मुंबई। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बीच पार्टियों की ओर से सरकार बनाने की कोशिश जारी है. सूत्रों की मानें तो भाजपा भी अपनी सरकार बनाने के लिए दवाब तंत्र का प्रयोग करने में अंदरखाने जुटी है. यही वजह है कि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी को अपने विधायकों द्वारा बगावत करने का भय सत्ता रहा है. इसके लिए लगातार तीनों ही पार्टियों में बातचीत चल रही है. तीनों पार्टियां चाहती है कि राज्य में जल्द उनकी सरकार बन जाये अन्यथा सरकार बनाने की जो राहें आसान होती जा रही है उसमें कहीं बीजेपी बाधक न बन जाये. कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी द्वारा न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) को अंतिम रूप दिए जाने के बाद सूत्रों ने कहा कि शिवसेना और कांग्रेस चाहती हैं कि जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए क्योंकि उनके विधायक खतरे में हैं. सूत्रों के मुताबिक, विधायकों से संपर्क किया जा रहा है और इसलिए पार्टियां अपने विधायकों को लेकर असुरक्षित हैं. वहीं तीनों दलों ने साफ किया है कि सरकार केवल और केवल न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चलेगी न कि विचारधाराओं पर.कांग्रेस सूत्रों ने कहा है कि शिवसेना की हिंदुत्व विचारधारा से पार्टी को कोई दिक्कत नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, न्यूनतम साझा कार्यक्रम तीनों दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के घोषणापत्र पर आधारित है. एनसीपी और कांग्रेस के घोषणापत्र में जो भी बातें हैं उसे शिवसेना स्वीकार करेगी. कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि तीनों दल सरकार बनाने को लेकर बहुत गंभीर हैं और चाहते हैं कि यह जल्द से जल्द हो. दिलचस्प बात यह है कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को पूरा भरोसा है कि उनकी पार्टी का कोई भी विधायक उन्हें नहीं छोड़ेगा. लेकिन कांग्रेस और शिवसेना अपने विधायकों के लिए बहुत चिंतित हैं. सूत्रों की मानें तो पार्टी छोड़ने के लिए उनसे संपर्क कर प्रलोभन दिया जा रहा है.
ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
