सियासी संकट में सरकार गठन के ये चार समाधान, अब सबकुछ राज्यपाल पर निर्भर Featured

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नतीजा आए पखवाड़ा बीतने के बावजूद सरकार नहीं बनी है। बृहस्पतिवार को भी भाजपा नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सिर्फ मुलाकात की, सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया।
वहीं, विधायक दल की बैठक के बाद शिवसेना ने भाजपा को सरकार बनाने की चुनौती दी और अपने विधायकों को मुंबई के एक होटल में भेज दिया। यहां जानिए इस सारे सियासी ड्रामे के बाद सरकार गठन के लिए आखिर अब क्या विकल्प बचे हैं।
सरकार गठन के अब क्या विकल्प
1- कोई एक झुके : शिवसेना-भाजपा में से कोई एक जिद छोड़े तो बनेगी गठबंधन सरकार।
2- अल्पमत सरकार : 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक हैं। बहुमत के लिए 145 विधायक चाहिए। भाजपा निर्दलीय सहित अन्य 29 विधायकों को साथ कर ले तो संख्या 134 हो जाएगी। बहुमत परीक्षण के दौरान सदन से विरोधी दलों के 21 विधायक गैरहाजिर रहें तो संख्या 267 होगी और बहुमत का जरूरी आंकड़ा 134 हो जाएगा। हालांकि भाजपा ने इससे इनकार किया है।
3- शिवसेना में टूट : 56 विधायकों वाली शिवसेना के 45 विधायक टूटकर भाजपा का साथ दें तो संख्या दो-तिहाई से ज्यादा होगी। दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। भाजपा की संख्या 150 हो जाएगी। हालांकि भाजपा ने इससे इनकार किया है।
4- नया गठबंधन : शिवसेना (56)  एनसीपी (54) के साथ गठबंधन सरकार बनाए। कांग्रेस (44) बाहर से समर्थन दे। ऐसे में आंकड़ा 154 होगा।
इसके अलावा आगे क्या?
1- सियासी संकट के बीच यदि किसी दल ने दावा पेश नहीं किया तो प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता देंगे। यह कहना है राज्य विधानसभा के पूर्व प्रधान सचिव अनंत काले का।
उनके अनुसार, किसी दल ने दावा पेश नहीं किया तो राज्यपाल सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं। वह पार्टी सरकार नहीं बनाती है तो दूसरे सबसे बड़े दल को मौका मिलेगा। राष्ट्रपति शासन लागू होने से पहले यह औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।
 2- राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने गुरुवार को राज्यपाल कोश्यारी से मुलाकात की थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्होंने राज्यपाल को कानूनी और संवैधानिक विकल्पों पर सलाह दी। अपनी शक्तियों का प्रयोग करने और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार स्थिर सरकार बनाने के लिए संभावनाओं का पता लगाने के लिए जानकारी दी। ऐसे में इस सियासी संकट के समाधान में अब सबकुछ राज्यपाल कोश्यारी पर निर्भर करता है।

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