ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
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Bhilai
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की योगी सरकार आएगी या अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी? इन सवालों का सही जवाब 10 मार्च को ही मिलेगा। लेकिन उससे पहले अलग-अलग चैनल-एजेंसियों ने उत्तर प्रदेश की सियासत को लेकर सर्वे किया है। उन सभी ओपिनियन पोल्स में यूपी में भाजपा के जीत की भविष्यवाणी की गई है। इसके साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि चुनाव नतीजों में भाजपा की सीटें 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले घट सकती है। बता दें कि प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों के जीत के कई कारक हैं, उनमें से प्रमुख हैं जातिगत समीकरण। के 'पोल ऑफ पोल' की मानें तो सत्तारूढ़ भगवा पार्टी एक बार फिर बहुमत के साथ जीतेगी। लेकिन साथ ही समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को राज्य में सबसे बड़ा विपक्ष बनने की भविष्यवाणी की गई है। इसमें यह भी बताया जा रहा है कि 2017 में जीती हुई कई सीटों में से लगभग 60 से अधिक सीटों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भाजपा खो देगी। प्रदेश में चार प्रमुख दावेदारों- बीजेपी, एसपी गठबंधन के साथ रालोद, बसपा और कांग्रेस के प्रदर्शन पर राय दर्ज की है। पार्टियों के चेहरों में क्रमश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती और प्रियंका गांधी वाड्रा हैं। किसी भी पार्टी के बहुमत हासिल करने का आधा रास्ता 202 है। बहरहाल, जनमत सर्वेक्षणों ने भविष्यवाणी की कि सत्तारूढ़ भाजपा का प्रदर्शन काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि वह विधानसभा चुनावों में जातिगत समीकरणों को कैसे संतुलित करती है। ऐसा लगता है कि व्यापक हिंदुत्व छत्र के तहत जातिगत दोष रेखाओं को समायोजित करने के भाजपा के प्रयास खतरे में हैं। मालूम हो कि अब तक तीन मंत्रियों समेत 11 ओबीसी विधायक भाजपा छोड़ चुके हैं। इन बागी नेताओं में से अधिकांश सपा-रालोद गठबंधन में शामिल हो गए हैं, उनकी नाराजगी पार्टी के शीर्ष नेताओं की तुलना में आदित्यनाथ पर अधिक है। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा 312 सीटों के साथ सत्ता में आई थी, जबकि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा 47 में कामयाब रही थी। मायावती की बसपा को 19 सीटों के साथ संघर्ष करना पड़ा था और कांग्रेस को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में सिर्फ सात सीटों के साथ चौथे स्थान पर ले जाया गया था। यूपी की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को खत्म हो रहा है।