछा गया था कि क्या वह पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनना चाहते हैं तो उन्होंने जवाब दिया था कि इस बारे में बातचीत करना जल्दबाजी होगी। सिद्धू ने 2004 में अमृतसर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक पारी शुरू की। उन्होंने पहले ही चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज आरएल भाटिया को हराया था। भाजपा में रहते हुए भी सिद्धू के सहयोगी अकाली दल के बादल परिवार से खटास भरे रिश्ते रहे थे, लेकिन जब भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अरुण जेटली को अमृतसर से उतारा तो उनके भाजपा से भी रिश्ते तनावपूर्ण हो गए। उन्हें भाजपा ने राज्यसभा में भेजा लेकिन वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। सिद्धू की एक समारोह में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलने की तस्वीरें आने के बाद चहुंओर काफी आलोचना हुई थी।