ईश्वर दुबे
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मुंबई । शिवसेना के मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद छपे संपादकीय में इशारों-इशारों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उसकी कम हुई ताकत का एहसास कराया गया है। शिवसेना ने इन नतीजों को चौंकाने वाला बताया है। संपादकीय में भाजपा की आलोचना की गई है, जबकि राज्य में राकांपा और कांग्रेस की बढ़ती ताकत का भी जिक्र किया गया है। शिवसेना ने कहा महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है। अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना समाप्त हो जाओगे। यही जनादेश ‘ईवीएम’ की मशीन से बाहर आया है। ईवीएम से सिर्फ कमल ही बाहर आएंगे, ऐसा आत्मविश्वास मुख्यमंत्री फडनवीस को आखिरी क्षण तक था, लेकिन 164 में से 63 सीटों पर कमल नहीं खिला। पूरे महाराष्ट्र के नतीजों को देखें तो शिवसेना-भाजपा युति को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल चुका है।
संपादकीय में कहा गया है कि आंकड़ों’ का खेल संसदीय लोकतंत्र में चलता रहता है। ‘युति’ का आंकड़ा स्पष्ट बहुमत का है। शिवसेना और भाजपा को एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है। महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं। फिर इसे महाजनादेश कहिए, या कुछ और। यह जनादेश है महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा। शिवसेना ने कहा महाराष्ट्र में 2014 की अपेक्षा कुछ अलग नतीजे आए हैं। 2014 में ‘युति’ नहीं थी। 2019 में ‘युति’ के बावजूद सीटें कम हुईं। बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-राकांपा मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गईं। एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है। यह एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है।
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया है, उसके लिए उसका अभिनंदन! कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व नहीं था। इस कमजोर कांग्रेस को राज्य में 44 सीटें मिल गई। भाजपा ने एनसीपी में ऐसी सेंध लगाई कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं, ऐसा माहौल बन गया था। लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छलांग राकांपा ने लगाई है और 50 का आंकड़ा पार कर लिया है। भाजपा 122 से 102 पर आ गई है।
शिवसेना ने कहा कि देखा जाए तो ये रुझान चौंकानेवाले हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ‘अति उत्साह में मत आओ, सत्ता की धौंस दिखाओगे तो याद रखो! राज्य की जनता ने ऐसा जनादेश दिया है। सत्ता का दुरुपयोग करते हुए राजनीति करने से किसी को खत्म नहीं किया जा सकता और ‘हम करें तो कायदा’ नहीं चलता। शिवसेना ने कहा, 'चुनाव समाप्त हो गए और हम महाराष्ट्र के चरणों में अपनी सेवा शुरू करने जा रहे हैं। कौन हारा और कौन जीता, इस पर बाद में मंथन करेंगे। महाराष्ट्र की भावनाओं को कुचलकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता और मराठी भावनाओं की छाती पर पैर रखकर कोई शासन नहीं कर सकता। अपनी बातों पर अटल रहनेवाले ‘राजा’ के रूप में छत्रपति शिवराय की ख्याति थी। ये राज्य शिवराय की प्रेरणा से ही चलेगा।